शाम के साढ़े पांच बजे
हैं. वह ध्यान कक्ष में बैठी है. हल्की सी गंध आ रही है. अब पता नहीं यह गंध कहाँ
से आती है, क्यों आती है ? यह कोई रोग है या अस्तित्त्व का प्रसाद...जैसे जो धुन
सुनाई देती है वह कोई..सब कुछ एक रहस्य में डूबा हुआ है. आज गैराज से लेकर पीछे के
गेट तक का रास्ता बन गया है, काफी टूट-फूट गया था. शायद कल माली कमल कुंड को ठीक
करेगा, जिसमें आजकल पानी ठहरता नहीं है, शायद किनारे की दीवार में कोई दरार आ गयी
है. नन्हे का फोन जो माह के प्रथम दिन खो गया था, आज मिल गया है. कल उसकी मित्र से
बात की. उसने अपने घर में बता दिया है पर वहाँ से कोई जवाब नहीं आया है. आजकल वह नया
जॉब भी खोज रही है. जून आज स्टार्टअप इंडिया की मीटिंग में भाग लेने गये हैं, वह
कितने सरे कार्यों से जुड़े हुए हैं. उनको इस तरह काम करते देखकर बहुत अच्छा लगता
है. आज बहुत दिनों बाद ‘श्रद्धा-सुमन’ ब्लॉग में पोस्ट प्रकाशित की. ‘सिया के राम’
में राम का महाप्रस्थान आज होने वाला है.! सुबह टहलने गयी, ज्ञान, भक्ति तथा
कर्मयोग पर चिन्तन करते हुए प्रातः भ्रमण किया. परमात्मा उन्हें कितना प्रेम करता
है. उसकी कृपा का अनुभव हर पल होता है ! एक सखी से बात की, छोले-भटूरे बना रही है,
दही-बड़े भी जन्मदिन पर !
आज मृणाल ज्योति गयी.
महीनों पहले जो स्वप्न देखा था, उसे साकार करने अर्थात टीचर्स के लिए एक वर्कशॉप करने
का स्वप्न अंततः सम्पन्न हो गया. जिसका बीज उस दिन पड़ा था जब एक अध्यापक अपनी
समस्या लेकर आया था. सभी ने उत्साह से भाग लिया. सुबह पौने नौ बजे वह गयी थी और दोपहर
बाद चार बजे लौटी. वापसी में नर्सरी से फूलों की पौध भी ली. कैलेंडुला, कॉसमॉस, डहेलिया,
स्टॉक और वरबीना के फूलों से उनका बगीचा अवश्य सुंदर लगेगा. माली कल सुबह लगाएगा. नन्हे
से बात हुई, वह अगले हफ्ते जोधपुर व जयपुर जा रहा है, एक मित्र के विवाह में. अगले
वर्ष वह भी विवाह बंधन में बंध जायेगा अगर अल्लाह ने चाहा तो..जो भी होगा अच्छा ही
होगा. बाल दिवस पर दिगबोई जाना है, विश्व विकलांग दिवस के लिए कुछ स्कूलों में बैज
बांटने है. जब वे समाज के लिए कुछ काम करते हैं तो भीतर जिस शांति का अनुभव होता
है, वह अनोखी है.
जून का आज शाम को लगभग चार
बजे गोहाटी में छोटा सा एक्सीडेंट हो गया. जहाँ पुल समाप्त होता है, वह सड़क पार
करने वाले थे, सामने आ रही बस काफी दूर थी, तभी पीछे से एक मोटरसाईकिल आ गयी और वह
टकरा कर गिर गये. उनका चश्मा व फोन दोनों टूट गये. कान के पास चोट लगी, एक टांका
लगा है तथा पैर में भी चोट आई है घुटने के नीचे. फ्रैक्चर नहीं है, वह किन्हीं अज्ञात
लोगों की सहायता से एक क्लीनिक में पहुंचे, जहाँ प्राथमिक चिकित्सा दी गयी, फिर
अस्पताल आये. याद नहीं पड़ता पहले कभी उन्हें इस तरह अस्पताल में रहना पड़ा हो.
नन्हे से उनकी बात हुई है, वह कल गोहाटी आ रहा है. मना करने कर भी उसका मन नहीं
मान रहा. अभी-अभी जून से बात हुई. डाक्टर साहब देखने आये हैं. उनके दो मित्र वहीं
बैठे हैं जो रात को वहीं रहने वाले हैं. जीवन में जो भी परेशानी आती है वह कुछ न
कुछ सिखाने के लिए ही आती है. उस दिन ग्रे रंग से बात शुरू हुई और उन्होंने ने
गोहाटी में उसी रंग की पेंट सिलने दे दी. उसी को लेने गये थे जब यह दुर्घटना हुई.
वैसे वह आवाज से ठीक लग रहे हैं. परसों घर आ जायेंगे. कुछ दिन आराम करेंगे तो ठीक
हो जायेंगे, चश्मा नया बनवाना पड़ेगा.
बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
ReplyDelete