सुबह अलार्म सुना फिर बंद कर दिया. सवा चार बजे नींद खुली. कोई
भीतर से कह रहा था, आलसी, प्रमादी..पर बहुत प्रेम था उसकी वाणी में. शीघ्रता से उठ
गयी. वर्षा हो रही थी सो बरामदे में ही प्रातः भ्रमण हुआ. आज दोपहर के भोजन में घर
की सब्जी बाड़ी में उगा कुम्हड़ा बनाया, कोमल और स्वादिष्ट था. सुबह एक परिचिता से
बात हुई, उसे कटहल पसंद है. माली से तोड़ने के लिए कहा, उसने कई सारे तोड़ दिए हैं.
प्रकृति कितनी उदार है, वह भरपूर देती है. वह भी कटहल के कटलेट बना रही है आज शाम.
नन्हे से पूछा, अगले महीने उसके जन्मदिन पर क्या वे उसके लिए लड्डू बनाकर भेजें,
पर उसने मना कर दिया, वह आजकल हल्का भोजन कर रहा है, ज्यादातर सूप और सलाद.
सुबह बहुत जल्दी
नींद खुल गयी. मन में कोई स्वप्न चल रहा
था पर देखने वाला भी जागृत था. वर्षा लगातार हो रही है. लॉन में पानी भर गया है.
आज नये कम्प्यूटर पर लिखा, लेखन का काम ज्यादा आनंददायक हो गया है. यह भी तो
परमात्मा की कृपा है, बस एक ही शै है जो उसकी मर्जी से नहीं होती, उसके मन की
अनवरत यात्रा..शायद वह भी उसकी ही मर्जी से होती है, क्योंकि होता है तो सब कुछ
उसकी मर्जी से ही होता है. यहाँ कोई दूसरा है ही नहीं, एक ही तो सत्ता है ! जड़ के
पीछे भी वही है. कल से अमेरिका यात्रा का वर्णन लिखना है. ह्यूस्टन की वह यात्रा
जो बारह वर्ष पहले की थी उन्होंने.
साढ़े तीन बजे हैं
दोपहर के, इस समय थमी है वर्षा. आकाश पर बादल अब भी बने हैं. आज सम्भवतः वे सांध्य
भ्रमण के लिए जा पाएंगे. सुबह-सुबह परमात्मा के स्वरूप के बारे में चर्चा सुनी. मन
में कुछ और उजाला हुआ, दिन दिन बढ़त आनंद..कितना सही कहा है भक्ति के बारे में.
परमात्मा को कितना भी जान लो, कुछ न कुछ जानने को शेष रहता है, हरि अनंत हरि कथा
अनंता..आज एक छोटी सी कविता लिखी..रात्रि को हुए अनुभव के आधार पर. छोटी बहन ने
बताया वे लोग अगस्त में यहाँ आयेंगे उसके पूर्व बैंगलोर आश्रम में एडवांस कोर्स
करेंगे और मैसूर में भी एक स्वास्थ्य शिविर में भाग लेंगे. बड़ी भांजी को एक संस्था
‘द यूनिवर्स’ से ईमेल आते हैं, अध्यात्म के अनुभव के लिए प्रेरित करने हेतु. उसने
एक मेल का अर्थ पूछा है, बताते समय उसे लगा, भगवद गीता के किसी श्लोक का भावार्थ
बता रही है. सत्य एक ही है, किसी भी कोण से उसकी व्याख्या करें एक तक ही पहुँचाती
है. आज नन्हे की गोवा यात्रा के कुछ पुराने चित्र फेसबुक पर प्रकाशित किये, जब वह
अपने कालेज से वहाँ गया था. जून ने बताया, लेह में इस वक्त काफी ठंड है, उन्हें
ऊनी अंतर्वस्त्र खरीदने होंगे.
रात्रि के पौने आठ
बजने को हैं. टीवी पर समाचार आ रहे हैं, यानि जून देख रहे हैं, अंततः वे दोनों
धारावाहिक के चंगुल से बाहर निकल ही आये हैं. आज दिन भर मौसम सूखा रहा, बहुत दिनों
बाद धूप निकली. अभी कुछ देर पूर्व बाहर टहल कर आये, रात की रानी की गमक से सारा
बगीचा सुवासित हो रहा था. हरी घास पर नंगे पैरों चलने से ठंडक भर गयी भीतर तक. ‘भारत
एक खोज’ में अकबर पर आधारित अंक देखा. अकबर महान के पुत्र सलीम, मुराद और दान्याल
उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते. युग-युग में यही कहानी दोहराई जाती है. चार दिन
पहले ही नैनी कुछ एडवांस ले गयी थी, आज फिर आई, पर उसने मना कर दिया. बाद में
सोचा, शायद उसके पति को काम नहीं मिला होगा, वर्षा जो हो रही थी. वे भी परमात्मा
से मांगते हैं और वह किसी न किसी को निमित्त बनाकर उनकी इच्छा पूर्ण करता है.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28-12-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2831 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद