आज बैसाखी है, बीहू और गुड फ्राईडे भी. पूरे भारत में
लोग कोई न कोई त्योहार मना रहे हैं. नन्हा और जून दोनों की छुट्टी है पर जून अपने
विभाग में किसी कार्य में व्यस्त हो गये हैं. कल रात भी देर से घर आये, वह दिन में
छूट गया अपना संगीत अभ्यास कर रही थी. उसके पूर्व मित्र परिवार आया था, उन्होंने स्वादिष्ट
केक काटा जो दिन में बनाया था. नन्हा घर पर हो तो आजकल पढ़ाई और कम्प्यूटर गेमिंग
ये दो काम ही करता है. आज सुबह वे उठे तो पहले वोल्टेज बहुत कम था फिर बिजली चली
गयी. सुबह ‘जागरण’ एक दिन भी न सुने तो दिन की शुरुआत ढंग से नहीं हुई लगती है.
सुबह वीमेन’स इरा का क्रॉस वर्ड हल करने में कुछ समय लगाया शेष सामान्य कार्यों
में. समाचारों में सुना वाजपेयी जी ईरान के सांस्कृतिक शहर शीरान पहुंच रहे हैं.
अमेरिका व चीन में टोही विमान की टक्कर के मामले को लेकर अभी तक आरोप-प्रत्यारोप
लग रहे हैं. आस्ट्रेलिया में nascom के प्रमुख श्री देवांग जो भारत में सूचना
तकनीक के प्रमुख कार्यकर्ता थे, की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गयी है. इस वक्त
भी हिंदी कविता की किताब उसके पास है. इन छुट्टियों में करने योग्य कई कार्य थे जो
अभी तक शुरू भी नहीं किये हैं. उसने देखा है अक्सर योजना बनाकर काम करना सम्भव
नहीं हो पाता, कुछ अप्रत्याशित आ जाता है जिसे स्वीकारना होता है. अभी दो पत्र
लिखने भी शेष हैं, क्यों न पत्र लिखने से ही शुरुआत की जाये.
कल रात छोटी बहन का फोन
आया, उसने कहा कल सुबह उसे शहर में होने वाली cross-country race में जाना है,
पांच बजे उसे उठाना है सो वे फोन करके उसे उठा दें. नूना को हँसी भी आई और अच्छा
भी लगा. सुबह पांच बजे से पहले ही उसे उठा दिया पर जैसी मूसलाधार बारिश यहाँ इस
वक्त हो रही है वैसी ही वहाँ हो रही थी. उसे अंदेशा था की रेस टल जाएगी. कल जून
रात को आठ बजे घर आ पाए. उसने शाम को घर का कुछ काम किया, आज पर्दों की धुलाई का
भी काम हो गया.
कल सुबह वह लिख नहीं पाई,
काफी समय एक सखी से फोन पर बात करने में चला गया. दोपहर को गुलाब जामुन बनाने के
बाद टीवी चला लिया सो ‘कविता’ से मुलाकात नहीं हो पायी. लेकिन आज से यह असावधानी
और प्रमाद नहीं होगा. उसकी यात्रा जारी रहेगी. कल लाइब्रेरी से दीपक चोपड़ा की
किताब लायी है उसने भी उसके विश्वास को बल दिया है. वर्षा का मौसम जारी है. माली ने
बगीचे से प्याज की फसल निकल कर दी है अभी कई दिन इसे सूखने में लगेंगे. कल जून ने
प्रकाशक से बात की वह किताब के कुछ और नाम बतलाने वाले हैं. वर्षा तेज हो गयी है
अभी तक स्वीपर नहीं आया है. उसका ध्यान कुछ देर के लिए नैनी पर चला गया जो कपड़े धो
रही है. उसे काम करने का इतना अभ्यास हो गया है कि जिस काम को करने में नूना को
आधा घंटा लगता है उसे सिर्फ दस मिनट लगते हैं अभी-अभी सफाई वाला भी आ गया है पानी
में तरबतर है उसे उसने जून की एक पुरानी कमीज पहनने को दी है. जब कोई ईश्वर के
निकट होता है, वह उसे शुभ की ओर स्वयं ही लगा देता है.
कल शाम क्लब की एक सदस्या
का फोन आया, इस महीने महिला समिति की बैठक में उसे कविता पढ़ने के लिए कहा है.
literary meet का आयोजन किया जा रहा है. एक सखी का फोन अभी आया उसकी माँ अस्पताल
में किसी जानलेवा रोग से संघर्ष कर रही थीं, कल उन्होंने बहुत दिनों बाद आँख खोली.
उसने सोचा पड़ोसिन के साथ वह उससे मिलने जाएगी. नैनी ने अपने बेटे के कुरान की कसम
खाने पर विश्वास कर लिया है कि रूपये उसने नहीं चुराए. माँ का दिल ऐसा ही होता है.
बेटा लेकिन भविष्य में इससे गहरी चोट भी दे सकता है यदि उसे अभी से संभाला नहीं गया.
‘जागरण’ में परसों सुना था
इच्छाओं को निवृत करना है, आवश्यकता की पूर्ति होती रहे क्या इतना पर्याप्त नहीं.
आज सुबह से दो बार उसने स्वयं को सुने हुए पर अमल करते देखा. एक बार क्रोध का भाव
जगने से पहले ही उसे समझा दूसरी बार इच्छाओं को पोषण करने वाली मानसिक वृत्ति को
टोका. इस समय जितना कुछ है पर्याप्त है और की न आवश्यकता है न ही कल्पना करके स्वयं
को अपनी ही दृष्टि में गिराने की जरूरत है. व्यर्थ की बातें ही साधक को मार्ग से
भटकाती हैं. कल दीपक चोपड़ा की किताब का काफी अंश पढ़ा. बहुत अच्छी पुस्तक है. अपने
हृदय के कई प्रश्नों के जवाब उसमें मिले. कई बातों की पुष्टि हुई. एक गुरु की तरह
वह सारे संशयों का निराकरण करते जाते हैं. ईश्वर के प्रति उसकी निष्ठा और दृढ हो
गयी है, वैसे निष्ठा अगर है तो है, नहीं है तो नहीं है.
No comments:
Post a Comment