Thursday, June 2, 2011

भूलने की आदत


रात के दस बजे हैं, उसे नींद आ रही है कल रात वे  देर तक बातें करते रहे शायद एक बजे के बाद सोये हों. नूना ने  टालस्टाय की ‘अन्ना केरेनिना’ पढनी शुरू की है. उसने सोचा, अब बत्ती बंद करती है, उसे रोशनी में नींद नहीं आती.

कल शाम नूना ने उससे पूछा आज फरवरी की अठाहरवीं तारीख है या उन्नीसवीं, इसका सीधा सा अर्थ है कि आजकल उसे  तारीखें भी याद नहीं रहतीं, न दिन व समय का ध्यान है, इतना खो गयी है वह  अपने इस छोटे से संसार में... कल कुछ लिखा भी नहीं. शनिवार को वे  डिनर पार्टी कर रहे हैं उसके सहकर्मी आएँगे. दूध वाले को ज्यादा दूध के लिये कहना था भूल गयी, और कल दोपहर दूध गैस पर रखकर भूल गयी, कुछ भी हो, यह अच्छा नहीं है कितना दुःख हुआ उसे, अच्छा हुआ वह घर पर ही था. कल शाम क्लब में intelligence beyond thoughts पर एक भाषण था, इतने दिनों के बाद इस तरह के विषय पर सुनना एक सुखद अनुभव था. लौट कर साथ-साथ खाना बनाया, वह किचन में इतनी अच्छी तरह से मदद करता है, वे और निकट आते जा रहे हैं.

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