बड़े भैया को
राखी मिल गयी है, फुफेरे भाई ने फोन करके यह सूचना दी. बुआजी का नया घर बन गया है व
उनकी स्वर्गवासिनी बेटी की बेटी के यहाँ पुत्र हुआ है. ये सारी खबरें देते हुए वे
लोग बहुत खुश लग रहे थे. आज सुबह जून ने उठाया, उसने सोचा सचमुच उन्होंने उसके
जागरण में बहुत योगदान दिया है. सारा धार्मिक साहित्य जो उसने पढ़ा, सारे उपदेश जो
सुने, साधना के लिए प्रेरित करना(अपरोक्ष रूप से) भी उन्हीं का कार्य है. जीवन में
कुछ भी अचानक नहीं होता. पुरानी घटनाओं को देखे तो यह बात समझ में आती है. अंत:प्राज्ञ
कोर्स के द्वारा ध्यान से परिचय, एओएल के द्वारा सद्गुरू से परिचय, ये भी उन्ही के
कारण हुआ. परमात्मा हरेक को विकसित होने के लिए पूरी व्यवस्था कर देते हैं. स्वयं छिप जाते हैं, लुका-छिपी
का खेल ही चलता रहता है जीवन भर जीवात्मा व परमात्मा के मध्य..कल रात स्वप्न में
भी जागरण का अनुभव हुआ. यदि स्वप्न में भी होश बना रहे तो वे स्वप्न को अपनी इच्छा
से बदल भी सकते हैं. एक बार नींद न आने की शिकायत की तो ऐसा स्वप्न दिखाया कि उठना
ही पड़ा..इसी को कृष्ण सुषुप्ति में जाग्रति कहते हैं भगवद गीता में ! योगी जगते
हुए सोता है और सोते हुए जगता है ! जून को अब भी कभी-कभी दर्द होता है, अब वह उसे
बताते नहीं है. उस दिन उसने कहा यदि कोई प्रकृति से सुख लेगा तो दुःख से उसकी कीमत
चुकानी होगी. वह भी तो यदि स्वादिष्ट पदार्थों के द्वारा प्रकृति से सुख चाहती है तो
इसकी कीमत कभी न कभी रोग के रूप में चुकानी पड़ेगी. साक्षी भाव में रहकर स्वयं को
आत्मा मानकर यदि वे जीते हैं तो सहज स्वाभाविक सुख की स्थिति बनी ही रहती है.
उन्हें कुछ पाकर सुखी नहीं होना पड़ता. मन हर क्षण परमात्मा से जुड़ा है..बस उसे
महसूस करना है. विचार आते और चले जाते हैं, पीछे चिदाकाश ज्यों का त्यों रहता है.
वह सबका भला चाहता है, जो उनके लिए अच्छा है वे नहीं जानते पर परमात्मा जानता है. कल
वे मृणाल ज्योति जायेंगे बच्चों को राखी बांधने, साथ में पूरी, सब्जी व मिठाई
लेकर. अन्ना हज़ारे का अनशन आरम्भ हो गया है. जनता उनके समर्थन में आगे आयी है, इस
बार लगता है सरकार को झुकना पड़ेगा.
आज
जन्माष्टमी का अवकाश है. अन्ना हजारे के अनशन का सातवाँ दिन है. सरकार अब बात करना
चाहती है. हजारों, लाखों की संख्या में लोग घरों से निकलकर समर्थन के लिए जुलूस,
रैलियां निकाल रहे हैं. आज शाम को उनके घर पर सत्संग है. नन्हे के नर्सरी स्कूल की
पत्रिका के लिए एक लेख माँगा है वहाँ की प्रिंसिपल ने, उसने उसके बचपन की यादों को
ताजा करता हुआ एक लेख लिखा है, नन्हे को भी अच्छा लगेगा. एक कविता भी लिखी क्लब की
एक सदस्या के लिए. छोटी बहन से बात हुई, उसने नया जॉब शुरू कर दिया है, दीदी नये
रिश्तेदारों से मिल रही हैं. बड़ी ननद का फोन आया, बिटिया की शादी के लिए साड़ियाँ
आदि खरीदने व जून के लिए शेरवानी खरीदने की बात कह रही थी. नूना के मायके में सबका
पता भी मांग रही थी, उन्हें निमन्त्रण देना चाहती है.
आज सुबह
क्रिया के बाद अनोखा अनुभव हुआ. योग वशिष्ठ में जो पढ़ा है, अष्टावक्र गीता में जो
पढ़ा है, भगवद्गीता में जो कृष्ण कहते हैं, वह ज्ञान अनुभव में आया. गुण ही गुणों
में बरत रहे हैं. उसके सिवा कोई कर्ता नहीं है. आत्मा अपने आप में पूर्ण शुद्ध एक
अद्वैत सत्ता है. अब उसे लगता है इसी जन्म में आत्म ज्ञान की पूर्णता सिद्ध होगी.
भीतर एक अपूर्व शांति का अनुभव हो रहा है, कहीं कोई द्वंद्व नहीं है. अभी जो लोग
इस अनुभव को प्राप्त नहीं हुआ हैं, वे करुणा और प्रेम के ही पात्र हो सकते हैं,
क्यों कि वे भी कुछ और नहीं उसी एक परमात्मा का चमत्कार ही है. Accept people as
they are का यही अर्थ है कि वे भी उनका ही रूप हैं. जैसे वे अपनी किसी भूल को
स्वीकार करते हैं वैसे ही उन्हें उनकी भी हर भूल को स्वीकार करना ही होगा. परमात्मा
का अनुभव मानव देह में ही किया जा सकता है, परमात्मा को स्वयं भी अपना अनुभव करना
हो तो मानव देह का आश्रय लेना पड़ता है,
क्योंकि शुद्ध चैतन्य में कोई दूसरा है ही नहीं, एक ही सत्ता है उसी को बुद्ध ने
शून्य कहा है. जो जानता है कि वह है, जो जानता है कि वह आनन्द स्वरूप है, लेकिन
व्यक्त नहीं कर सकता, उसके लिए आवश्यकता होगी देह, मन, बुद्धि की..की पता न भी
होती हो, उसके बारे में कुछ भी कहे कैसे..जो कहेगा वह उससे कम ही होगा.. नन्हे के
लिए लिखे लेख को आज चर्चामंच में शामिल किया गया है. दीदी को भी वह अच्छा लगा.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 120वीं जयंती और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteस्वागत व बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
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