Friday, January 12, 2018

दो नन्हे शावक


साढ़े नौ बजने वाले हैं. कुछ देर पहले जून का फोन आया. उन्हें लेह यात्रा की फ़िक्र है. वहाँ रहने, घूमने आदि का प्रबंध ठीक से हो सके इस बात की. आज वह भाई से दुबारा बात करेगी. सुबह जल्दी नींद खुल गयी थी. स्वप्न में जून को बिस्तर के बिलकुल नीचे की तरफ सोते देखा तो उन्हें उठाया कि ठीक से सो जाएँ, जैसे नन्हे को कहा करती थी. हो सकता है किसी जन्म में उनके मध्य यही संबंध रहा हो. जीवन रहस्यों से भरा हुआ है. अभी-अभी संत वचन सुने. परमात्मा सदा वर्तमान में मिलता है, अभी और यहीं. उसकी खोज भी एक दिन छोड़नी होती है. जिस क्षण मन में कोई इच्छा नहीं है तो वे परमात्मा में ही हैं. ध्यान में कितने ही अनुभव घटते हैं, लेकिन अनुभव करने वाला यदि बचा है तो अनुभव पूर्ण नहीं है.

आज सुबह उठने से पहले मन फिर सपने बुनने लगा. कभी गणित की पढ़ाई, कभी घर की चाबी नहीं है, यानि नींद खोलने के सारे उपाय किये आत्मा ने, पर मन ने कैसा उलझाया कि आधा घंटा यूँही बीत गया. सुबह जब जून ऑफिस गये तो गैरेज में एक बिल्ली का बच्चा दिखा, थोड़ी ही देर में दूसरा आ गया. इस समय आराम से कार के बोनट पर सोये हैं. उनके कई चित्र लिए, नन्हे को भेजे. उन्हें बिस्किट और दूध देकर आई पर वे आराम से लेटे हैं. उन्हें कुछ करने का भी मन नहीं है, गर्मी के कारण या उनका पेट भरा है शायद. अभी देखा वे लम्बी तान कर सोये हैं. कटोरी में दूध वैसे ही पड़ा है, कुछ देर पहले उनकी माँ आई थी, वही उनका पोषण करती है शायद. अभी कुछ और नहीं खाते-पीते, उन्हें देखकर अच्छा लग रहा है. नन्हे ने भी पूछा है उनके बारे में.


आज भी गर्मी बदस्तूर जारी है. बादल सारे देश के अन्य भागों को सरसाने चले गये हैं. आज जून का लंच दफ्तर में ही है, कोई विदाई पार्टी है. शाम को उसे भी एक विदाई पार्टी में जाना है. आज ही धोबी, माली, दूधवाले आदि का हिसाब कर दिया है, कल उन्हें यात्रा के लिए निकलना है. नन्हे शावक आज भी गैराज में आराम फरमा रहे हैं. उसके भीतर शांति है, यानि परमात्मा का साथ है ! आत्मा को अपने मूल संस्कारों की तरफ हर हाल में लौटना ही है ! छोटी ननद का फोन आया, वह हरिद्वार में एक आश्रम में रह रही है कुछ दिनों के लिए. सभी आत्माएं घर लौटना चाहती हैं. लद्दाख की यात्रा उनके लिए अवश्य सुखद होगी. नया अनुभव होगा, नये स्थान, नये लोग मिलेंगे !

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, स्वामी विवेकानन्द जी की १५५ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बहुत बहुत आभार !

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