Saturday, December 22, 2012

तरला दलाल की किताब



होली भी आकर चली गयी और उसकी नींद नहीं टूटी. कई दिनों के बाद आज डायरी खोली है. हफ्तों बीत गए मन से बातें किये हुए, पता नहीं चलता कैसे दिन गुजर जाते हैं, पूरा दिन इधर-उधर की भाग-दौड़ में गुजर जाता है. कई पुस्तकें हैं पढ़ने के लिए पर पढ़ने का भी समय नहीं मिल पाता लिखने की कौन कहे. इस समय सोनू होमवर्क कर रहा है, यही समय ठीक रहेगा, उसने सोचा, कल से कोशिश करेगी कि नियमित लिख सके. दो दिन की धूप के बाद आज फिर मौसम ने मिजाज बदल लिया है. कल कारपेट भी धुलकर आ गए हैं, अभी सभी बिछाए नहीं हैं. कल जून टैटिंग के लिए धागा भी ले आए हैं, पता नहीं क्यों आजकल वह एकाग्रचित्त होकर पढ़ नहीं पाती है, बल्कि टैटिंग में ज्यादा रूचि होने लगी है. अभी कुछ देर बाद वह लेस बनाना शुरू करेगी. नन्हे के सो जाने के बाद एक केक भी बनाएगी. परसों तिनसुकिया से तरला दलाल की किताब लायी है. आजकल बगीचे की हालत बिगड़ती जा रही है, माली जो नहीं है, वे सोच रहे हैं कि अब तो नए घर जाना ही है, पर अभी एक महीना शायद और लगेगा.

आज फिर वही वक्त है, नन्हा पढ़ाई कर रहा है. भोजन खाकर बैठना कितना मुश्किल लगता है, आज उसने खाना भी कुछ ज्यादा खा लिया है. कल दोपहर उसने पड़ोसिन के साथ मिलकर केक बनाया, बहुत अच्छा तो नहीं बना पर ठीक ही है. अगली बार वह गलती नहीं होगी जो इस बार हुई. अनुभव से ही व्यक्ति सीखता है. कल उसने पत्रों के जवाब भी दे दिए. आज गमलों की मिट्टी थोड़ी उलटी-पलटी, शाम को पानी डालना है, नन्हे के सो जाने के बाद वह यही काम करेगी.

आज दिन की शुरुआत कुछ अच्छी नहीं हुई, पर अब सब ठीक है. जून आज बहुत दिनों बाद खाने के वक्त नाराज हुए. घर कितना गंदा हो गया है, आज सफाई कर्मचारी भी नहीं आया है. नन्हे का आज टेस्ट है, कल व परसों उसकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पायी, पता नहीं कैसा किया होगा. अगले महीने उसकी परीक्षाएं हैं. उसे लगता है कुछ दिनों के लिए वह मौन रहे पर कैसे ? जून इस हफ्ते चार दिनों के लिए कैम्प जा रहे हैं, शायद तभी और वह नन्हे को ज्यादा पढ़ा भी पाएगी.
फिर एक अंतराल ! अपने करीब आने का वक्त ही नहीं मिलता या कहें कि वे बचना चाहते हैं, अपने से मुँह चुराए फिरते हैं. अपने ही सामने अपने को छोटा देखना नहीं चाहते. आज तेरह मार्च है और अगले महीने जून घर जा रहे हैं. उसका जरा भी मन नहीं है, वे सब मिलकर अक्टूबर में जायेंगे जब मौसम भी ठीक-ठीक होगा. तब तक उदासी ? भी शायद कुछ कम हो जाये.
शाम के चार बजे उन्होंने यह शर्त लगाई है कि अगर चुनाव में चन्द्र शेखर प्रधान मंत्री बने तो जून उसे एक साड़ी लेकर देंगे और अगर नहीं बने तो...वह उन्हें एक कॉटन की शर्ट लेकर देगी.
फिर कुछ दिनों बाद डायरी खोली है. आज मन ठिकाने पर है. सुबह साढ़े पांच बजे उठी, महीनों बाद सुबह का आसमान, चिड़ियों का कलरव, सुबह की मधुर बयार का अनुभव किया. कितना अच्छा लगता है सुबह जल्दी उठकर ठंडी हवा में धीरे-धीरे टहलना. आज उसने स्नान में पूरा एक घंटा लगाया, कितना हल्के लग रहे हैं तन व मन दोनों..
रात को जल्दी सो गए थे नन्हा और वह, दोपहर को नन्हा सो नहीं पाया था, वही रिश्तेदार आ गयीं थीं, जिन्हें वह दीदी कहने लगी है. उन्हीं ने बताया, जून को अभी तीन-चार दिन और लग सकते हैं. उसने सोचा अगर इसी ट्रिप में वह घर भी होकर आ जाएँ तो अच्छा है. अन्यथा अगले महीने फिर अकेले, अब अच्छा नहीं लग रहा है. दो-तीन बार नन्हे की आँखों में आंसू देखे हैं उसने, पिता की याद उसे भी सताती है. उसके मन में नन्हे पर असीम ममता उमड़ आई.





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