आज प्रातः भ्रमण करते समय कुछ देर ‘वॉकिंग मैडिटेशन’ किया। इसमें हर कदम को सजग होकर उठाना है और दोनों हाथ देह से सटाकर रखने हैं, उन्हें हिलाते हुए नहीं चलना है। ऐसा करने से विचार रुक जाते हैं और भीतर मन ठहर जाता है। मैडिकेशन या मैडिटेशन दोनों से एक का चुनाव हर व्यक्ति को करना ही पड़ेगा। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से स्वयं को स्वस्थ रखना हो तो ध्यान सर्वोत्तम उपाय है। गुरुजी के बताये कितने ही ध्यान मन को ऊर्जा से भर देते हैं। मन तब मनमानी करने से आनंदित नहीं होता बल्कि अपने लिए स्वयं काम तय करता है। जैसा सुबह तय किया था, उसने दोपहर को एक चित्र बनाया, एक कविता लिखी और एक पोस्ट ब्लॉग पर प्रकाशित की।कितना सही कहा है किसी ने परमात्मा भी उनकी सहायता करते हैं जो अपनी सहायता आप करता है।शाम को वर्षा के कारण बाहर जाना नहीं हुआ।रात को भी हल्की रिमझिम थी, जून को ऐसे मौसम में घर पर रहना ही भाता है, उन्हें लगता है चप्पल भीग जाएगी, कपड़ों पर छींटे पड़ेंगे सो अलग, पर उसके लिए बारिश एक उपहार है और उसके साथ जुड़ी हर बात भी।इसलिए दस-पंद्रह मिनट की छोटी सी वॉक के लिए वह छाता लेकर अकेले ही निकल गई। रात्रि नौ बजे आर्ट ऑफ़ लिविंग की दिव्य कांचीभोटला जी का इंस्टाग्राम पर कार्यक्रम है। वह ‘ग्लोबल एन्सिएंट नॉलेज सिस्टम’ पर बोलने वाली हैं। उसे ट्रांस्क्राइब करना है। पूरा शब्द ब शब्द नहीं, केवल मुख्य बिंदु लिखने हैं। नौ बजे से आरम्भ होगा।बाद में उसका हिन्दी अनुवाद करना है।दिव्या जी एओएल की रिसर्च विंग श्री श्री इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड रिसर्च की डायरेक्टर हैं। जून ने भी पहले कुछ महीनों तक यहाँ कुछ काम शुरू किया था। यहाँ पर ध्यान, योग, आयुर्वेद और विश्व की अन्य ज्ञान प्रणालियों पर अनुसंधान होता है। सुदर्शन क्रिया के लाभों पर अनुसंधान भी हो रहा है। इस सेवा कार्य से उसकी ख़ुद की जानकारी भी कितनी बढ़ रही है। उसने मन ही मन गुरुजी का धन्यवाद किया।
आज सुबह आकाश स्वच्छ था, नीला धुला-धुला सा, कुछ तस्वीरें उतारीं, जो नेट पर प्रकाशित करेगी। नीले शुभ्र आकाश को देखकर किसी को भी अपने अनंत स्वरूप का स्मरण आ सकता है। कल उनके विवाह की वर्षगाँठ है। एक बार उसने एक नाटक सुना था, जिसका सार था, अनेक वर्षों साथ रहने पर भी कोई भी दो व्यक्ति पूरी तरह से एक-दूसरे को कहाँ जान पाते हैं; क्योंकि चेतना अनेक रूप बदल सकती है। एक ही व्यक्ति के भीतर अनेक व्यक्ति रहते हैं। एक वैज्ञानिक और संगीतकार एक साथ रह सकते हैं। गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर कितने ही विषयों में सिद्ध थे।जून आजकल ज़्यादा बात नहीं करते। सेवा निवृत्त हुए अभी उन्हें डेढ़ वर्ष हुआ है, कभी-कभी लगता है, वह अभी से बोर हो गये हैं।कोरोना के कारण भी वह बंधन महसूस करते हैं। जबकि उसके मन की उड़ान को देश-काल का कोई बंधन नहीं है। नन्हे ने फ़ोन करके जून के वस्त्रों का साइज पूछा, शायद उपहार ख़रीदा रहा होगा। उसे इन सब बातों का बहुत ध्यान रहता है।
आज का विशेष दिन भला-भला बीता।सुबह सभी मित्रों व संबंधियों के शुभकामना फ़ोन आ गये। वे हॉर्लिक्स पी रहे थे कि नन्हा और सोनू भी आ गये। वे केक और उपहार लाए थे। उन दोनों के लिए घड़ी और जून के लिए वस्त्र। अपने साथ रसोइये से विशेष रूप से मँगवाया सरसों का साग भी लाए जो यहाँ नहीं मिलता है और जून को बहुत पसंद है। दोपहर को मक्की की रोटी के साथ बनाया। नाश्ते में मोरिंगा के पराँठे बने, जो मोदी जी की पसंद हैं। सहजन के पत्तों से बनाये जाते हैं, यू ट्यूब पर विधि देखकर बनाये। आज नया कुछ नहीं लिखा, गूगल की मेहरबानी से एक पुरानी कविता के साथ कुछ पुरानी तस्वीरों को जोड़कर एक वीडियो बनाया। शाम को वे आश्रम गये थे । विशाला कैफ़े में सागर नाम के एक युवक ने उनकी तस्वीर खींच दी। पहले वह जून की तस्वीर उतार रही थी। युवक तथा उसकी मित्र यह देख रहे होंगे। उसकी मित्र ने ही प्रेरित किया होगा संभवत:, तस्वीर अच्छी आयी है, उनकी एक और तस्वीर साथ-साथ !
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