कल का पन्ना कोरा ही रह गया है, स्वास्थ्य ठीक न हो तो उत्पादक क्षमता कितनी घट जाती है. डायरी में आज भी कल की तरह नासिका में विचित्र सी गंध आ रही है . कल दिन भर मन में अनुत्तरित प्रश्न चलते रहे, आज सुबह तक सन्देह का सा वातावरण था. कोई स्वास्थ्य संबन्धी समस्या है या कोई रहस्य है सृष्टि का. आज दोपहर कोर्स का अंतिम दिन था, सेंटर गयी, वहाँ का सकारात्मक वातावरण तथा टीचर के प्रेरणादायक वचन सुनकर मन पुनः आह्लाद से भर गया है. जो भी है परमात्मा का प्रसाद है, आज से पूर्व किसी भी स्वास्थ्य संबंधित समस्या ने उसे परेशान नहीं किया, पर गंध आने पर भविष्य में कोई समस्या हो सकती है, इसी भय का असर था कि मन घबरा गया था. कल किसने देखा है, जो ‘है’ उसी पर ध्यान देना है. जो नहीं है उसे महत्व नहीं देना है. गुरु का ज्ञान भी उसी वक्त काम आता है जब वे शरणागत हो जाते हैं उनके हाथ में कुछ नहीं है, जो भी जब भी होगा उसका सामना वे करेंगे, यह भरोसा गुरु उन्हें देता है. गुरूजी कहते हैं, परमात्मा, आत्मा और गुरु में कोई भेद नहीं है. उसका जीवन किसी के काम आये तभी सार्थक होगा. जो काम वह भली प्रकार कर सकती है, उसी के द्वारा संसार के किसी काम आ सकती है. उसने सोचा कल स्कूल जाना है, एक नए सन्देश के साथ, फिर कैलेंडर पर नजर गयी, कल बुद्ध पूर्णिमा है. वह लिख रही थी कि ड्राइवर का फोन आया, उसे दस किलो अख़बार की रद्दी चाहिए, शाम को ले जायेगा. छोटे भाई ने आज छोटी बुआ से वीडियो कॉल पर बात करायी, उनका सुंदर घर भी देखा. कुछ वर्ष अस्वस्थ रहने के बाद अब वह पुनः ठीक हो रही हैं.
नौ बजने वाले हैं आज बुद्ध पूर्णिमा है. भगवान बुद्ध के जीवन पर आधारित एक धारावाहिक भी है यू-ट्यूब पर, दो एपिसोड देखे. सभी भाग देखेगी एक एक कर ! ब्लॉग पर उनके बारे में दो पोस्ट्स लिखीं, उनका जीवन आज भी एक मिसाल है, अनोखी थी उनकी तपस्या और अद्धभुत था उनका ज्ञान. आनन्द ने उनके उनकर वचनों को संग्रहित किया. काश्यप उनके प्रिय शिष्य थे. रात वे समय पर सोये सो सुबह भी सहजता से उठे. माली से कुछ काम करवाना था, बुलवाया पर उसके सर में पीड़ा थी, शायद ज्यादा नशा करने के कारण. योग कक्षा में आज बच्चों को आनंद पूर्वक बड़ा करने के कुछ उपाय बताये, जो उस किताब में पढ़े थे. नैनी को भी बताना है, वह अपने बेटे को बहुत डांटती है. विचित्र गन्ध विदा हो गयी, इस समय नासिका से भीनी-भीनी मधुर गन्ध आ रही है. परमात्मा की सृष्टि में सब कुछ कितना रहस्यमय है. आज दोपहर डॉक्टर के पास भी गयी थी, उसने एक फ्री एयर स्प्रे दिया है, दिन में एक ही बार डालना है. एक्स रे भी किया. आज क्लब में ‘अक्टूबर’ फिल्म थी. जून गए थे.
परसों वे शिवसागर गए थे, कल तीन कविताएं लिखीं, एक परसों के पन्ने पर है, आशा और विश्वास से भरे शब्द.. यदि पीड़ा न हो जीवन में तो सुख का सम्मान भला कौन करेगा. इन कविताओं को एक-एक कर ब्लॉग पर प्रकाशित करेगी, हो सकता है उसके शब्द किसी आकुल उर को शांति की एक छांव दे जाएँ. इस समय रात्रि के आठ बजे हैं अभी-अभी छोटे भाई का फोन आया. आज सुबह छह बजे उसे कोई उठाने आया था, किन्हीं हाथों ने उसे स्पर्श किया और थपकी देकर कहा भोई, उठो, उठो ! उसने आवाज भी स्पष्ट सुनी और वह सुबह से ही आश्चर्य विमुग्ध है. परमात्मा उनके आस-पास है, वह कभी उनसे दूर नहीं होता, वे ही अपनी व्यर्थ की उलझनों में उसे भुला बैठते हैं. टीवी पर तेनालीराम की चतुराई की कहानी आ रही है.
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०१-१२ -२०१९ ) को "जानवर तो मूक होता है" (चर्चा अंक ३५३६) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार !
Deleteबेहतरीन रचना।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteवाह बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteपुनः, आभार !
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