Tuesday, November 5, 2013

.कैक्ट्स के फूल


नये वर्ष का प्रथम सोमवार ! नन्हे ने इस साल अलग सोना शुरू किया है, उसी कमरे में उसका अलग पलंग बिछता है. उसके लिए यह एक बड़ा अनोखा काम है, पर इसकी वजह से वे नेट नहीं लगा पा रहे हैं, गुड नाइट से मच्छर भगाने होते हैं

आज दिन की शुरुआत बेहद अटपटे ढंग से हुई है, अभी वह नींद में ही थी कि फोन की घंटी बजी, सुबह-सुबह किसका फोन होगा अभी सोच ही रही थी कि घंटी बंद हो गयी. जून उसके लिए चाय बनाकर लाये और अपनी मीठी-मीठी समझदार बातों से उसके उखड़े हुए मूड को सीधा करके ही दफ्तर गये. आज उनके विवाह की साल गिरह है सो मन तो खुश है ही, और इस साल एक खास बात और है कि उन्हें एक दसरे को जानते हुए दो दशक हो गये हैं. उसने खुद को विश किया कि आज का दिन और यह पूरा साल खुश रहे ताकि जून भी खुश रहें और उनका बेटा भी. इस वक्त सुबह के दस भी नहीं बजे हैं, किचन का काम अधूरा है पर लॉन में पसरी धूप देखकर वह यहाँ हाले दिल सुनाने आ गयी है. कल शाम क्लब में Independence Day देखी, बहुत अच्छी फिल्म है, रोमांचक, विस्मयकारी, amazing फिल्म. देखते-देखते लग रहा था वे किसी दूसरी ही दुनिया में पहुंच गये हैं. उसको भी हल्की सर्दी का अहसास हो रहा है, अक्सर एक हल्की सी कमजोरी का अहसास घेर लेता है, शायद उसी का असर मन पर हो रहा हो जो चीजों को उनके सही परिप्रेक्ष्य में नहीं ले पा रहा है.

कल शाम उन्होंने मित्रों के साथ ‘दिलजले’ फिल्म देखकर व गाजर का हलुआ खाकर विवाह की वर्षगाँठ मनायी, एक अच्छा भला परिवार कैसे एक नेता के कहने पर आतंकवादी होने का आरोप लगाकर बर्बाद कर दिया जाता है. वाकई नेता ऐसा कर सकते है पहले वह यकीन नहीं करती थी पर अब लगता है इस दुनिया में सब सम्भव है. कल उन्होंने कुछ पुराने खत भी पढ़े, प्रेम में लिखे खत.. कभी तो बचकाने लगते हैं पर उनमें उस तीव्रता का अहसास हर शब्द पर होता है, जो उन दोनों ने एक सा महसूस किया था और उस वक्त की सच्चाई थी. कभी कभी उसके मन में जो संशय उठता है कि कहीं... शायद वह बौद्धिकता की उपज हो, आधुनिकता का आवरण ओढ़ने की कोई दबी हुई आकांक्षा का.. मन यह क्यों न माने कि छलावा यह नहीं बल्कि वह था.

सुबह एक परिचिता का फोन आया कि शनिवार को लेडीज क्लब की ओर से होने वाले बैडमिंटन गेम में भाग ले, न कहना तो उसने सीखा नहीं है और कहा भी तो स्वयं को अनाड़ी बता के, खैर..अब उस दिन तीन बजे जाना है. आज बैंगन का भरता बनने में काफी समय लग गया. सुबह उठते ही जब ‘जागरण’ के लिए टीवी खोला तो DD I पर योगाभ्यास पर एक कार्यक्रम आ रहा था, साढ़े छह बजे वह खत्म हुआ तो फूल खिलाने वाली एक अनोखी कैक्टस प्रजाति ‘मेजाम्बिस’ पर एक फिल्म देखी, छोटे-छोटे पत्थरों के आकार के पौधे और उनमें खिले बड़े आकार के सुंदर रंगीन फूल बहुत अच्छे लग रहे थे, इस दुनिया में इतनी अनोखी और सुंदर वस्तुएं हैं कि कोई चाहे तो सारी जिन्दगी इसी में बिता दे. कल उन पुराने तेलगु मित्र का कार्ड आया, जून ने भी फौरन उन्हें भेजने के लिए कार्ड पर  लिखा we remember you all ! जून चाहे उनसे (यहाँ जब वह थे) विरोध करते रहे हों किसी बात पर दिल ही दिल में, सबके लिए स्नेह है उनके मन में. कल उसे समझा रहे थे..इन्सान को अच्छे बनने का प्रयत्न करना चाहिए.. और क्षमा बड़न को चाहिए.. आज उन्हें फील्ड जाना था पर नहीं गये किसी प्रॉब्लम की वजह से जो वेल साईट पर उठ खड़ी हुई है.





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