कल रात्रि चेतना सघन थी, जो भी विचार आता था,
मूर्त रूप होकर दिखने लगता था. कल दोपहर भी कितने अद्भुत दृश्य दिखे. छत की दीवार
से लटकते हल्के बैंगनी रंग के फूलों की झालरें..तथा तेज हवा में उड़ते पत्ते,
वृक्षों की डालियाँ, धूल तथा हवा का शोर भी कितना स्पष्ट था. अद्भुत है उनके भीतर
का संसार ! सुबह उठी तो मन उत्साह से भरा हुआ था. वे टहलने गये, फिर स्कूल गयी,
बच्चों ने ध्यान किया, उससे पूर्व ॐ की ध्वनि सुनाई दी तो वे सहज ही शांत हो गये.
घर लौटी तो नैनी घर में काम कर रही थी, पर पीछे का दरवाजा पूरा खुला था, उसने नैनी
को फटकारा, पर भीतर तब भी सन्नाटा था. ब्लॉग पर पोस्ट डालने के बाद कुछ देर किन्डल
पर पढ़ने का विचार आया, पिताजी बाल्मीकि रामायण की बहुत तारीफ कर रहे थे. छोटी बहन भाई
के घर पहुंच गयी है. वे उसे पुरानी तस्वीरें दिखा रहे हैं, जो वह व्हाट्सएप पर डाल
रही है. अभी कुछ देर पहले घर के सामने के हैलीपैड पर एक हेलिकॉप्टर उतरा, फिर उड़
गया, उसका शोर इतना अधिक था कि घरों से लोग निकल कर देखने आ गये. ‘पवन हंस’ नाम है
शायद इसका. जून के दफ्तर में एक टेंडर के कारण काफी हलचल है. बात दिल्ली तक जा
पहुँची है, आज उन्हें मंत्री के पीए का फोन आया था, जाने क्या हल निकलता है.
व्यक्ति के अहंकार के कारण ही ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं. पहली बार ऐसा हुआ
है कि उनका वास्ता मंत्रालय से पड़ा है. उच्च अधिकारी भी दबाव में हैं.
मार्च का अंतिम दिन ! सुबह सामान्य थी, रात्रि को हुई वर्षा के कारण हल्की
ठंडक थी, पर बादलों के पीछे से सूरज झांक रहा था. जून कल रात किसी सोच में मग्न थे
पर सुबह सहज थे. वह अपने दफ्तर में चल रहे एक केस के कारण पिछले दो माह से व्यस्त
हैं. सब कुछ को किसी खास कोण से देखा जाये तो सही जान पड़ता है. हर मानव को प्रकृति
आगे बढ़ने का अवसर देती है. यदि जीवन में संघर्ष न हो तो विकास भी नहीं होगा, हाँ,
विकास तभी सही होगा जब तथाकथित संघर्ष के पार कोई जाना सीख ले. आज भाई के घर पूजा
हो गयी होगी और वे आगे यात्रा पर निकल गये होंगे. आज भी ब्लॉग पर दो पोस्ट
प्रकाशित कीं, उसकी एक नई फेसबुक मित्र इन रचनाओं में काफी रूचि ले रही हैं. उसे
ब्लॉग की पोस्ट फेसबुक पर भी पोस्ट करनी चाहिए ऐसा भांजे ने कहा था.
जून आज कुछ परेशान लगे. जो स्वाभाविक है, उन्हें अनजान व्यक्तियों से फोन पर
व्यर्थ के आक्षेप सुनने पड़ रहे हैं. पर वह जरा भी क्रोधित नहीं होते, क्रोध से कोई
हल नहीं होने वाला, यह वह जानते हैं. यदि किसी के पास धन हो क्या वह भूखा रहेगा,
वस्त्र हों तो क्या वह ठंड में काँपेगा, फिर मानव क्यों अशांत रहे जब उसके भीतर
शांति का अपार स्रोत है. आत्मा के रूप में उसे आनंदका स्रोत मिला है और वह दुखी
है..आश्चर्य ही हो सकता है यह देखकर. जब भी कोई दुखी होता है, अपनी क्षमता का
अनादर ही कर रहा होता है. किन्तु वे अपने कार्य के प्रति समर्पित थे, अब उसमें कुछ
तो बदलाव आएगा ही, जीवन हर पल नया है, कब कौन सा मोड़ सामने आएगा, कौन जानता है.
नन्हे से बात की, वह भी किसी केस का सामना कर रहा है. किसी मरीज का डाटा लीक हो
गया. रात को एक-दो बजे तक घर पहुंच रहा था. आज सुबह वह उठी तो कितने अद्भुत दृश्य
दिखे, वाणी भी दिखी, लिखी हुई ! रात की कोख से सुबह का जन्म होता है, नींद के आगोश
से जागरण का !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.07.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3030 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी!
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