Thursday, September 4, 2014

जीवन और मृत्यु


कल दिन भर एक अजीब सी पशोपेश में गुजरा, जून के फोन भी कई बार आए. पहले वह मान गये कि नन्हा और मुझे वहाँ पहुंच जाना चाहिए पर रात को अस्पताल पहुंचकर उन्होंने न आने के लिए कहा. वह उसे व नन्हे को परेशानी से बचाना चाहते हैं. सभी लोग तो वहाँ हैं ही, दीदी, छोटी बहन, सभी भाई, पिता और जून. माँ की हालत में थोड़ा सुधार तो हुआ है पर अभी भी ऑक्सीजन दी जा रही है और वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ेगा, जिसके लिए बड़े हॉस्पिटल में शिफ्ट करने की जरूरत थी. अब तक शायद यह कार्य हो चुका होगा. जून का फोन आने पर ही पता चलेगा. उसके मन में विचारों का एक प्रवाह चल रहा है. देह का संबंध तो एक न एक दिन छूट ही जाना है, मृत्यु के पाश से कोई नहीं बच सकता पर आत्मा का संबंध अमर है, उसका संदेश अवश्य माँ तक पहुंच रहा होगा. वह इस समय अस्पताल में जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रही हैं, किसकी जीत होगी कहा नहीं जा सकता. वह किसी भी फैसले के लिए तैयार है. उनका दुःख कम होगा. पिछले कई महीनों से जो परेशानी वह झेल रही थीं, उससे मुक्त हो जाएँगी. अपने जीवन के सारे कर्त्तव्य पूरे कर चुकी हैं. कोई ऐसी बात नहीं जो उन्हें मोहयुक्त कर सके, सत्संग व शास्त्रों का ज्ञान उन्हें है. मोहमाया के जाल को समझ कर काट चुकी हैं. अंतिम यात्रा पर निकलना तो एक दिन सभी को है. यदि ईश्वर ने उन्हें कुछ और मोहलत दी तो परिवार को उसका कृतज्ञ होना चाहिए, नहीं तो उनकी अंतिम यात्रा को स्वीकार कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि देनी चाहिए. ईश्वर पर भरोसा रखते हुए उनकी यात्रा को सुखद बनाने का प्रयत्न करना चाहिए.

इस समय उसे जून के फोन का इंतजार है, कल रात फिर उन्होंने आज भी न चलने के लिए कहा, उसे उनकी बात माननी चाहिए पर अपने मन का क्या करे ? दीदी से बात की तो लगा उसे वहाँ पहुंच जाना चाहिए. माँ बहुत बेचैन हैं उसके बारे में पूछ रही थीं. रात भर सो नहीं पायीं, भाई ने बताया. उनकी तबियत काफी खराब है यह तो स्पष्ट ही है, इसके बिना कोई ICU में नहीं रहता. वह यह लिख ही रही थी कि जून का फोन आया , कल वह स्वयं ही आ रहे हैं, रात को फिर फोन करेंगे. उनसे बात करके मन हल्का हो गया, उनकी आवाज में कोई जादू है जो उसे अपने वश में कर लेती है. उनसे बात करने के बाद ही नित्य के कार्य-कलाप में व्यस्त हो पायी. ध्यान में ईश्वर से सलाह मांगी, वह भी जून की तरफ हैं.

सुबह से दो बार फोन आ चुका है. उनकी फ्लाइट लेट है. सुबह छोटी भाभी से बात हुई, माँ की तबियत जो सुधर रही थी, फिर खराब हो गयी है. अभी-अभी फोन की घंटी बजी तो दिल धक से रह गया, कहीं वही खबर न हो जिसका डर हमेशा बना रहता है. कल रात को सोये कुछ ही देर हुई थी कि किसी के फुसफुसाने की आवाज आई, दिल जोरों से धड़कने लगा. रात को स्वप्न में देखा, माँ नहाने गयी हैं, कपड़े धोने की आवाज आ रही है, पिता ने उसे उन्हें बुला लाने को कहा. उसने कपड़े धोने को मना किया तो बोलीं, हाँ, सिर में दर्द भी है. आवाज कमजोर थी. दूर होने की वजह से वह उनसे मिल नहीं पा रही है जबकि उसका मन हमेशा वहीं रहता है. नन्हा आज सुबह समय पर उठ गया, सभी काम समय पर किये फिर थोड़ा पहले ही बस स्टैंड चला गया. वह घर में रहता था तो चहल-पहल सी रहती थी पर अब न जाने क्यों मन रुआँसा सा हो रहा है. अभी-अभी फोन फिर से आया है. उनकी फ्लाइट कैंसिल हो सकती है. आज उन्हें  दिल्ली में ही रहना पड़ सकता है.

जून आज सुबह आ गये. कल उनकी फ्लाइट गोहाटी में ही टर्मिनेट हो गयी. आगे की यात्रा रात्रि बस से करनी पड़ी. आज उसे जाना है, पर फ्लाइट का कोई भरोसा नहीं है, देर से चलेगी. बड़े भाई दिल्ली में उसे लेने आयेंगे. आज ही उन्हें एक विवाह में भी जाना है. यही है जीवन की निस्सारता, दुनियादारी तो निभानी ही पड़ेगी. जून सुबह-सुबह ही ऑफिस चले गये. इतने दिनों की यात्रा के बाद भी वह अपनी आंतरिक शक्ति के बल पर ठीकठाक हैं. उसे भी इस बल की बहुत आवश्यकता पड़ने वाली है. पहली बार हवाई जहाज से अकेले सफर करना है. सुबह नन्हे से बात भी नहीं कर पायी.



2 comments:

  1. उफ्फ! जीवन में इस तरह के मौक़े जब भी आते हैं, दिन और रात की रफ्तार इतनी सुस्त हो जाती है कि लगता है वक़्त काटे नहीं कटता. टेलिफ़ोन की बजती हुई हर घण्टी पर साँसें थम सी जाती हैं और हर आहट पर दिल धक से हो जाता है.
    हम सब जानते हैं कि यह जिस्म सिर्फ़ एक चोला है, चोला माटी का... लेकिन हक़ीक़त इतनी बेरहम होती है कि चुभता है दिल में और सारी बातें दिमाग़ से बाहर हो जाती हैं!

    परमात्मा आरोग्य प्रदान करे! वो माँ से मिल सके!

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