Saturday, January 2, 2021

राष्ट्रीय खेल दिवस



सवा ग्यारह बजे हैं, जून आज देर से घर आने वाले हैं. क्लब में एजीएम चल रही है, शायद एक बजे के बाद आएंगे. नन्हा बाहर बगीचे में झूले पर बैठकर पढ़ रहा है. उसे नहाने के लिए कहा तो वह बाहर चला गया. मौसम इतना गर्म है और वह कल भी दोपहर तक नहीं नहाया था. उसे तन की साज-सज्जा का शौक नहीं है. अब इतनी उम्र होने को आयी है, विवाह भी हो गया है, यदि अब  भी रोज सुबह उठकर नहाने का मन नहीं होता तो आगे  खुदा ही मालिक है. सवा ग्यारह बजे हैं, जून आज देर से घर आने वाले हैं. क्लब में एजीएम चल रही है, शायद एक बजे के बाद आएंगे. नन्हा बाहर बगीचे में झूले पर बैठकर पढ़ रहा है. उसे नहाने के लिए कहा तो वह बाहर चला गया. मौसम इतना गर्म है और वह कल भी दोपहर तक नहीं नहाया था. उसे तन की साज-सज्जा का शौक नहीं है. अब इतनी उम्र होने को आयी है, विवाह भी हो गया है, यदि अब  भी रोज सुबह उठकर नहाने का मन नहीं होता तो आगे  खुदा ही मालिक है. 


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं. पिछले चार-पांच दिनों से नन्हे के आने तथा एजीएम के कारण जो व्यस्तता बनी हुई थी, वह समाप्त हो गयी है. उस दिन अचानक आकर उसने चौंका ही दिया था, कहने लगा, असम में अंतिम वर्ष है जब वे स्वतन्त्रता दिवस और जून के जन्मदिन की पार्टी दे रहे होंगे, बंगलौर से ढेर सारी मिठाई और अन्य व्यंजन भी लाया था. आज वापस चला गया, दोपहर को सन्डे क्लास में बच्चों को उसके लाये रसगुल्ले और नमकीन खिलाई, रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया. अभी उसका संदेश आया, पहुँच गया है. आज कई राज्यों में बहुत तेज वर्षा हुई, बाढ़, भू स्खलन आदि के कारण लाखों लोगों को कितने कठिन हालात में रहना पड़ रहा है. जून आजकल जरा जल्दी झुंझला जाते हैं, शायद सेवानिवृत्ति निकट आने की वजह से, वैसे यह उसका वहम भी हो सकता है. 


पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, शाम को लाइब्रेरी से लायी एक पुस्तक पढ़ी, पर जब जीवन ही माया है तो उसमें कल्पना का और समावेश करने की क्या आवश्यकता है, कविता ज्यादा करीब लगती है सत्य के... पिछले दिनों नियमित नहीं लिखा, असजगता का परिणाम था, आश्चर्य भी होता है कि अब भी उहापोह शेष है, पर शायद कोई कर्म उदित हुआ था जिसका भुगतान इसी तरह होना था. बहुत दिनों बाद आज चार पोस्ट प्रकाशित कीं, लेखन और पाठन ही उसके प्रिय कार्य हैं, जिन्हें करते समय समय का भी भान नहीं रहता. नन्हे ने मोबाइल में कई नए ऐप्स इनस्टॉल कर दिए हैं, उसके आने से टेक्नोलॉजी का ज्यादा उपयोग करने लगते हैं वे. समाचारों में सुना कांग्रेस के नेता व पूर्व गृहमंत्री पी चिदम्बरम को तलाश किया जा रहा है, उन्हें सीबीआई की कस्टडी में रखा जायेगा. कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री की हिरासत की बात सुनकर उसे लगा था , भारत में बदले की राजनीति नहीं होती. पर राजनीति में यह उठापटक सामान्य बात है. दुनिया के कई देश कश्मीर पर भारत का साथ दे रहे हैं. कल छोटी बहन से बात हुई, उसने अपनी ड्यूटी के दौरान पैंसठ फोन कॉल्स अटैंड कीं, कितनी श्रमसाध्य होती है एक डाक्टर  की जिंदगी. उसने बताया, मुस्लिम देशों में महिलाओं की स्थिति दयनीय होती है. उसके अस्पताल में कई महिलाएं आती हैं जो काफी दिनों से कितनी दवाएं खा रही हैं, वह भाषा की बाध्यता के कारण उन्हें ज्यादा सलाह नहीं दे पाती. लोग कितना दुःख उठाते हैं गलत दिनचर्या के कारण.  दीदी से बात हुई, उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, डॉक्टर ने टीआईए बताया है, एक महीना दवा लेनी है, ज्यादा चलना-फिरना है, कोलस्ट्रॉल बढ़ गया है. छोटे भाई के लिए जन्मदिन की कविता लिखी, उसने अपने टूर के दौरान नए बैंक में अपना जन्मदिन मनाया, सभी कर्मचारी शामिल हुए. नई जगह जाकर भी वह सबको अपना मान लेता है. पिताजी को जून की भेजी चाय मिल गयी है, जो सोनू के पिता जी ने दी थी जब वे गोहाटी गए थे, वह चाय बागानों के लिए सलाहकार हैं. 


आज शाम को भजन संध्या थी, नैनी ने लाल फूलों से मन्दिर सजाया था. रात्रि के सवा आठ बजे हैं. टीवी पर पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के निधन पर शोक संदेश प्रसारित हो रहे हैं. प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर हैं, उनकी तरफ से राजनाथ सिंह जी ने श्रद्धांजलि दी. अमित शाह बहुत गमगीन नजर आ रहे हैं. हाल ही में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं ने अपनी देह त्याग दी. आज शाम वे जून के एक पूर्व सहकर्मी के यहां गए , उनका पुत्र एक संगीत अकादमी चलाता है. उनका घर संगीत के वाद्यों से भरा हुआ था, कई विद्यार्थी भी वहाँ थे. कल सुबह उन्होंने एक परिवार को नाश्ते पर बुलाया है, शाम को वे स्वयं आमन्त्रित हैं. अब उनके शेष दिन इसी तरह लोगों से मिलते विदाई लेते गुजरने वाले हैं. मात्र पाँच दिन शेष हैं जून के कार्यकाल के. शाम को उनके एक पूर्व कर्मचारी की बेटी आयी, वह एलआईसी एजेंट है, पॉलिसी लेने को कह रही थी. उससे पूर्व मृणाल ज्योति से दो लोग आये, उन्हें बगीचे से ढेर सारे पके कटहल तोड़कर ले जाने को कहा था.  


आज खेल दिवस है, हाकी खिलाडी ध्यान चन्द के जन्मदिन को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश व समाज को स्वस्थ रखने के लिए प्रधानमंत्री ने आज ‘फिट इंडिया’ का अभियान भी आरंभ किया.  


उस पुरानी डायरी में पढ़ा, ... “परीक्षाएं समाप्त हो गईं, अभी परिणाम नहीं आया, कुछ  बच्चों को घर पर पढ़ाना शुरू कर दिया है। एक स्कूल में नौकरी के लिए प्रार्थना पत्र लिखा है। सुबह उठी तो मूसलाधार बारिश हो रही थी। फिर मौसम स्वच्छ हो गया. लगभग नौ बजे तक उसने एक झोंपड़ी बनायी। हरा कागज चाहिए और मिट्टी भी, साथ ही हाथी, गाय, कुआँ  और पानी भरती हुई औरत की कटिंग, पेड़  और फूल। फिर रह जाएंगे बल्ब, चाँद और सितारे, उन्हें एक गत्ते पर बनाना होगा कटिंग करके। कल्पना साकार होगी अवश्य। रील मंगवानी है और हरा, सफेद, चमकीला और नारंगी कागज भी।” आज सोचती है तो कुछ भी याद नहीं आता कैसी बनी थी वह झोपड़ी और क्यों बनायी थी ! यहाँ एक ही जन्म की बातें याद नहीं रहतीं और मानव जन्मों की बात करता है !

 

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