चंदन का लेप
आज रविवार है, माली आने का दिन, सो योगाभ्यास का अवकाश। उसने माली से सारे गमलों की निराई-गुड़ाई करवायी और ‘रात की रानी’ के पौधे ज़मीन में लगवाये। ‘मॉर्निंग ग्लोरी’ के गमले ऊपर सिट आउट में रखवाए हैं। बच्चे आये तो उन्हें नाश्ते में कटहल दोसा मिक्स से बना दोसा खिलाया। जून ने गेहूं का दलिया भी बनाया था, वह इसमें निपुण हो गये हैं। दोपहर बाद सब मिलकर दो मकान देखने गये, सोनू के माँ-पापा भी बैंगलुरु में आकर बसना चाहते हैं। शाम को चार बजे से ‘जोड़ों के दर्द’ पर डेढ़ घंटे के वेबिनार के एक सत्र में भाग लिया, जिस पर आधारित एक लेख उसे लिखना है।स्वस्थ रहने के लिए कितने ही नुस्ख़े और आदर्श जीवन शैली के बारे में वैद्य ने बताया। सुबह मुँह का स्वाद कुछ कड़वा सा था, ‘धौति’ क्रिया की। इस समय भी देह में ताप का अनुभव हो रहा है। वे आयुर्वैदिक अस्पताल जाने का विचार कर रहे हैं।
आज फ़रवरी का प्रथम दिवस है।वसंत ऋतु दस्तक दे रही है। आम के बगीचे से भीनी-भीनी सुगंध बहती रहती है। सुबह वे टहलने गये तो आकाश पर तारे टिमटिमा रहे थे। वापस आकर ‘हेल्थ इन योर हैंड’ पुस्तक निकाल कर कुछ पन्ने पढ़े, उसमें लेखक ने सामान्य रोगों को दूर करने के कई सरल उपाय बताये हैं। आज भी स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं है। सुबह से सिर में हल्का दर्द है। इस समय मस्तक पर चंदन का लेप लगाया है, जो भीतर की गर्मी को खींच लेगा। जीरा-सौंफ वाला पानी पिया। कैस्टर आयल लिया। दिन में नारियल पानी व मट्ठा भी लिया था।शरीर में अग्नि तत्व बढ़ गया है। शाम को कुछ देर ‘चन्द्र नाड़ी प्राणायाम’ भी किया, ‘शीतली प्राणायाम’ भी। नाड़ी की गति बैठे रहने पर भी ९५ रहती है। चलते समय पैरों में जकड़न सी महसूस होती है। अचानक ही इतने सारे लक्षण आ गये हों, ऐसा नहीं है। पाचन क्रिया मंद रहने की समस्या तो कुछ दिनों से थी ही। ख़ैर, यह सब शरीर को हो रहा है, मन भी शरीर का ही सूक्ष्म हिस्सा है। पिछले दिनों रात को नींद ठीक से नहीं आयी, उसका असर रहा होगा।जो भी हो, आत्मा साक्षी भाव से सब कुछ देख रही है, उस पर कुछ भी असर नहीं हो रहा है।आज सुबह एक सखी से बात की, दोपहर को दीदी-जीजा जी से, शाम को भी एक परिचिता से वार्तालाप हुआ, सभी से सामान्य बातें हुईं। दोपहर को ‘जोड़ों के दर्द’ पर लेख लिखना आरम्भ किया। ब्लॉग पर एक पोस्ट प्रकाशित की। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक बजट प्रस्तुत किया, जिसे बहुत सराहा जा रहा है।
रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। एक और दिन स्वास्थ्य की देखभाल करते बीत गया। सुबह कितना हल्का महसूस हो रहा था पर दोपहर बाद कुछ भारीपन लग रहा था। रात्रि भ्रमण के समय पैरों को भली प्रकार पता चला कि चलने के लिए भी एक प्रयास करना पड़ता है। सुबह सवा चार बजे नींद खुल गई थी। सुबह सामान्य रही। याकुल्ट, नारियल पानी, ग्रीन टी तथा खीरा नींबू वाला पानी पिया दिन भर।संभवत: वजन भी बढ़ गया है। सारी समस्या इसी कारण हो रही है। इसे कम करने का उपाय करना होगा।छोटी भांजी के जन्मदिन के लिए लिखी कविता उसे भेज दी, बहन के साथ उसने दुनिया की सबसे लंबी ‘ज़िप लाइन’ में भाग लिया। शाम को नन्हे का फ़ोन आया, सोनू की मौसेरी बहन को एक और सर्जरी करानी पड़ेगी। उसे गॉल ब्लेडर में स्टोन हो गया था।
आज एक संत को सुना, “आगे से जवाब देना, उल्टा बोलना, ज़ोर से बोलना, दूसरे की बात को न सुनना या नकार देना, ये सभी वाणी के दोष हैं, जिनसे साधक को बचना चाहिए। अहंकार ही आत्मा को प्रकट न होने देने में सबसे बड़ी बाधा है, और उपरोक्त सभी बातें अहंकार से उपजती हैं, न कि विवेक से।विवेक तो सदा आत्मा से युक्त रहता है, जो प्रेमस्वरूप है।” उसकी अस्वस्थता में उसका इतना ध्यान रखने वाले जून को जब वह कभी आगे से जवाब दे देती है तो उन्हें कितना बुरा लगता होगा। उनका धैर्य अपार है, जो उसकी सारी हिमाक़त चुपचाप सह लेते हैं और सुबह से शाम तक हर कार्य में उसकी सहायता करने को तत्पर रहते हैं। आज से बल्कि अभी से वह प्रण करती है कि उनकी हर बात को अपने लिए आज्ञा मानकर शिरोधार्य करेगी ताक़ि उसका अहंकार छूट जाये और आत्मा में स्थिति दृढ़ हो जाये; जो कि उसका वास्तविक स्वरूप है। उसका रोग भी तो शरीर के साथ स्वयं को जोड़कर देखने से ही हुआ है। भोजन के प्रति आसक्ति का ही यह फल है।
बहुत बहुत आभार यशोदा जी !
ReplyDeleteबेहतरीन और ज्ञानवर्धक लेख अनीता जी
ReplyDeleteस्वागत व आभार अभिलाषा जी !
Deleteबेहतरीन लेख। मानो रोजमर्रा के जीवन की सच्चाई को सुंदर तरीके से शब्दों में पिरो दिया हो।
ReplyDeleteस्वागत व आभार रूपा जी !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteस्वागत व आभार आलोक जी !
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