Thursday, December 21, 2017

नया कम्प्यूटर


आज भी मौसम भीगा-भीगा है. लगातार फुहार पड़ रही है. फेसबुक पर आज पिताजी के साथ अंतिम पिकनिक की तस्वीरें पोस्ट कीं, दो वर्ष पहले जनवरी माह की होंगी शायद. शाम को एक पुराने मित्र भोजन के लिए आ रहे हैं. उसके पहले बाजार जाना है, जून उसके लिए साड़ी लाये हैं, उसे पीको आदि के लिए देने. एक नई कविता लिखी, आज वह अनाम बहुत करीब लग रहा है, नयन बंद करते ही अंतर प्रकाशित हो उठता है ! अगले महीने जीजाजी का जन्मदिन है, उनके लिए भी कुछ पंक्तियाँ लिखीं. कम्पनी की तरफ से नया कम्प्यूटर इंस्टाल हुआ है आज. अभी मकैनिक स्कैनर व प्रिंटर को इंस्टाल कर रहे हैं. अब वह कार्ड्स आदि घर पर ही प्रिंट कर सकती है. इसी माह एक सखी का जन्मदिन है पर उससे बहुत दिनों से कोई बात नहीं हुई है. अगले महीने नन्हे का भी जन्मदिन है, उसके अगले जून का और बड़े भांजे का भी. सभी के लिए कुछ न कुछ लिखेगी. दीदी का जवाब भी आया है, उन्हें कविता अच्छी  लगी !

लंच तैयार है, समय हो चुका है, पर जून अभी तक आये नहीं हैं. आज ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ है. उनके दफ्तर में पौधे लगाने का कार्यक्रम है. कल शाम भी एक मीटिंग के कारण सात बजे घर लौटे. थोड़ी देर में ही मेहमान भी आ गये. ढेर सारी बातें कहीं, अपनी पत्नी और बिटिया से नोक-झोंक की बातें. उनकी पत्नी को एक स्वास्थ्य समस्या भी हो गयी है. उसे हाथों व पैरों में कॉर्न हो जाते हैं, जो पेनफुल हैं. उससे बात की तो पता चला शरीर में प्रोटीन की प्रतिक्रिया से ऐसा हो रहा है. नूना के भी बाएं हाथ के दो नाखूनों में सफेदी आ गयी है, शायद किसी तत्व की कमी है. पौने दस बजे वे गये. रात को सोने में देर हो गयी तो जून को देर तक नींद नहीं आई. सुबह उन्होंने जब यह बात कही तो उसके भीतर से किसी ने जवाब देना आरम्भ कर दिया. पता नहीं कहाँ से इतने शब्द निकलते हैं.  


आज असमिया सखी के पुत्र का जन्मदिन है, उससे बात करनी चाही, पर शायद उसका नम्बर बदल गया है, किसी और ने उठाया. आज सुबह उठी तो एक विचित्र अनुभव हुआ, भीतर शब्द लिखे हुए दिखाई दिए, यानि पश्यन्ति वाणी का एक रूप. फिर एक स्वप्न आया, जिसमें छोटी ननद भी थी. जून भी थे. तब जून और उसका संबंध अलग था. कितने सवालों का जवाब मिल जाता है जब पिछले जन्मों की स्मृति आती है. कल सुबह भी एक अनोखा स्वप्न देखा. सद्गुरू को देखा, वह जो उनके सद्वचन सुनती है, शायद उसी का परिणाम था यह स्वप्न. अंततः श्रवण एक मानसिक प्रसन्नता ही तो है यानि सुख की तलाश. ज्ञान सुनने से जो सुख पाना चाहती है उससे और इन्द्रियों से मिलने वाले सुख में क्या अंतर है ? अभी बहुत कुछ है जो ध्यान की गहराई में जाकर मिल सकता है और एक वह है कि संतोष कर बैठी है, शायद यह स्वप्न यही जताने आया था. दोपहर को बहुत गहरी नींद आयी, जैसे बहुत वर्षों पहले आया करती थी. इस समय शाम के सात बजे हैं, जून नये कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं, एक कनिष्ठ अधिकारी उनकी सहायता कर रहे हैं. शाम को उन्होंने स्वयं पेड़ से कटहल तोडा, जिसकी सब्जी उसने आज बनाई है. अब वह ‘भारत एक खोज’ का तीसवां अंक देख रही है. विजयनगर के पतन की कहानी है उसमें. नन्हे को सर्दी लग गयी थी. दोपहर को उससे बात हुई. अब पहले से बेहतर है. दफ्तर आया था, अपना ख्याल रखना जानता है. हरेक को स्वालम्बी होना ही है.      

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - श्रीनिवास अयंगर रामानुजन और राष्ट्रीय गणित दिवस में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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