‘हर पल अपने विचारों पर नजर रखना
अर्थात यह ज्ञात होना कि मन क्या सोच रहा है, ध्यान की पहली सीढ़ी है. ध्यान से
जीवन में गहराई आती है. जीवन का ध्येय है सत्य की खोज ! लेकिन सत्य क्या है ? उसकी खोज क्यों करनी है ?
यह जगत क्या है ? क्यों है ? इस तरह के प्रश्नों के हल ढूँढने के बजाय क्या उन्हें
इस जग में रहकर जीवन को और सुंदर बनाने का ही प्रयत्न नहीं करना चाहिए, जीवन में
सुन्दरता तभी आ सकती है जब मन प्रेम से ओत-प्रोत हो, कोई दुर्भावना न हो, कहीं
अन्तर्विरोध न हो. जैसी सोच हो वही कर्मों में झलके और वही वाणी में, लोग किसी भी
प्राणी या वस्तु के प्रति भी हिंसक न हों और यह सब स्वतः स्फूर्त हो न कि ऊपर से
ओढ़ा गया. जब फूल खिलता है तो उसके पास जाकर पंखुड़ियों को खोलना नहीं होता, नदी
पर्वतों से उतरती है तो अपना मार्ग स्वयं ढूँढ ही लेती है. ऐसे ही उनके मनों में
शुभ संकल्प उठें अपने आप, जीवन के कर्त्तव्यों को नियत करें और उन्हें पूर्ण करें’.
कल नूना की डायरी पर अचानक
नजर पड़ गयी तो जून ने यह सब पढ़ा था, कुछ-कुछ उसकी
समझ में आया पर ज्यादा नहीं. आज सुबह पांच बजे का अलार्म सुनते ही वह उठ
गया, यह वही जून है जो कुछ वर्षों पहले साढ़े छ बजे भी उठा करता था कभी-कभी, और
दौड़ते-भागते बस पकड़ता था. अब समर्पित है अपने काम के प्रति, परिवार और मित्रों के
प्रति भी. कल शाम नन्हे की क्लास के कारण वे एक मित्र के यहाँ नहीं गये. दफ्तर से
घर लौटा तो नूना उदास थी, पता चला, दोपहर को पहले तो उसकी संगीत अध्यापिका आ गयीं,
वह उनके सामने नर्वस हो गयी, दरअसल वह जल्दी आ गयी थीं और वह तैयार नहीं थी, दूसरी
बार उनकी पड़ोसिन आई थीं सिन्धी कढ़ाई सीखने, नन्हा और वह एसी चलाकर बैठे थे, सो
उन्हें दरवाजे की घंटी की आवाज सुनाई ही नहीं दी, शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि उनके
घर से कोई इस तरह बिना मिले वापस गया हो. उसने सुझाव दिया कल वह खुद ही उनके यहाँ
चली जाये और वह मान गयी.
कल रात फिर वर्षा हुई सो
मौसम ठंडा है, जून ने उठते ही कहा, कितना अच्छा मौसम ! नूना ने अपनी असुविधा (
गार्डन में काम के कारण) देखते हुए कहा, अच्छा नहीं है. पर इसकी जरूरत नहीं थी
क्यों कि मौसम को जैसा होना है वह वैसा ही रहेगा, उनकी सुविधा-असुविधा का ख्याल
रखकर तो वह स्वयं को नहीं बदल लेगा. नूना ने दीवाली की सफाई की शुरुआत कर दी है,
आज दोनों गुसलखाने साफ़ करवा रही है. सारी बाल्टियाँ, मग, दीवारें, दरवाजे सभी कुछ.
उसने मन ही मन सोचा, सिविल विभाग में बेड रूम में पेंटिंग करवाने के लिए भी कहेगा.
आज उसे पड़ोसिन के यहाँ भी जाना है, सिन्धी टाँके का आखिरी स्टेप सिखाने. उसने
बताया, आज सुबह से वह अपने विचारों पर नजर रखने का काम कर रही है, देखा कि कभी
अतीत और कभी भविष्य में झूलता रहता है मन, टिकता नहीं कहीं भी. एक बात भी उसने आज
सीखी ‘जार्ज बर्नार्ड शा’ से, वह हर दिन पांच पेज लिखते ही थे सो आज से वह भी नियमित
आसन, संगीत और डायरी के साथ साथ नियमित लिखने का भी अभ्यास करेगी, रोज पांच पेज ?
आज धूप तेज है, कल सुबह
उन्होंने धूप लगाने के लिए गद्दे, तकिये बाहर निकाले ही थे कि आधे घंटे में ही
बादल छा गये और जल्दी-जल्दी सभी सामान उन्हें वापस रखना पड़ा. उसका दफ्तर आज बंद
है, कुछ सामान पीछे आंगन में रखा है, नूना के साथ शर्त लगाई थी कि आज मौसम खुश्क
रहेगा या नम, और लगता है वह हार गयी, पर उसे पता है हार की बात पर यही कहेगी,
हारने में भी अपना एक मजा है. उसे उससे क्रॉस वर्ड हल करवाने में भी बहुत आनन्द
आता है, शायद वह जानती है, अपने आप वह यह काम कभी नहीं करेगा. उसके दफ्तर में पूजा
है, पहले सोचा था वे नहीं जायेंगे, पर दफ्तर का मामला है, उसने नूना से फोन करके
कहा, उसे पनीर की डिश बनानी होगी, वह झट मान गयी, शायद कल्पना में यह भी देख लिया
हो कि उसकी बनाई सब्जी की सभी तारीफ़ कर रहे हैं. जून ने कई बार ध्यान दिया है, वह
हर समय किसी न किसी कल्पना में खोयी रहती है, टीवी देखती है तो उसमें ड़ूब ही जाती
है, पात्र उसे बाँध लेते हैं, कहती है, लोगों की मासूमियत, जो उनके चेहरों पर झलक
आती है, गहरे जज्बात और एक दूसरे की बात सुनने की तौफीक, उसे पसंद है, उसने पूछा
यह तौफीक क्या होती है, तो कहने लगी शायद सलाहियत..उस समय जून यदि कुछ कहे तो वह
उसको सुनाई नहीं देता. सुबह जब वह उसे विदा करने आती है तो गेट खोलने व बंद करने
का काम करती अवश्य है पर बहुत जल्दी में रहती है, शायद यह काम उसे पसंद नहीं, उसने
सोचा, कहीं यह उसका वहम ही न हो.
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