आज गर्मी ज्यादा है. सुबह धूप निकल आयी थी जब वे प्रातः भ्रमण
से लौटे. सुबह नेट पर लिखा, दोपहर को भी. जून को दो कविताएँ भेजी हैं प्रिंट करके लाने
के लिए. व्हाट्सएप पर सबसे बात हुई, नन्हे से फोन पर बात हुई वह किसी कांफ्रेंस
में जा रहा था. कल की फिल्म अच्छी थी, ‘पीकू’, जिसमें वृद्धावस्था की समस्या को
बड़े रोचक ढंग से दिखाया गया है. टिपिकल बंगाली संस्कृति को भी हल्के-फुल्के अंदाज
में दर्शाया गया है. जून आजकल बहुत व्यस्त हैं. प्लास्टिक से ईंधन बनाने का एक
प्रोजेक्ट है, उस पर काम शुरू किया है. कल टेंगाघाट में एक पाइप लाइन को साफ करते
समय हाइड्रोजन सल्फाइड गैस बन गयी थी जिससे आठ लोग बेहोश हो गये. अब सभी ठीक हैं.
उसी की जाँच कमेटी का हेड उन्हें बनाया गया है. उनकी क्षमता है काम करने की, तभी
आजकल वे समय पूर्व ही दफ्तर के लिए निकल जाते हैं, और दोपहर को वह अक्सर उनके जाने
के बाद ही उठती है. अभी-अभी पुनः अहसास हुआ कि व्यर्थ ही ऊपर के दातों पर दबाव पड़
रहा था, वे बेहोशी में ही कितने काम करते रहते हैं. जीवन एक फिल्म की तरह आँखों के
सामने से गुजरता जाता है, वे उसे साक्षी होकर देखते रहें तो सब कुछ कितना सुंदर
है. परमात्मा तभी इतना आनन्दमय है क्योंकि वह कभी किसी के काम में दखल नहीं देता !
आज सुबह चार बजे से
पहले उठी, सुबह रोज की तरह सुहावनी थी. ‘फिटबिट’ शायद कल कहीं गिर गया, मन थोड़ा सा
परेशान हुआ पर बुद्धि ने समझा लिया, एक दिन तो देह भी छूट जाएगी, फिर किसी वस्तु
के खोने का क्या दुःख करें ? अपने भीतर हजारों खजाने भरे हैं जो अभी तक खोजे भी
नहीं गये हैं ! उसने शोकग्रस्त महिला के पिता के लिए एक कविता लिखी.
इक्यानवे
वर्ष की उम्र में समोए हैं
बच्चों
का सा जोश
युवाओं सी
लचक भी तन में
और साधकों
का सा होश !
शिवानंद
को गुरू माना था
नेहरु
से प्रेरित हो किये योगासन
शरीर
विज्ञान के ज्ञाता अनोखे
कुंडलिनी
शक्ति का किया जागरण !
अष्टांग
योग से परिचय पुराना
सुषुम्ना
का राज भी गुरू से जाना
खा सकता
अधिक कम खाकर ही कोई
कहते,
इस सूत्र को सदा अपनाना !
लचीली
है बैकबोन
उनकी भी
अब तक
सहधर्मिणी
को भी योग सिखाया
मुँह की
लार भी कीमती शै है
जीने की
कला से परिचित कराया !
थोड़ी सी
खुराक लेते
सदा गर्म
पानी पीते
चमकती
त्वचा का यही है राज
पाया है
भीतर ज्ञान का प्रकाश
बरसती है बाहर तभी हर पल उजास !
जून अभी तक आये नहीं
हैं, वैसे भी आज शनिवार है जब लंच के बाद उन्हें अवकाश होता है. भूख लग रही थी सो
उसने सलाद तो खा लिया है, शेष भोजन उनके आने के बाद ही होगा. सुबह से लगातार वर्षा
हो रही थी, अभी कुछ थमी है. साप्ताहिक सफाई के बाद घर अच्छा लग रहा है. मृणाल
ज्योति के नये हॉस्टल के लिए वे कुछ सामान लाये हैं, अगले हफ्ते जाकर देगी. नैनी का सातवाँ महीना चल रहा है पर वह आराम से
काम कर रही है. कल सुबह बड़ी बुआजी से बात की, वह भाभी के अल्प जीवन के लिए दुखी हो
रही थीं. इन्सान किस तरह अपने भयों को छिपाना चाहता है. बात करते-करते अंत में वह
प्रसन्न हो गयी थीं. आज सुबह से मन अनंत ऊचाईयों में दौड़ा जा रहा है, कैसी मस्ती छाई है. एक तितली को
मस्त उड़ते देखा, काफी देर तक वह कलाबाजियां दिखाती रही. चेतना तितली के रूप में
कितना अनोखा अनुभव करती होगी. परमात्मा अनेक रूपों में प्रकट हुए जा रहा है....
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