Monday, June 3, 2013

श्वेत कंचन फिर झरा


कल शाम को चली तेज हवा और रात को हुई वर्षा के कारण आंगन, लॉन और बाहर गेट तक का रास्ता पत्तों, धूल मिट्टी से अटा पड़ा है, साढ़े नौ से ऊपर हो गये हैं लेकिन स्वीपर का अता-पता ही नहीं है. घर में भी धूल की परत फर्श को मैला कर रही है. और ऐसी ही एक हल्की उदासी या कहें तल्खी की परत उसके मन पर छायी है जो नन्हे के बचपने के कारण हुई है या इस बात से की वे ही कहीं चूक गये हैं जो वह थोड़ा लापरवाह हो गया है और काम समय पर नहीं करता है. अभी-अभी उसकी बंगाली सखी का फोन आया, उसने ‘लेमन-राईस’ के बारे में पूछा है, बातों बातों में उसने यह भी बताया कि वह अपनी माँ की पुरानी डायरियां  पढ़ती है. जब घर जाती है.  

कल दोपहर को जब खाना खाकर जून और वह सो रहे थे, बेल बजी, स्वीपर आया था घर तो साफ हुआ ही, ड्राइव वे और घर के पीछे का नाला भी, लेकिन उनकी सपनों भरी मीठी नींद खराब हुई, सपने से उसे याद आया कि कल रात की तरह ज भी उसे एक सपना आया, कल के स्वप्न में ‘रूम ऑफ़ इटरनल लाइट’ था और आज तो एक डाक बंगला था, लोहे के दो बड़े गेट, आधुनिक किचन और चाय पीने वाली दो मेहमान लडकियाँ. बहुत दिनों बाद उसे स्वप्न सुबह उठने के बाद याद रहे हैं. कल के स्वप्न में था विषैला भोजन...शायद ‘चन्द्रकान्ता’ का असर रहा हो. वह पिछले हफ्ते लाइब्रेरी से ‘कुरान’ पर भी एक पुस्तक लायी थी, पर अभी तक ऐसा कोई वाक्य नहीं मिला जिसे डायरी में लिखे. आज नन्हे का मैथ्स टेस्ट है, तैयार हो गया है सुबह जल्दी उठा यह सोचकर कि आधा घंटा पढ़ेगा पर अब इधर-उधर करके समय यूँ ही बिता रहा है. 
आज पूरे एक सप्ताह बाद लिखने का सुयोग हुआ है, पिछला हफ्ता ‘होली’ के नाम था, पहले दो-तीन दिन तो होली के पकवान बनाने में बीते, एक दिन नमकीन भुजिया, दुसरे दिन मठरी, तीसरे दिन शकरपारे और गुझिया फिर होली की पार्टी. अगले दिन पतंगबाजी, लेकिन हवा ने साथ नहीं दिया तो कैरम खेला. फिर एक दिन आराम. मौसम सुहाना है जैसा वसंत का होता है, जब फूलों की खुशबु से भरी हवा बहा करती है. उनके घर के सामने वाला सफेद कंचन का पेड़ पूरा भर गया है, तेज हवा सूखे पत्तों व फूलों की पंखुड़ियों को साथ उड़ा कर लाती है और भूमि सफेद हो जाती है. आजकल रोज ही ऐसा होता है. आज शाम उसे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी से मिलने जाना है, उस दिन जो लेख लिखकर दिया था फिल्मों के गीतों के बदलते हुए ट्रेंड पर उसी के बारे में कुछ बात करनी है. कल शाम उसने लकड़ी की बैलगाड़ी पर पुष्प सज्जा की जो जून को बहुत पसंद आयी. तीसरा स्वेटर भी बनाना शुरू कर दिया है.

 


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