Monday, July 30, 2018

मछलियों की बारिश



आज क्लब में मीटिंग है, ‘काव्य पाठ’ प्रतियोगिता भी है. निर्णायकों के लिए उपहार आ चुके हैं और प्रतिभागियों के लिए पुरस्कार लेने वह एक सखी के साथ को-ओपरेटिव गयी, जहाँ पुरस्कार पैक भी हो रहे हैं. इस सखी के दांत में दर्द था उसका रक्तचाप भी बढ़ा हुआ है. वे अपने तन की देखभाल अच्छी तरह नहीं करते, तभी वह उनके लिए दर्द का कारण बनता है. उसकी कमर का घेरा इस ड्रेस में स्पष्ट नजर आ रहा है, आधा घंटा टहलना उपयुक्त रहेगा तैयार होने से पूर्व. अभी कुछ देर पूर्व उसने रसीद स्कैन की जो ट्रेजरर को देनी है, तीन-चार महीने में तो पैसे मिल ही जायेंगे, कार्यक्रम अच्छा होना चाहिए. इस महिला को पैसे देने में बहुत तकलीफ होती है, वह चाहती है क्लब में कोई खर्च ही न हो. कल एक सदस्या का फोन आया, उसने ‘मातृ दिवस’ पर एक गीत लिखा है, जो क्लब के कार्यक्रम में प्रस्तुत करना चाहती है. आज ब्लॉग पर ‘अयोध्या काण्ड’ का सैतींसवा सर्ग लिखा, कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है.

आज मौसम कितना अच्छा है, मंद पवन का स्पर्श और झूले पर बैठकर लिखना एक सुखद अनुभव है. वर्षों बाद मुरारी बापू की कथा सुनी, आज ही ब्लॉग पर पढ़ा कि पहले कैसे सुनती थी. सीता जी का पालन-पोषण महलों में हुआ था पर वह वन में भी कितनी प्रसन्न हैं, क्योंकि वह बचपन से ही प्रकृति के सान्निध्य में पली-बढ़ी थीं. बचपन में दिए संस्कार जीवन भर साथ चलते हैं. आज सुबह एक वरिष्ठ सदस्या का फोन आया, कल उसके कहने पर उन्होंने कविता पाठ में भाग लिया, पर उन्हें कहा गया, निर्णायक महोदय को संबोधित करने के कारण उनके अंक कम हो गये और पुरस्कार नहीं मिला. एक सखी का फोन आया, उन वरिष्ठ सदस्या ने उसे स्टेज के सामने जाकर एक महिला का फोटो खींचने के लिए, फटकारा, प्रेम भरा उलाहना ही रहा होगा. महिला क्लब भी राजनीति का अखाड़ा बन गया है क्या, खैर, उसे क्या फर्क पड़ता है, बल्कि एक कविता का जन्म हो गया उनसे बातचीत के बाद. कल के कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत भी था, सुगम संगीत भी और पश्चिमी संगीत भी.

एक सखी का फोन हृदय को सुखद अहसास से भर गया जो वर्षों पहले यहाँ से चली गयी थी, वे लोग दुबारा यहाँ आ रहे हैं. एक अन्य सखी से वर्षों बाद फेसबुक पर पुनः मुलाकात हुई. नन्हे की मित्र से बात हुई, हिंदी की किताबें ‘रश्मिरथी’ और ‘मधुशाला’ के बारे में राय पूछ रही थी, किसी को उपहार में देनी हैं. दोपहर के तीन बजे हैं, न ठंडा न गर्म, न वर्षा..बल्कि वसंत का मौसम ! शाम को क्लब में युवा गायक ‘पापोन’ का कार्यक्रम है, पर वे तेज आवाज में संगीत नहीं सुन सकते. दोपहर को अभ्यास के समय ही ड्रम की आवाज क्लब से घर तक आ रही थी. उसका गीत मोबाइल पर सुन रही है, आवाज तो अच्छी है उसकी, ‘बर्फी’ में भी उसने गाया है. कल रात तेज वर्षा के कारण बोगेनविलिया जो गुलमोहर पर टिका था, गिर गया, कुछ भाग ही गिरा है, मुख्य भाग अभी भी शेष है. आकाश से मछलियाँ गिरने का एक वीडियो देखा, गूगल में पढ़ा, वर्षा में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है. सदियों से ऐसा होता आया है, पहले समुद्र से वे ऊपर जाती हैं फिर नीचे आती हैं.

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