Monday, November 13, 2017

जीवन की यात्रा


मृत्यु और जीवन – ४  

जीवन को जानते
ही खो जाती है मौत
मौत को जानते ही मिल जाता है जीवन !
जीने की कला के साथ सीखनी होगी मरने की कला भी
तभी मुक्त होगा मन मृत्यु के भय से
संकल्प भीतर जगाना होगा
स्वयं को जीते जी एक बार तो मारना होगा
देह से अलग होकर स्वयं को देखना होगा
जीवन ज्योति को जगाना होगा
जीना होगा उस ज्योति के रूप में
देह को जानना होगा मात्र आवरण के रूप में
अनुभव ही हल करेगा मौत का रहस्य
दूसरे घर में जाने का तथ्य
जब एक तन थक जाता है
नहीं रख पाता जीवन को सुव्यस्थित ढंग से
तब बदल लेता है अपना घर जीवन
देह एक अवसर है आत्मा के लिए
जब खो जाता है एक अवसर
बंद हो जाता है एक द्वार
तब मिल जाता है दूसरा
और जीवन की यात्रा पुनः शुरू हो जाती है !
मृत्यु और जीवन – ५    

हाँ, दर्द होता है जब बिछड़ता है कोई अपना
क्योंकि देह से ही होता है परिचय सबका
अन्तस् की खोज करने कोई नहीं उतरता
जाना ही होगा अपने भीतर
तभी मिलेंगे वे उत्तर
जो मौत उठाती है
तभी मुलाकात होगी वास्तविक जीवन से
जो कभी नहीं मरता
जब जानेगा वह पदार्थ ही नहीं है मानव
एक आत्मा है जो कभी नहीं मिटती...!

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