Thursday, September 24, 2020

विश्वनाथ मंदिर

 

दोपहर के ढाई बजे हैं, आज नेट नहीं चल रहा और हिंदी लिखने का सॉफ्टवेयर भी काम नहीं  कर रहा, सो लिखने का काम नहीं हो पाया. अब मकैनिक आया है, कम्प्यूटर चेक कर रहा है और एक अन्य व्यक्ति टेलीफोन ठीक कर रहा है. मौसम आज भी बदली भरा है. सुबह इतनी तेज बारिश हो रही थी कि वे टहलने नहीं जा पाए. उसने टीवी खोला तो पता चला आज प्रधानमंत्री का आगमन काशी में हुआ है. वह विश्वनाथ मन्दिर पहुँच चुके हैं, जिसकी बहुत मान्यता है. वह गर्भ गृह में पूजा-अर्चना के लिए बैठे हैं, अशोक द्विवेदी जी उन्हें आचमन करा रहे हैं. योगी जी पीछे हाथ जोड़कर खड़े हैं. वे सभी देश के विकास का संकल्प ले रहे हैं. भारत को विश्व पटल पर एक आदर्श देश के रूप में स्थापित होते हुए  देखने का संकल्प लिया जा रहा है. काशी को उन्होंने अपना चुनाव क्षेत्र चुना है तो इसके पीछे कोई कारण होना ही चाहिए. यह अति प्राचीन नगरी है, जहाँ शिव का अति प्राचीन मंदिर है. इसे आधुनिक काल के अनुरूप स्वच्छ व सुंदर बनाने का काम भी सरकार की तरफ से चल रहा है. उसे वे दिन याद आने लगे जब वे काशी में रहते थे और विश्वनाथ के दर्शन हेतु जाया करते थे. उस समय वहां बहुत भीड़, फूल-पत्तियों के ढेर और कीचड़ हुआ करता था. शायद अब जब उन्हें वहाँ जाने का अवसर मिले तो सब कुछ बदला हुआ होगा. 


रात्रि के पौने आठ बजे हैं. मौसम आज गर्म है, अब दिनोंदिन और गर्म होता जायेगा. जून ने उनके सामान को बंगलूरू ले जाने के लिए पैकर्स से बात करना आरंभ कर दिया है. वे कुछ गमले और पौधे भी ले जायेंगे. आज सन्ध्या योग कक्षा में सभी महिलाओं को उसने आश्रम से लायी गुरूजी की तस्वीर भेंट की. वे चने की मिठाई भी लाये थे, खिलाई. योग साधना करते समय सहज ही ध्यान लग रहा था, आज सुबह उठने से पूर्व कैसा विचित्र अनुभव हुआ, बिना हाथ उठाये वस्तु को उठाने का अनुभव. आँख बन्द किये हुए पढ़ने का अनुभव. सब कुछ कितना रहस्यमय है. जब से बैंगलोर से आयी है, एक विचित्र सी गंध का अनुभव होता है. जून को स्टोर से कोई दुर्गन्ध आ रही थी जबकि उसे उसका पता ही नहीं चल रहा था, जबकि फूलों की गन्ध अनुभव कर पा रही है. आज भूटान यात्रा का विवरण टाइप किया, आयल की हिंदी पत्रिका में छपने के लिए देना है. बहुत दिनों बाद एक कविता भी लिखी और एक अन्य पोस्ट. इतने दिनों बाद कम्प्यूटर पर काम करना अच्छा लग रहा है. 

आज शाम महिला क्लब की कमेटी की मीटिंग थी. इस बार ज्यादातर महिलाएं असमिया हैं, वे हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बोल रही थीं. उसे याद आया भूतपूर्व प्रेजिडेंट के समय पर सभी भाषाओँ का समान प्रयोग होता था. वक्त के साथ हर चीज बदलती है. वैसे नई सेक्रेटरी ने बखूबी संचालन किया. अगले महीने की क्लब की मासिक मीटिंग के लिये कार्यक्रम की रूपरेखा बनानी थी. इस बार कमेटी के सदस्यों को भी भाग लेना है. तय हुआ सारा कार्यक्रम मानसून थीम पर आधारित होगा. उसके लिए यह अंतिम अवसर होगा. बरसात पर कितनी ही सुंदर कविताएं व मनोरंजक गीत मिल सकते हैं. दोपहर को एक कविता लिखी, बल्कि एक विशेष भाव दशा में लिखी गयी जैसे अपने आप ही, देर शाम तक वह भाव दशा रही, पर नींद में रह पायेगी, पता नहीं. 


उसने दशकों पुरानी डायरी खोली - उस दिन एक और पेपर देकर वापस आ रही थी. एक सखी ने पूछा, कैसा हुआ, कहना चाहिए था अच्छा नहीं हुआ पर स्वभाव वश कह दिया अच्छा ही हो गया, पर इतना तो तय है कि पेपर उतने में से ही आता है जितना वह पढ़ती है, बस कुछ चीजें वह सरसरी तौर पर पढ़ती है. लौटते समय बस मिल गयी थी. एक मुसलमान ग्रामीण की मूर्खता या अज्ञानता पर आश्चर्य हुआ थोड़ा सा, क्योंकि यह उसकी ही गलती नहीं उसके परिवेश तथा उसके आस-पास के लोगों की भी है. एक सात-आठ साल की बच्ची ने रोना शुरू कर दिया कि उसके बापू उसे बस में बैठाकर नीचे चले गए हैं. वह डर रही होगी कहीं वह छूट न जाएँ. शायद पहली बार बस में बैठी थी, पर कौन जानता है वह क्यों रो रही थी ? पर उसके रोने में एक लय थी, धीरे-धीरे बच्चों की मासूम आवाज़ में वह रोना लोगों को खल नहीं रहा था. एक अन्य छोटी सी बच्ची उसके पास बैठी थी, जिसकी माँ घूँघट निकाले थी, वह उसकी अंगुली पकड़ लेती थी कभी- कभी, पर इतनी देर में वह एक बार भी मुस्कुरायी नहीं. कितनी ही बार उसने नूना की ओर देखा होगा, पता नहीं बड़ी होकर क्या बनेगी !   


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