Tuesday, June 30, 2020

बसन्त में बौर

आज स्कूल में योग अभ्यास के बाद कक्षा तीन की एक छात्रा ने कहा, उसे योग करना अच्छा लगता है. उसने सामने आकर आसन भी किये. बाकी बच्चों को भी अवश्य ही इससे प्रेरणा मिलेगी. बच्चे ही नहीं बड़ों को भी आज के वक्त में योग सीखना ही पड़ेगा. उस दिन एक परिचिता आयी थी, जो बहुत परेशान थी. आज लड़कियाँ पढ़ लिख गयी हैं, अच्छा कमा रही हैं पर जीवन के सामान्य सुखों से वंचित हैं. वह यहाँ अकेली रहती है, ससुराल दूर है, तबादले की कोशिश कर रही है. आज दोपहर अस्पताल गयी जहाँ क्लब की वाइस प्रेसीडेंट इलाज करा रही हैं, वह कुछ दिन पहले गिर गयी थीं और घुटने में चोट लगी. वह उनके लिए फूल ले गयी और एक कविता भी, जो पढ़कर सुनाई. वापसी में क्लब में खिले फूलों की तस्वीरें उतारने कुछ देर के लिए रुकी. घर के सामने बने हैलीपैड कम वॉकिंग ट्रैक में  कोई टीम गिटार बजाकर शूटिंग कर रही है.

कल रात से ममता बनर्जी अपने ही राज्य में धरने पर बैठी हैं. कोलकाता के पुलिस कमिश्नर भी उनके साथ थे, जिनसे पूछताछ करने कल सीबीआई की टीम आयी थी और उन्होंने उसे ही गिरफ्तार कर लिया था. देश में चुनाव से इतनी हलचल होनी शायद स्वाभाविक ही है. मोदी जी की बढ़ती लोकप्रियता से विरोधी पक्ष घबराने लगा है. जनता समझ रही है कि ममता जी अब बौखलाहट में ऐसे कदम उठा रही हैं. रात्रि के आठ बजे हैं, जून अभी तक नहीं आये हैं, उनके दफ्तर में ऑडिटिंग चल रही है, अभी दो दिन और चलेगी. बसन्त पर एक कविता लिखी, उस दिन सुबह एक मधुर सुवास का अनुभव हुआ तो जून ने कहा था यह आम के बौर की सुगन्ध है, तभी  लिखने का विचार मन में आया था. उनके विचार बदल रहे हैं, यात्रा पर जाने के लिए अब वह पहले जैसे उत्सुक नहीं दीखते. सादा भोजन पसन्द करने लगे हैं. यूट्यूब पर  गुरूजी को सुना, सरल शब्दों में गूढ़ प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे, कितने महान हैं वह, अपने आप में एक पूर्ण सत्ता ! कल रात्रि दो-तीन बार आँख खोलकर घड़ी देखी, सुबह की प्रतीक्षा थी. सुबह जगने से ठीक एक क्षण पूर्व आज्ञा चक्र पर सुंदर कलात्मक ॐ की आकृति दिखी. श्वेत प्रकाश पर काले रंग से बनी, कितना अद्भुत था वह दर्शन ! उसके बाद नीले प्रकाश में कोई चेहरा सा दिखा, सुबह से कई बार दिखा है, पहले भी दीखता है पर वह कौन है, कुछ ज्ञात नहीं. परमात्मा के सिवा जब यहाँ कुछ है ही नहीं तो वह उसकी का भेज देवदूत होगा. 

 नूना ने पुरानी डायरी पढ़ी - एक कविता, जो कालेज की लड़कियों के लिए लिखी थी. 

बड़ी समझदार, थोड़ी नादान
खुद से अनजान, करतीं पहचान 
वर्तमान और भविष्य की कड़ी लड़कियाँ
हवा सी तेज, पानी सा बहाव
आँखों को चुनौती देती 
घड़ी-घड़ी लड़कियाँ 
हँसती-खिलखिलाती 
सदा नए मोड़ पर खड़ी लड़कियाँ
जग की शान, परिवार का मान 
धरती की अंगूठी में जड़ी लड़कियाँ !

भगवद्गीता में कृष्ण कहते हैं, जो उन्हें हर जगह देखता है वह उसका नाश नहीं करते. उसे पूरा यकीन है कि एक दिन ऐसा आएगा जब सब यह तय कर लेंगे कि उन्हें एक साथ मिलकर अपनी अक्ल से आगे बढ़ना है. 
तुलसी यह जग आई के, सबसे मिलिए धाई
न जाने किस रूप में नारायण मिल जाई !

सुबह से वह मृत थी, स्पंदन का अनुभव हुआ अभी कुछ क्षण पूर्ण गेंदे के फूलों के मध्य; अब वह प्रसन्न है. उसके प्रिय वृक्ष के नीचे कितनी ही सूखी फलियाँ पड़ी थीं. उस जगह बैठते ही उसे विचित्र अहसास होता है जैसे वह धरती से दूर कहीं और पहुँच गयी है. उसे यकीन है कि चाहे किसी भी मूड में वहाँ जाये, जाते ही पोर-पोर अनजाने भय से, अनजाने सुख से सिहर उठेगा. अब वह स्वतन्त्र है, हर तरह के दुःख, परेशानियों से स्वतन्त्र, पढ़ने और लिखने के लिए स्वतन्त्र ! 

6 comments:

  1. एक फंतासी एहसास से परिपूर्ण!

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  2. बनाओ ऐसा संयोग।
    प्रतिदिन करो योग।

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    1. और रहो निरोग
      आभार !

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2.7.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा -3750 पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. बहुत बहुत आभार !

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