Sunday, August 16, 2020

गुलमोहर के फूल

 

दस बजने वाले हैं सुबह के. मौसम आज गर्म है. प्रातः भ्रमण के लिए गए तो हवा बंद थी, उमस भरा वातावरण. कल उन्हें यात्रा के लिए निकलना है, एक लंबी यात्रा. एक महीने के लिए वे घर से दूर रहेंगे, अपने नए घर को तैयार करने के लिए. पिछले कई दिनों से लेखन कार्य थम गया है, कम्प्यूटर में कुछ खराबी आ गयी थी, कल बनकर आया पर हिंदी टाइपिंग नहीं हो पा रही है. जून के घर आने पर ही सम्भव होगा. तकनीकी कार्यों में रूचि न लेने का ही यह नुकसान है. पैकिंग थोड़ी बहुत हो गयी है, शेष जाने तक चलती ही रहेगी. 

रात्रि के सवा ग्यारह बज चुके हैं. वे सवा तीन घन्टे पहले बंगलूरू पहुँच गए थे. सुबह से ही तैयारी में लगे थे. लॉन में ही कुछ देर टहले, फिर लघु योग साधना की. रुकते, उड़ते लगभग बारह घण्टों की  यात्रा आरामदेह थी, निर्विघ्न संपन्न हुई. एयरपोर्ट से घर आने में दो घण्टे का समय लगता है,  कार में तेज नींद आ रही थी. घर पर नन्हा और सोनू प्रतीक्षा कर रहे थे. भोजन तैयार था, पर आधा घन्टा कुशलता समाचार का आदान-प्रदान करने के बाद भोजन किया. अब नींद गायब हो गयी है. कल नए घर जाना है, जहाँ रँगाई का काम चल रहा है. 


दूसरा दिन बीतने को है. सुबह पांच बजे नींद खुल गयी. कुछ दूर पर स्थित एक बड़ी कालोनी में टहलने गए और वही पार्क में एक छोटे से मन्दिर के निकट बैठकर यू-ट्यूब  पर गुरूजी के सद्वचन सुनते हुए ही प्राणायाम किया. एक चबूतरे पर तीन काले पत्थरों पर नाग तथा शिव की आकृतियां खुदी हैं. नन्हे ने नाश्ता मंगाया. उन्होंने शुरुआत फलों से की, फिर दोसे का नाश्ता. नए घर में गए, वापसी में लन्च भी बाहर किया. वापस आकर मृणाल ज्योति का कुछ काम था, अब चार-पाँच महीने ही शेष हैं उसे इस संस्था के साथ काम करने का अवसर मिलेगा. रास्तों में गुलमोहर के पेड़ों पर लाल फूलों की बहार देखी. यहाँ के मौसम के अनुसार वृक्षों अर फूल जल्दी आते हैं, असम में देर से. 


दोपहर के साढ़े तीन बजे हैं. नन्हे का घर पांचवी मंजिल पर है. नीचे तरणताल से बच्चों के तैरने की आवाजें पिछले दो-तीन घण्टों से आ रही हैं. धूप तेज है, दोनों बिल्लियां बाहर बालकनी में आराम कर रही हैं. अभी-अभी छोटी बहन से बात की, बताया अस्पताल में पिछले दिनों उसने काफी लंबी-लंबी ड्यूटी की. इसी वर्ष वह बेटियों से मिलने कनाडा जाएगी. कल रात को नींद में ध्यान व स्थिरता का अनोखा अनुभव हुआ. उसके बाद जो भी शब्द मन में आया रहा था, वह स्पष्ट दिख रहा था. लाल शब्द लाल रंग में लिखा हुआ तथा कोई पशु-पक्षी उसी प्रकार से रचा जा रहा था. मन के भीतर सृष्टि रचने की कितनी क्षमता है. योग वसिष्ठ में ब्रह्म की सत्यता को विलक्षण ढंग से सिद्ध किया गया है. इन्द्रियों का सार मन, मन का सार बुद्धि, बुद्धि का सार चिदवलिका तथा चिदवलिका का सार शुद्ध सत है यानि शुद्ध चैतन्य से ही सब प्रकटा है. जैसे सागर से फेन, लहर, बुदबुदे व बर्फ पैदा होते हैं पर वे सागर के सिवा कुछ भी नहीं नहीं है. जगत अकारण है इसलिए वस्तुओं व घटनाओं के कारण को खोजने में कोई सार नहीं है.


और अब कालेज के अंतिम वर्ष की बात, उस दिन पिताजी ने दो पार्कर के पेन दिए थे, उसने कहा, ये तो बहुत महंगे हैं तो वह बोले कि वह महंगी नहीं है क्या ? सुनकर उसे बेहद ख़ुशी हुई. वह पिताजी से कैसे कहे कि यह बात.. यह बात.. उसे हमेशा याद दिलाएगी कि वह उससे प्रेम करते हैं और वह बहुत अच्छे हैं. वह सदा उनका आदर करेगी और उनका सम्मान ऊँचा करने का प्रयत्न ! थैंक यू .. मैनी मैनी थैंक्स. 


मन उदात्त भावों से भरा है. हल्की -हल्की मधुर बांसुरी की धुन मन के किन्हीं कोनों में सुनाई दे रही है. सोवियत नारी में वह नन्हे बच्चों की कहानी कितनी अद्भुत है, ऐसी कहानियां तो उसे जिंदगी का अहसास दिलाती हैं कि कहीं दूर, उनसे दूर किसी देश में बच्चे वैसा सोच जाते हैं जैसा सिर्फ उनके मन में होता है. .. और आरोग्य में वह लेख, युवावस्था, विचारों के बहाव का, साथ ही दृढ़ता का नाम है. खुदबखुद चेहरे पर छायी रहने वाली रौशनी का नाम है और दूसरों से प्यार करने, उन्हें दुःख न देने का. साथ ही दुनिया को एक रंगीन तोहफा समझना ! बेशकीमती तोहफा ! 


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