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Wednesday, October 15, 2014

हाउ टू नो गॉड - दीपक चोपड़ा की किताब


आज बैसाखी है, बीहू और गुड फ्राईडे भी. पूरे भारत में लोग कोई न कोई त्योहार मना रहे हैं. नन्हा और जून दोनों की छुट्टी है पर जून अपने विभाग में किसी कार्य में व्यस्त हो गये हैं. कल रात भी देर से घर आये, वह दिन में छूट गया अपना संगीत अभ्यास कर रही थी. उसके पूर्व मित्र परिवार आया था, उन्होंने स्वादिष्ट केक काटा जो दिन में बनाया था. नन्हा घर पर हो तो आजकल पढ़ाई और कम्प्यूटर गेमिंग ये दो काम ही करता है. आज सुबह वे उठे तो पहले वोल्टेज बहुत कम था फिर बिजली चली गयी. सुबह ‘जागरण’ एक दिन भी न सुने तो दिन की शुरुआत ढंग से नहीं हुई लगती है. सुबह वीमेन’स इरा का क्रॉस वर्ड हल करने में कुछ समय लगाया शेष सामान्य कार्यों में. समाचारों में सुना वाजपेयी जी ईरान के सांस्कृतिक शहर शीरान पहुंच रहे हैं. अमेरिका व चीन में टोही विमान की टक्कर के मामले को लेकर अभी तक आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं. आस्ट्रेलिया में nascom के प्रमुख श्री देवांग जो भारत में सूचना तकनीक के प्रमुख कार्यकर्ता थे, की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गयी है. इस वक्त भी हिंदी कविता की किताब उसके पास है. इन छुट्टियों में करने योग्य कई कार्य थे जो अभी तक शुरू भी नहीं किये हैं. उसने देखा है अक्सर योजना बनाकर काम करना सम्भव नहीं हो पाता, कुछ अप्रत्याशित आ जाता है जिसे स्वीकारना होता है. अभी दो पत्र लिखने भी शेष हैं, क्यों न पत्र लिखने से ही शुरुआत की जाये.
कल रात छोटी बहन का फोन आया, उसने कहा कल सुबह उसे शहर में होने वाली cross-country race में जाना है, पांच बजे उसे उठाना है सो वे फोन करके उसे उठा दें. नूना को हँसी भी आई और अच्छा भी लगा. सुबह पांच बजे से पहले ही उसे उठा दिया पर जैसी मूसलाधार बारिश यहाँ इस वक्त हो रही है वैसी ही वहाँ हो रही थी. उसे अंदेशा था की रेस टल जाएगी. कल जून रात को आठ बजे घर आ पाए. उसने शाम को घर का कुछ काम किया, आज पर्दों की धुलाई का भी काम हो गया.
कल सुबह वह लिख नहीं पाई, काफी समय एक सखी से फोन पर बात करने में चला गया. दोपहर को गुलाब जामुन बनाने के बाद टीवी चला लिया सो ‘कविता’ से मुलाकात नहीं हो पायी. लेकिन आज से यह असावधानी और प्रमाद नहीं होगा. उसकी यात्रा जारी रहेगी. कल लाइब्रेरी से दीपक चोपड़ा की किताब लायी है उसने भी उसके विश्वास को बल दिया है. वर्षा का मौसम जारी है. माली ने बगीचे से प्याज की फसल निकल कर दी है अभी कई दिन इसे सूखने में लगेंगे. कल जून ने प्रकाशक से बात की वह किताब के कुछ और नाम बतलाने वाले हैं. वर्षा तेज हो गयी है अभी तक स्वीपर नहीं आया है. उसका ध्यान कुछ देर के लिए नैनी पर चला गया जो कपड़े धो रही है. उसे काम करने का इतना अभ्यास हो गया है कि जिस काम को करने में नूना को आधा घंटा लगता है उसे सिर्फ दस मिनट लगते हैं अभी-अभी सफाई वाला भी आ गया है पानी में तरबतर है उसे उसने जून की एक पुरानी कमीज पहनने को दी है. जब कोई ईश्वर के निकट होता है, वह उसे शुभ की ओर स्वयं ही लगा देता है.  
कल शाम क्लब की एक सदस्या का फोन आया, इस महीने महिला समिति की बैठक में उसे कविता पढ़ने के लिए कहा है. literary meet का आयोजन किया जा रहा है. एक सखी का फोन अभी आया उसकी माँ अस्पताल में किसी जानलेवा रोग से संघर्ष कर रही थीं, कल उन्होंने बहुत दिनों बाद आँख खोली. उसने सोचा पड़ोसिन के साथ वह उससे मिलने जाएगी. नैनी ने अपने बेटे के कुरान की कसम खाने पर विश्वास कर लिया है कि रूपये उसने नहीं चुराए. माँ का दिल ऐसा ही होता है. बेटा लेकिन भविष्य में इससे गहरी चोट भी दे सकता है यदि उसे अभी से संभाला नहीं गया.
‘जागरण’ में परसों सुना था इच्छाओं को निवृत करना है, आवश्यकता की पूर्ति होती रहे क्या इतना पर्याप्त नहीं. आज सुबह से दो बार उसने स्वयं को सुने हुए पर अमल करते देखा. एक बार क्रोध का भाव जगने से पहले ही उसे समझा दूसरी बार इच्छाओं को पोषण करने वाली मानसिक वृत्ति को टोका. इस समय जितना कुछ है पर्याप्त है और की न आवश्यकता है न ही कल्पना करके स्वयं को अपनी ही दृष्टि में गिराने की जरूरत है. व्यर्थ की बातें ही साधक को मार्ग से भटकाती हैं. कल दीपक चोपड़ा की किताब का काफी अंश पढ़ा. बहुत अच्छी पुस्तक है. अपने हृदय के कई प्रश्नों के जवाब उसमें मिले. कई बातों की पुष्टि हुई. एक गुरु की तरह वह सारे संशयों का निराकरण करते जाते हैं. ईश्वर के प्रति उसकी निष्ठा और दृढ हो गयी है, वैसे निष्ठा अगर है तो है, नहीं है तो नहीं है.  

 


Wednesday, March 19, 2014

सफलता के सात सुनहरे सूत्र


ठंडी हवा शीतलता दे रही है और हरीतिमा आँखों को सुकून. आज श्री अरविंद पर एक कार्यक्रम देखा, विलक्षण प्रतिभा के धनी श्री अरविंद महान चिंतक थे, भारत के प्रति प्रेम से परिपूर्ण, इस देश की यात्रा को आगे ले जाने वाले एक मनीषी ! कल शाम लाइब्रेरी से दो पुस्तकें लायी, तसलीमा नसरीन की ‘लज्जा’ और दीपक चोपड़ा की ‘Seven golden laws for success’. कल शाम ही पहला अध्याय पढ़ा, ध्यान, मौन और दूसरों का आकलन न करने का प्रण, तीन बातों पर जोर दिया है. घटनाओं, मनुष्यों, परिस्थितियों को आंकते चले जाने की आदत ही दुखी रखती है. कल दोपहर अखबर में ‘हरिवंश राय बच्चन’ का एक इंटरव्यू पढ़ा, काट कर फ़ाइल में रखने योग्य है. कल जून नन्हे के स्कूल गये थे, सभी टीचर्स से मिले, सभी ने उसकी तारीफ की तथा उपयोगी सुझाव दिए. हिंदी लेखन के कोर्स में एक प्रश्न प्रेमचन्द की कहानी ‘कफन’ पर है, जून ने कहा है कि वह हिंदी पुस्तकालय से उनकी पुस्तक ला देंगे. जून हमेशा सहायता करने को तैयार रहते हैं. आज वह उसे ‘सैकिया प्रिंटर्स’ भी ले जायेंगे, लेडीज क्लब के बुलेटिन लाने के लिए. आज महादेवी वर्मा की एक कविता पढ़ी, ‘जो तुम आ जाते एक बार’, अज्ञात प्रेमी के लिए उनकी तड़प स्पष्ट शब्दों में व्यक्त है. वह रहस्यमय व्यक्ति या शक्ति, अथवा ईश्वर कोई भी रहा हो, रचने की प्रेरणा उसी ने दी. किसी की प्रतीक्षा, प्रतीक्षा के लिए..जैसे कला कला के लिए.

शमशेर की कविता ‘उषा’ पढ़ाई, कविता अच्छी है, पर सीधी सपाट नहीं, नील जल में झिलमिल गौर देह... का क्या तात्पर्य है, सूरज या सफेद बादल.. सम्भवतः बादल ही. आज सुबह अलार्म सुनते ही उठ बैठे वे. रात को नूना दीपक चोपड़ा की किताब पढकर सोयी थी, सपनों को व्यवस्थित करती रही, वह कहते हैं, हर दिन मिलने वाले हर व्यक्ति को कुछ न कुछ देना चाहिए, चाहे वह एक फूल हो, एक शुभकामना हो अथवा कम्प्लिमेंट ही क्यों न हो ! कुछ देर पूर्व पड़ोसिन से बात हुई, उसकी तबियत फिर खराब है, अस्वस्थ होने को लोग इतना सामान्य क्यों मानते हैं, स्वस्थ रहना, चुस्त रहना तो हर एक का कर्त्तव्य है और जीवन का सबसे बड़ा सुख भी. इस वक्त, इस क्षण में वह स्वयं को बहुत स्पष्ट देख पा रही है, मानसिक स्तर पर कोई उहापोह नहीं है, जीवन से कोई शिकायत नहीं, कोई उलाहना नहीं देना. जो हो रहा है वही होना चाहिए था, इस सृष्टि में हर घटना के पीछे एक कारण है, भविष्य में जो होगा वह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वर्तमान में कोई क्या कर रहा है. यदि वर्तमान संतुष्टि प्रदान करता है, उसे अपने लाभ के लिए साधा जा सकता है. अपने लाभ में अपने परिवेश का, अपने परिचितों का, समाज का सबका लाभ है.

जो क्रम उसने सुबह निर्धारित किया था, अभी तक तो उसके अनुसार चल रही है, आधा घंटा ध्यान, आधा घंटा व्यायाम, आधा घंटा लेखन..इसी बीच दो फोन भी कर लिए. एक सखी से बात की तो लगा...नहीं उसे किसी का मुल्यांकन नहीं करना है, वह जैसी है, वैसी है, और जैसा सोचती है उसे वैसा सोचने का हक है. अंततः आज उनका कम्प्यूटर इंस्टाल हो गया, जून और नन्हा दोनों उसमें व्यस्त हैं, उसे भी बुलाया तो हाथ जोड़कर उसने माउस पर हाथ रखा, हल्के से छूने पर भी स्क्रीन पर चित्र बदल जाते हैं, उसमें वे गीत सुन सकते हैं, चित्र बना सकते हैं, लिख सकते हैं, फिल्म देख सकते हैं, जितने CD उनके पास हैं अभी सारे नहीं देखे हैं. एक नई दुनिया के द्वार उनके लिए खुल गये हैं.

जून को कुछ देर पहले फोन किया, लगा, जैसे कोई उनके पास बैठा था, सो, ‘ठीक है’, ‘हाँ’ के अलावा कोई उत्तर नहीं दे रहे थे. आज एक सखी के विवाह की सालगिरह है, उसके लिए एक कविता लिखने का प्रयास किया. कल सुबह नहाते समय उसकी आंख में रीठे-आंवले का पानी चला गया था, अभी तक हल्का दर्द है. अभी ग्यारह भी नहीं बजे हैं पर धूप इतनी तेज है कि लगता है दोपहर बाद का वक्त हो. आज से खिड़कियाँ खोलकर रखने के दिनों की शुरुआत हो गयी है और  हल्के रंगों के ढीले-ढाले सूती वस्त्र पहनने के दिन भी, जो सर्दियों की शुरुआत में सहेज कर रख दिए गये थे. उसे अचानक महसूस हुआ आज कहीं कुछ छूटा हुआ सा लग रहा है, जैसे कोई बहुत जरूरी बात कहीं रह गयी हो. वर्तमान में रहने के सुनहरे नियम के अनुसार उसे फ़िलहाल तो किचन में जाना चाहिए. खिड़की से गन्धराज के फूलों की और कमरे में रखे गुलाब की बासी मीठी महक हवा में भर गयी है.