शाम के पाँच बजने को हैं, बाहर
तेज धूप है, सो अभी लॉन में जाने के लिए आधा घंटा प्रतीक्षा करनी होगी. मालिन बर्फ
मांगने आई थी, वे एयर कंडीशन कमरे में बैठे हैं, उनके यहाँ बहुत गर्मी होगी.
बरामदे से एक जंगली काली मुर्गी मुँह में अपने से भी बड़ा एक
घास का टुकड़ा लेकर दौड़ते हुए दिखी, हुए दिखी, दूसरी अपनी पूँछ हिलाकर मुँह से आवाज कर रही थी. वे जाने किस भाषा में बातें कर रही थीं. उन्हें भी ऐसा ही लगता होगा कि अन्य प्राणी किस भाषा में
बात करते हैं ! ‘भारत एक खोज’ में आज औरंगजेब का द्वितीय भाग देखा. नब्बे वर्ष तक
जीया था वह अपने भाइयों व पिता को मरवा व कैद करवा कर. आगे शिवाजी का प्रकरण आरम्भ
होगा. दोपहर को एक स्वप्न देखा. एक नन्हा बच्चा उसकी गोदी में है और कुनमुना रहा
है. उसे चुप कराते उठा लेती है और वह लिपट कर सो जाता है. नैनी माँ बनने वाली है
शायद इसी से जुड़ा हो यह स्वप्न या फिर ओशो की उस बात से कि हर स्त्री माँ होती है
और तब जून का भी ख्याल हो आया. मन कृतज्ञता से भर गया था. परमात्मा ही तो विभिन्न
रूपों में आकर उनकी मदद करता है. जीवन कितना विचित्र है. यहाँ रहस्यों की परतें
कभी समाप्त ही नहीं होतीं. सुबह उठी तब भी एक विशेष स्वप्न देखा था, अब जरा भी याद
नहीं है पर तीन बजे थे. नन्हे से बात की, वह घर पर ही था. भोजन की समस्या अब उसकी
हल हो गयी है. उसके कॉलेज के फोटो फेसबुक पर पोस्ट किये वह उनींदा लग रहा है. शांति
निकेतन की यात्रा के चित्र भी प्रकाशित किये. कल बीहूताली यानि ओपन थियेटर में योग
कैम्प है, वह नौ बजे जाएगी. विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है.
आज मौसम कल रात की गर्जन-तर्जन
के बाद ठंडा है. उसे लग रहा है, प्राणशक्ति कुछ कम हुई है. ध्यान जो नहीं किया, रात
को शोर से नींद खुल गयी. परमात्मा से जुड़े रहकर ही वे प्राणवान बनते हैं. आज शाम
को मीटिंग है, क्लब का संविधान बन रहा है. फेसबुक पर रश्मिप्रभाजी ने परिकल्पना
ग्रुप में उसे शामिल किया है. उसके ब्लॉग का जिक्र किया है. वह बहुत कर्मशीला हैं
और सभी को जोड़कर रखना उनका स्वभाव है. उनके भीतर ऊर्जा का एक अनंत स्रोत है जो इस
उम्र में भी उन्हें इतना गतिशील बनाये है.
मौसम ने फिर मूड बदला है,
गर्मी है बाहर. वृक्षों के नीचे भी हवा महसूस नहीं हुई. पिछले कई दिनों से वह वहीं
टहलते हुए चाय पीती थी. पूना के आकाश में कल पूर्ण इन्द्रधनुष देखा गया जिसे
ब्रह्म धनुष का नाम दिया गया है. आज फेसबुक पर नन्हे के चित्र में उसका एक मित्र भी
था, जाने कैसे उसने देख ली और फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी है. नन्हे का वह तिब्बती
मित्र कुछ दिन उनके यहाँ रहा था. अच्छा लगा था. उसने बौद्ध धर्म पर दो किताबें भी
भेजी थीं. अब पढ़ने से शायद कुछ और प्रकाश मिले, उसने सोचा पुनः उन्हें निकालेगी.
बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteस्वागत व आभार कविता जी !
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-01-2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2845 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार दिलबाग जी !
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