दूज का चाँद
आज शाम को भी वे कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए टहलने नहीं गये। अब तो लॉक डाउन की अवधि भी बढ़ा दी गई है। एक ही शहर में रहने के बावजूद नन्हे को घर आये एक महीना होने वाला है। अब शायद वे लोग माह के अंत में उसके जन्मदिन पर ही आयेंगे। लोगों ने पूजास्थलों पर जाना बंद कर दिया है, त्योहारों पर मेहमानों को बुलाना भी। कोरोना ने सबको सीमाओं में बंधना सिखा दिया है। ननदोई जी से बात हुई, उन्होंने बताया, परिवार के चार लोग अपने-अपने कमरों में बैठकर अपने-अपने मोबाइल से एक साथ लूडो खेलते हैं। उनके एक मित्र के परिवार में गाँव में ब्याह हुआ था, सौ लोग एकत्र हुए थे, कई लोगों को संक्रमण हो गया। कई देशों ने भारत को सहायता सामग्री भेजनी आरम्भ की है।देश में पहली बार एक दिन में चार लाख केस मिले हैं।
प्रातः भ्रमण के समय शिव के मस्तक पर सजे चंद्रमा सा सुंदर चाँदी का सा चाँद गगन में चमक रहा था। शाम को पापा जी से बात हुई, वह सदा की तरह उत्साह से भरे थे।ज्ञान से भरी बातों के अलावा उन्होंने और भी कुछ बातें बतायीं। कह रहे थे, विविध भारती के कार्यक्रम विविधा पर रवींद्र नाथ टैगोर की कहानी ‘मँझली बहू’ सुनी। उनकी गली में गैस का चूल्हा ठीक करने वाला आदमी आवाज़ लगा रहा था, उसे बुलाया और अपना ३९ वर्ष पुराना गैस का चूल्हा ठीक करवाया। कारीगर ने कहा चार-पाँच वर्ष पहले भी आपने ठीक करवाया था। उसने पाइप बदल दी और नोजल्स भी। उसे याद है, जब वह कॉलेज में थी तब यह चूल्हा घर में आया था, एशियाड गेम्स हुए थे उस साल। उनका नया कलर टीवी भी तब आया था।दस दिन के बाद आज से नैनी ने काम पर आना शुरू कर दिया है। बच्चों ने ‘मातृ दिवस’ पर उसके लिए पाँच किताबों का एक सेट भेजा है। कल है मदर’स डे ।आज एक लेखिका मनोरमा कल्पना को पहली बार पढ़ा, बहुत अच्छा लिखती हैं। प्रकृति से उन्हें बहुत प्रेम है।
कुछ देर पहले बच्चों से बात हुई, अब वे दोनों ठीक हैं। नन्हे के एक पुराने सहकर्मी के पिता का कोरोना से देहांत हो गया। शुरू में पाँच-सात दिन वह घर पर ही थे, फिर मुश्किल से अस्पताल में बेड मिला।पर घर आकर दुबारा स्वस्थ जीवन जीना उनके भाग्य में नहीं था, हृदयाघात हो गया। यह आपदा प्रकृति द्वारा आयी है या मानवों द्वारा लायी गई है, यह कोई नहीं जानता।पापाजी ने आज राजदीपसर देसाई के एक वीडियो के बारे में बताया, वह मोदी जी की आलोचना कर रहे थे। लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। आज एक दुखद समाचार और मिला, उनकी सोसाइटी के फ़ैसिलिटी मैनेजर का देहांत हो गया, कुछ दिन पहले ही वह कोरोना से संक्रमित हुए थे। उनकी बेटी अभी एक वर्ष की है, पत्नी और माता-पिता भी उन पर आश्रित थे। भीतर तक हिला गया यह समाचार, तब समझ में आया जिनके प्रियजन जा रहे हैं, उन्हें कैसा लगता होगा। काफ़ी देर तक मन में पीड़ा बनी रही। स्कूटर पर आते-जाते सोसाइटी के सभी लोगों ने अक्सर उनको देखा था, अपने काम के प्रति बहुत समर्पित थे, सभी के साथ उनका अच्छा संबंध था।
श्रद्धा और सबूरी का छोटा सा मंत्र साईं ने बरसों पूर्व बल्कि सौ वर्ष पूर्व दिया था। इस छोटे से मंत्र में कितना बड़ा ज्ञान छिपा है। धैर्य के साथ यदि कोई चले तो जीवन की कोई भी परिस्थिति उसे विचलित नहीं कर सकती, और श्रद्धावान को ही ज्ञान मिलता है, यह तो भगवद् गीता में भी कहा गया है। आज सुबह की साधना के बाद उसे भीतर चट्टान जैसी स्थिरता का अनुभव हो रहा है और एक शांति का भी। अब साधना सहज हो गई है, जैसे स्वभाव का ही एक अंग, और लेखन भी ऐसे ही है। लिखने के लिए भी कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता, कोई जैसे लिखवा लेता हो। वैसे जब यह सारी सृष्टि ही किसी व्यवस्था के द्वारा चलायी जा रही है तो चेतना भी पहले से ही मौजूद रही होगी। पाँच तत्व भी रहे होंगे। परमात्मा हर जीव के भीतर विद्यमान है। शिव कहते हैं, जब तक देह में प्राण हैं, वह जीव के साथ हैं, अर्थात उनमें हैं, और जब प्राण नहीं रहते तब जीव शिव में ही रहते हैं। एक शक्ति है जो देह व मन के माध्यम से व्यक्त हो रही है। जब वह स्वयं में टिक जाती है तो वही आत्मा है, और जब वह मन, बुद्धि के माध्यम से व्यक्त होती है, जीव कहलाती है। शाम को पापाजी से बात हुई, उन्होंने बताया, कोरोना के कारण सरकार पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।सरकार ने उसका क्या जवाब दिया, यह भी बताया। जून ने कोरोना काल में ईवी की देखभाल पर एक वेबिनार में भाग लिया।जिसमें एक सुझाव यह भी दिया गया, बीच-बीच में कार के इंजन को चलाना है, नहीं तो बैटरी ख़राब हो जाएगी।
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