Sunday, November 17, 2013

नेता जी की जन्म शताब्दी


रात्रि के आठ बजने वाले हैं, आज सुबह से ही व्यस्तता ने घेरा हुआ है, इस वक्त थोड़ा सा रुक कर सुस्ताने का मन हो रहा है. सुबह से ग्यारह बजे तक रोजमर्रा के कामों में व्यस्त रही. आज जून की पसंद की भरवां टमाटर की सब्जी बनाई थी. दोपहर को कुछ देर ‘संडे’ पत्रिका पढ़ी, फिर गुलाबी कपड़े के तीन रुमाल काटे और नन्हे के आने के बाद कल की पिकनिक के लिए पनीर  मसाला बनाने की शुरुआत की. जिसमें डेढ़ घंटा लगा. शाम को टहलने गये और वह गैस से कुकर  उतर कर रखना भूल गयी आग बहुत धीमी थी फिर भी लौकी-वड़ी की सब्जी पानी सूखने से बुरी तरह जल गयी. जून ने अपना स्पेशल बूंदी का रायता बनाया है और चखने के लिए पनीर मसाला तो है ही.

पिकनिक से वापस आकर रात के खाने की तैयारी करके और नहा धोकर आराम से बैठने के बाद अच्छा लग रहा है, नन्हा अपना बचा हुआ होमवर्क पूरा कर रहा है. विशेष थकान भी नहीं है, सुबह ७.२० पर वे घर से चले थे, कुल मिलाकर पिकनिक अच्छी रही, कुछ फोटो भी खींचे. नदी का पानी ठंडा था और उसमें देर तक बैठे रहने से ठंडक का अहसास भीतर तक हो रहा था, किनारे पर बिछी थी स्वच्छ रेत.. सभी खुश थे.

Today something is somewhere wrong ! Jun is losing his temper on small things. She does’nt know why, but she is feeling it and… आज सुबह वे वक्त पर उठे थे पर उनके दफ्तर जाने से पूर्व उसने पत्रिकाओं के बारे में कुछ कहा था, शायद उसी बात का असर हो. शाम को खेल में भी उनका मन नहीं था, खैर, कभी-कभी ऐसा सबके साथ होता है. नन्हे के कल से टेस्ट हैं, वह पढ़ रहा है.

दो-तीन दिनों तक तेज धूप निकलने के बाद आज मौसम फिर सर्द है, बादल हैं, एक दो बार सूरज उनकी ओट से झाँका भी तो धूप में गर्माहट नहीं थी. अभी-अभी नैनी का छोटा बेटा अंग्रेजी पढकर गया है, उसे अल्फाबेट आ गया है और कुछ शब्द लिखने भी आ गये हैं, लेकिन उसके पास क्लास १ की कोई पुस्तक नहीं है जिससे सिलसिलेवार पढ़ाई की जा सके, आज उसे छोटे-छोटे   वाक्य लिखने को दिए हैं. दोपहर खाने पर आये तो जून का मन ठीक था, वह खुश थे, सम्भवतः कल उन्हें फील्ड भी जाना पड़े. नन्हे के आज दो टेस्ट हैं, उसकी टीचर के कहने पर तेल लगाना भी सीख गया है. आजकल रामायण में हनुमान जी द्वारा सीता का पता लगा कर आने की कथा चल रही है, कल से ‘युद्ध कांड’ आरम्भ होगा, और रामायण समाप्त होने पर वह फिर से ‘भगवद् गीता’ पढ़ेगी जो जीने की कला सिखाने में पूर्णतया सक्षम है.

जून आज ‘हाफजान’ गये हैं, शाम को आएंगे, बहुत दिनों बाद उसे लंच अकेले ही खाना है, सो जब पेट में चूहे कूदने लगेंगे तभी खाएगी, जो भायेगा वही और जितना भायेगा उतना. कल शाम को वे एक मित्र परिवार के यहाँ गये, वहन एक और परिवार मिला, MR थोड़े शर्मीले स्वभाव के लगे बड़े भाई की तरह बच्चों से तुतलाकर बात करने वाले, MRS काफी एक्टिव थीं, डेढ़ साल की बच्ची की माँ को शायद ऐसा ही होना पड़ता है. नन्हे ने सब बच्चों को टाफी दीं, जो कई दिनों से इकट्ठी कर रहा था. शाम को बैडमिंटन भी खेला, अब उसकी रूचि इसमें बढ़ गयी है.


पिछले दो दिन जून और नन्हे दोनों की छुट्टी थी, परसों नेता जी के जन्मदिवस की, उनकी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है इस बरस. उसने सोचा तो लगा नेता जी के विषय में वे कितना कम जानते हैं. उस दिन उन्होंने स्टोर की सफाई की और ‘माचिस’ देखी. उसे बहुत अच्छी नहीं लगी यह फिल्म. शाम को नन्हा एक मित्र के जन्मदिन में गया और वे अपने मित्र के यहाँ. कल दिन भर बूंदा-बांदी होती रही, मौसम बेहद ठंडा था, लंच में डोसा बनाया उसने. पड़ोसिन ने अपने बगीचे से ब्रोकोली भेजी, जो शाम को बनाई. जून ने अपनी पसंद की दो मिठाइयाँ बनायीं, गुलाब जामुन और बेसन के लड्डू. लेकिन उसे मिठाई खाना ज्यादा पसंद नहीं है पर जून चाहते हैं, उनकी तरह वह भी मिठाई बहुत शौक से खाए, कभी-कभी उसे लगता है वह भूल ही गये हैं इन्सान जीने के लिए खाता है न कि खाने के लिए जीता है. बरसों से चलती आ रही, शायद आगे भी चलती रहेगी, उनकी नोक-झोंक का विषय अक्सर भोजन ही होता है. आज भी मौसम बेहद ठंडा है, सुबह-सुबह छोटी बहन को फोन किया, उसकी विवाह की सालगिरह है आज. नन्हा बहुत सोचने के बाद आखिर स्कूल चला गया है, बहादुर लड़का है, इतने दिन मना करने के बाद आज आखिर टोपी और दस्ताने भी पहने. 

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