आज मौसम काफी गरम है, पसीना सूखने का नाम ही नहीं ले रहा था दोपहर को, पर एसी चलाकर बैठे, एक बार भी ऐसा नहीं लगा, शायद इसे ही साक्षी भावमें टिकना कहते हैं। शाम को योग कक्षा में एसी में से काली चीटियाँ बरसने लगीं, गर्मी से बचने के लिए संभवत: वे वहाँ आयी होंगी। बाहर बरामदे में कार्पेट बिछाकर सबने साधना की. पश्चिम बंगाल में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। एक आतंकवादी हमले में कश्मीर में सीआर पी एफ के जवान मारे गए हैं। ‘’जीन पर लिखी किताब अब कठिन होती जा रही है, सोचा है फिर भी पूरा पढ़ेगी। कितने वैज्ञानिकों की मेहनत का फल होती है एक खोज। जून ने रिटायरमेंट से पहले होने वाली तैयारी आरंभ कर दी है।
आज भी गर्मी बहुत थी, शाम को अचानक वर्षा होने लगी, पर बूँदाबाँदी तक ही सीमित रही। आजकल लगभग रोज ही ऐसा होता है। योग कक्षा में एक साधिका पुदीने की शिकंजी बनाकर लाई, जो वे योग दिवस पर सबको पिलाने वाले हैं। आज उनकी कार बंगलूरू के लिए रवाना हो गई। उनसे पहले वही पहुँच जाएगी। एक मित्र परिवार को भोजन पर बुलाया था, वह सेवा निवृत्त हो चुके हैं। उनके दातों का इलाज चल रहा है, खिचड़ी बनाने को कहा था उन्होंने स्वयं ही। हींग वाले आलू, बेक की हुई सब्जियां और घी के साथ खिचड़ी जब उन्होंने खाई तो बार-बार कह रहे थे, उनके लायक भोजन बना है, खाने में जरा भी दिक्कत नहीं हुई। इस माह के अंत तक वे लोग चले जाएंगे। शाम को क्लब में रिहर्सल थी, अभी दो दिन और होगी, तीन दिन बाद कार्यक्रम है। फैशन परेड के लिए रैम्प पर चलना इतना भी कठिन नहीं होना चाहिए।
आज सुबह जून टूर पर गए हैं, परसों आ जाएंगे। सुबह दक्षिण भारतीय नाश्ता बनाया था। योग कक्षा में बच्चों को योग प्रोटोकाल के अनुसार योग कराया, बाद में योग पर एक प्रश्नोत्तरी और योग दिवस पर उन्हें एक चित्र बनाने को भी दिया। शाम को बगीचे में बैठकर ध्यान कर रही थी कि पूनम का चाँद दिखा, तस्वीरें लीं, चाँद को देखकर सदा ही मन में उमंग की एक लहर दौड़ जाती है, ग्रहों का कितना प्रभाव पड़ता है जीवन पर। बचपन में आकाश के नीचे लेटकर वे बादलों को देखा करते थे, मन भी जैसे आकाश जितना फैल जाता था। आज पहली बार यू जी कृष्णामूर्ति को सुना। गुरुजी को भी सुना, नींद और भोजन ऊर्जा को बढ़ाने वाले हों न कि सुस्त बनाने वाले, ऐसा उन्होंने कहा।
आज का दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। सुबह उठने में थोड़ी देर हुई। प्रात: भ्रमण से लौटी तो रोज गार्डन के सामने फूलों की चादर बिछी थी। पीले फूलों से गेट से सड़क तक जैसे कालीन बिछ गया था। वापस लौटकर तस्वीरें उतारीं, एक वीडियो भी बनाया। स्कूल जाना था, बच्चों को संगीत के साथ योग कराया, प्रिंसिपल ने कहा, योग दिवस टीचर्स के साथ ही मनाएंगे। वापस आकर कुछ देर कंप्यूटर पर बैठी। दोपहर बाद मृणाल ज्योति, लौटकर, शाम की योग कक्षा फिर क्लब, वापस आकर कुछ देर ध्यान किया फिर रात्रि भोजन।
और सुदूर अतीत में .. उस दिन के पन्ने पर विनोबा भावे की सूक्ति थी, “दूसरों को प्रेम करने से प्रेम मिलता है।” उसने लिखा.. और वह दुनिया से प्रेम करती है, सारी दुनिया से और ईश्वर से.. और उसके प्रिय जनों से भी। उस दिन एक और पेपर हो गया, कैसा हुआ यदि कोई पूछे तो कहना पड़ता, बुरा, फिर उसने स्वयं को सुधारा, इस दुनिया में ‘बुरा’ शब्द के अलावा कुछ भी बुरा नहीं है, उसे इस शब्द का प्रयोग कभी नहीं भाया। यदि कुछ पसंद न आए तो वह ‘अच्छा नहीं है’ ही कहती थी। उसने सोचा पचास प्रतिशत अंक तो मिल ही जाएंगे, कुछ न से तो कुछ होना ही अच्छा है। अब चार दिन के बाद केवल एक ही पेपर शेष था। कालेज से लौटते समय जिस व्यक्ति ने उसे सीट दी, बुजुर्ग था,पढ़ा-लिखा था । शहर में आप किस मोहल्ले को बिलॉंग करती हैं ? यही प्रश्न था जो शायद वह पूछ रहा था, बस के शोर में उसे कुछ सुनाई नहीं दिया बाद में जोड़ने पर यह समझ में आया पर वह चुप बैठी रही।
स्वागत व आभार !
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