Friday, October 17, 2014

चिकन सूप फॉर कपल्स


कुछ नया करें, नया सोचें, नया बोलें...कुछ नया होगा तो उस पर चिन्तन होगा, बेहोशी टूटेगी, जीवन में जागरण होगा. गंगोत्री से गंगा सागर तक तो काठ का टुकड़ा भी यात्रा कर लेता है, जीवन से मृत्यु तक का सफर तो हर कोई तय कर ही लेता है. लेकिन जिसे गंगा सागर से गंगोत्री जाना है उसे जागना होगा, मृत्यु को पार करके ही वास्तविक जीवन की प्राप्ति होती है. उसे जरूरत है नेतृत्व करने की क्षमता की. जो बाधाओं को सीढ़ियाँ बनाकर ऊपर चढ़ सकता है वही ऊँचाई को छू सकता है. आदर्श और संघर्ष दोनों साथ-साथ चलते हैं. संघर्षों का सामना किये बिना आदर्श नहीं पाले जा सकते. आदर्शों पर चलने से हृदय में आह्लाद उत्पन्न होता है जो अंतर को संचित करता है. आज जागरण में दो संतों से जो सुना था उसका सार उसने अपने शब्दों में लिखा. आज नन्हे का गणित का पेपर है. कल रात उसे पढ़ाती रही. कल दोपहर को सोयी थी सो रात जग सकी. परसों रात के जागरण की कीमत कल दोपहर को सोकर देनी पड़ी थी. हर कार्य का, हर विचार का असर किसी न किसी रूप में झेलना पड़ता है. कल ‘चिकन सूप फॉर कपल्स’ में पति-पत्नी संबंधों पर कुछ मार्मिक कहानियाँ पढ़ीं थीं. सुबह तक मन स्नेह से ओतप्रोत था. जाने कैसे जून को पता चला गया और उन्होंने वर्षों बाद सुबह उसी तरह शुभकामना दी जैसे विवाह के बाद देते थे. अभी-अभी दीदी का फोन आया, उन्हें उसका खत मिल गया है. आज वे लोग ‘डाक-पत्थर’ की सैर का कार्यक्रम बना रहे थे.

जीवन में अनुशासन हो, साधना हो तभी मन का कोलाहल शांत हो सकता है और जब तक यह कोलाहल शांत नहीं होगा ‘ध्यान’ नहीं टिकेगा. ध्यान के लिए स्वयं को तैयार करना होगा. सभी तरह के कार्यों को कुछ देर के लिए तिलांजलि देकर मन को हर तरह की तरंगों से मुक्त करना होगा, नहीं तो ‘ध्यान’ में दिया गया समय व्यर्थ ही जायेगा. कल शाम को और रात तक वह उद्ग्विन थी, कारण जो भी रहे हों पर उसके लिए यह पथ पर आगे बढ़ने के बजाय पीछे जाने के संकेत थे, तभी कबीर ने कहा है, इस पथ पर वही चले जो शीश कटाने को तैयार हो, पर यहाँ वह अपना अहम् पल-पल आगे ले  आती है. कल मौसम भी काफी गर्म था, लेकिन सुख-दुःख, शीत-ग्रीष्म, मान-अपमान में एक सा रहना होगा. मौसम को इतना महत्व देने की वृत्ति बना ली तो ‘ध्यान’ में मन कैसे टिकेगा, आधा घंटे के ‘ध्यान’ से चौबीस घंटे के लिए ऊर्जा मिल सकती है, जो मन को स्थिर रखने में सहायक होगी. अभी-अभी क्लब की एक सदस्या का फोन आया, वह उन्हें पहचानती नहीं, पर फोन पर उसने बहुत प्यार से बात की. आज शाम को मीटिंग में पढ़ने के लिए कविताएँ उसे डायरी से उतार लेनी चाहिए, सम्भव है कुछ नये शब्द या भाव भी उतर आयें. कुछ पंक्तियाँ भूमिका के लिए भी लिखनी होंगीं. कल शाम को बड़े भाई का फोन आया, अगले हफ्ते वे छोटी बहन के पास हिमाचल जा रहे हैं. रात का छोटे भाई व पिता का फोन भी आया.

मृत्यु बोध को प्राप्त हुए बिना जीवन विकार मुक्त नहीं हो सकता. यदि कोई हर क्षण मृत्यु को याद रखे तो जीवन यात्रा निर्विघ्न चलेगी, आज जागरण में सन्त ने मृत्यु का प्रभावशाली शब्दों में एक कविता के रूप में वर्णन किया. जिसमें अपनी ही अर्थी के आगे आगे चलते हुए कवि स्वयं गाता है. दो दिन की गर्मी के बाद होती हुई वर्षा और बादल आज मोहक लग रहे हैं. कल की मीटिंग अच्छी रही, उसने गजल पढ़ी, कई लोगों ने तारीफ़ भी की लेकिन ज्यादातर को समझ में नहीं आयी होगी जैसे उसे असमिया भाषा की रचनाएँ समझ नहीं आ रही थीं. आज नन्हे का हिंदी का इम्तहान है. कल वह दो किताबें लायी, एक रेकी पर है और दूसरी self help पर. जून कल शाल्मीरा नामक स्थान पर फ़ील्ड ड्यूटी पर गये थे. शाम को काफी थक गये थे, सो शाम के वक्त का उपयोग केवल टीवी देखकर किया, लेकिन उसे आजकल सिवाय समाचार के कुछ भी  देखने में रूचि नहीं रह गयी है. कल दोपहर उसने पिता की दी हुई डायरी में से कुछ कोटेशन्स पढ़े जो उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के ‘सेक्रेड स्पेस’ से कई दिनों तक या वर्षों तक कॉपी किये हैं. कुछ बहुत प्रेरित करने वाले थे. आज फिर पढ़ेगी.  


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