ठंडी, शीतल मंद पवन, आकाश पर छाये काले कजरारे बादल..गीला-गीला सा या कहें भीगा-
भीगा सा मौसम.. मगर उसका दीवाना मन.. इधर-उधर क्यों तक रहा है, स्थिर नहीं है कुछ
परेशान सा कुछ हैरान सा...सारा काम हो गया है. अभी अभी ‘कुरान’ में ‘जोसेफ’ एक कहानी
पढ़ी, अच्छी लगी. कल उसके कुछ अन्य अध्याय पढ़े थे, उसमें न्याय का दिन यानि ‘कयामत का दिन’ और नास्तिक लोगों पर उस दिन होने
वाले न्याय का यानि उन्हें नर्क में धकेले जाने का बार-बार जिक्र आता है. सच्चे
धार्मिक लोगों को जन्नत मिलेगी. खैर.. यह नामालूम स उलझन क्यों है, शायद इसका कारण है वह
किताब जो उसे अपनी ओर खींच रही है, जो कल वह लाइब्रेरी से लायी थी, जिसे रात को पढ़ना
शुरू किया पर नन्हे को सुला ने के लिए कहानी सुनाते खुद भी सो गयी. कल नन्हे की कक्षा
का असेम्बली कार्यक्रम है, इस वर्ष का अंतिम कार्यक्रम, वह तैयारी करके सोया है.
आज मार्च का अंतिम दिन है, कल रात की मुसलाधार वर्षा
से तो लगता है यहाँ वसंत के बाद सीधा सावन ही आ जाता है. बाहर बगीचे में फूलों के
पौधे तेज पानी की बौछार की कारण नीचे बिछ गये हैं. रात भर आराम के बाद सूरज महाशय
भी गये हैं ताकि ठंड से सिकुड़े पेड़-पौधों
को थोड़ी गर्मी त मिले. कल पंजाबी दीदी का खत आया, उन्हें उसी वक्त अस्पताल जाना
था, एक परिचित की नवजात शिशु कन्या के जन्म पर, ठीक से पढ़ा नहीं खत उस वक्त. अभी
पढ़ा तो पता चला, मई में उनके दूसरे बेटे का विवाह है, बुलाया है. कल शाम को ही
पड़ोसिन ने मेडिकल गाइड मांगी, उसे पता चला है कि हृदय का कोई रोग हो गया है.
अप्रैल का महिना आरम्भ हुए आज चौथा दिन है, और उसकी
डायरी को खबर तक नहीं.. इस बार ऐसा संयोग हुआ है क चैत्र का महिना भी पहली अप्रैल
से ही आरम्भ हुआ, यानि राम नवमी नौ को ही पड़ेगी. इस महीने उन्हें घर जाना है, नैनी
भी छुट्टी पर गयी है, खुद काम करने में थोड़ी परेशानी तो होती है, पर नन्हे की
वार्षिक परीक्षा आने वाली है, दोपहर को उसे पढ़ाते वक्त कोई व्यवधान नहीं होगा,
अपनी सुविधा से वह काम कर सकती है, ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है, यह बात और
है कि इन दिनों वह उससे दूर होती जा रही है. इतवार को उसने इडली बनाई, जून ने एक
मित्र को बुलाया था. शाम को एक मित्र परिवार आया, कुछ भी हो हर इन्सान को मैत्री
की आवशयकता होती है, मित्रों की छोटी-मोटी कमियों की ओर ध्यान न देकर उनकी
अच्छाइयों की ओर ध्यान देना चाहिए, तभी दोस्ती बनी रह सकती है, और तभी सुख दे सकती
है अन्यथा एक चुभन.
आपकी सर्वोत्तम रचना को हमने गुरुवार, ६ जून, २०१३ की हलचल - अनमोल वचन पर लिंक कर स्थान दिया है | आप भी आमंत्रित हैं | पधारें और वीरवार की हलचल का आनंद उठायें | हमारी हलचल की गरिमा बढ़ाएं | आभार
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