Tuesday, April 8, 2014

कौसानी के पर्वत


आज कृष्ण जन्माष्टमी भी है और जून का जन्मदिन भी, सुबह से वर्षा हो रही है, वे सुबह साथ-साथ उठे पर वह उसे तत्क्ष्ण शुभकामना देना भूल गयी. ब्रश करने के बाद कम्प्यूटर में कल बनाये कार्ड को दिखाकर उन्हें बधाई दी. तभी पिता का फोन भी आया, वे दशहरे पर ही यहाँ आना चाहते हैं, और जून के अनुसार इतने कम दिनों के दिनों के लिए उनका आना उचित नहीं है पर नूना को लगता है उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार निर्णय लेने की आजादी होनी चाहिए. कुछ देर पहले उस सखी का फोन आया जिसने स्कूल जाना शुरू किया है, आज स्कूल बंद है. अभी-अभी वह बातूनी सखी आई थी, आत्मविश्वास से भरी हुई, नीले रंग का सूट पहने लम्बे बालों को एक रबर बैंड से बांधे, लाल बिंदी माथे पर, उसे देखकर अच्छा लगा. कामकाजी महिलाओं के व्यक्त्तित्व में एक खास बात( जो सबमें नहीं भी आती) होती है, उसमें है. तीन दिन बाद  नन्हे का स्कूल खुल रहा है, उसका कुछ project कार्य अभी भी शेष है. आज उसने music India CD का रिव्यु पढ़ा, जिसमें सभी रागों का विवरण है साथ ही प्रख्यात शास्त्रीय गायकों की आवाज भी, उसने सोचा, भविष्य में कभी वे खरीदेंगे. कल पन्द्रह अगस्त है, जिसे कल शाम छोटी सी पार्टी रखकर वे मनाना चाहते हैं. जून का जन्मदिन अपने तौर पर, किन्तु  देश की आजादी की वर्षगाँठ वे सबके साथ मिलजुल कर मनाएंगे. आजकल यहाँ अल्फ़ा की गतिविधियाँ बढ़ गयी हैं, कुछ आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं. कल ‘पूर्ण असम बंद’ है, कैसा विरोधाभास है.

पिछले दो दिन व्यस्तता में बीते, परसों वे सुबह से ही शाम के डिनर की तयारी में जुटे थे. नन्हे ने डाइनिंग टेबल सजाई, घर विशेषतौर पर ड्राइंग रूम अच्छा लग रहा था. दोपहर से ही खाने की तैयारी शुरू कर दी थी क्योंकि दोपहर बाद ‘विवेकानन्द’ फिल्म देखनी थी, फिल्म अच्छी थी, गीत भी सुमधुर थे, भक्तिरस में डूबे हुए भजन. नन्हा अब बड़ा हो रहा है उसे भी फिल्म अच्छी लगी. कल शाम उसने एक कार्यक्रम भी देखा self management पर, उसे समझ में आया कि स्वयं को कैसे मेंटली और इमोशनली  संयत करना है. गर्मी की छुट्टियों के बाद आज उसका स्कूल खुला है, नूना बहुत दिनों के बाद घर में अकेली है, उसका साथ बहुत अच्छा लगता था, उन दिनों जब जून भी नहीं थे, वह उससे घंटों बातें करता था. जून और नन्हा इन दोनों के साथ उसका मन इस कदर जुड़ा हुआ है कि...
आज सुबह नैनी की बेटी को लेकर वे अस्पताल गये, उसे टिटनेस का टीका लगवाना था, पिछले चार-पांच  दिनों से उसके पैर में चोट लगी थी, पर घाव सूखने के बजाय पैर ही सूज गया है. जून के आने का वक्त हो रहा है, उन्हें बाजार होते हुए आना है पर बरसात है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. परसों शाम उनकी पार्टी अच्छी रही पर कल सुबह सोकर उठी तो गले में खराश थी, कई बार गरारे किये काफी राहत मिली, आज संगीत कक्षा में भी जाना है.

असमिया सखी ने कुछ देर पूर्व बड़े अधिकार से अपनी बिटिया के लिए मोज़े बुनने को कहा, सुबह जून के जाने के बाद IGNOU के प्रसारण में शिशु गृह के नन्हे-मुन्नों को देखकर पहले ही उसका मन वात्सल्य भाव से परिपूर्ण था. छोटे-छोटे कदम उठते मासूम बच्चे अपनी गतिविधियों से सभी को मोहित कर लेते हैं. उसने सोचा आज ही वह बुनना शुरू कर देगी. कई दिनों के बाद उसकी दिनचर्या पहले की भांति नियमित हुई है. कल दिन भर वर्षा होती रही, इस वक्त भी आकाश में बदली तो है. नन्हा कल स्कूल से आकर खुश था, बहुत दिनों बाद उसके साथ कल ‘वाटर पेंट’ किया, बच्चों के साथ कितना कुछ दोहरा लेते हैं माता-पिता, जो बरसों पहले सीखा तो होता है पर मन के किसी कोने में जंग खा रहा होता है. कल वह लाइब्रेरी से तीन किताबें लायी है, उसने ध्यान दिया, किचन को छोड़कर उनके घर के हर कमरे में किताबें हैं.

आज सुबह से कामों का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह दोपहर जून के जाने के बाद फिर से जारी किया जो अब जाकर खत्म हुआ है, यानि दोपहर के काम शाम पर टल गये और दोपहर सुबह को समर्पित हो गयी. सुबह उसकी छात्रा आयी थी, सार-लेखन व संवाद लेखन के बारे में जानने, एक पुस्तक भी ले गयी है इसका अर्थ है बाद में भी कभी आएगी ही. उसे अच्छा लगा, सम्बन्ध एकदम से टूट जाएँ तो ज्यादा खलता है धीरे-धीरे रेखाएं धूमिल पड़ें तो सहना सरल होता है.

Live in today ! Because past is but a dream and future is just a vision, who learns to live moment to moment is free of worries ! they started their day at 5 in the morning. Yesterday she did an experiment, tried to make curd with the help of a silver coin but pusi the cat drank milk kept for setting curd. She might have come through a window which had remained opened by mistake.

नन्हे और जून के जाने के बाद उसने प्रतिदिन की तरह टीवी चलाया तो ignou के प्रसारण में ‘कौसानी-एक यात्रा वृतांत’ आ रहा था. अल्मोड़ा के आस-पास ही है कौसानी, बेरहमी से काटे जा रहे जंगलों के कारण ही भूस्खलन की घटनाएँ गढवाल में बढ़ गयी हैं. कल ही दो सौ लोगों के दबकर मरने की खबर पिथौरागढ़ से आई थी और आज रुद्रप्रयाग में भी ३७ लोग चट्टानों के नीचे दब गये, जो पहाड़ इतने सुंदर लगते हैं वे इतने निर्मम भी हो सकते हैं. 

2 comments:

  1. कौसानी यहाँ से 60 कि मी की दूरी पर है शुरु किया तो लगा कौसानी का पर्वत ही नहीं दिख रहा है बस । अंत हुआ तो समझ में आ गया :)

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