मूंगफली मेला
रात्रि के पौने दस बजे हैं। आज सुबह भी वे प्रतिदिन की तरह अंधेरे में ही टहलने गए। सुबह सोसाइटी की तरफ से बगीचे व गमलों में खाद डाली गई। ग्लैडियोली के बल्ब फूटने लगे हैं। जून को पिटुनिया लगाने का मन है। जिनके लिए यहीं स्थित सुपर मार्केट में रेलिंग में लगाये जाने वाले दस गमलों का ऑर्डर दिया है, बालकनी में लगाएंगे। नैनी सुबह सफाई करके नहीं गई, दोपहर को बेटी को साथ लाएगी, ऐसा कहकर। दोपहर को दोनों ने मिलकर सभी खिड़कियों के शीशे साफ किए।अब भाषा के कारण कोई समस्या नहीं होती, वह इशारों से सब समझ व समझा लेती है।
शाम को वे एओल आश्रम जाने से पहले मैसूर रोड पर स्थित बालाजी नर्सरी गए, पर वहाँ फूलों की पौध नहीं मिली। आश्रम की नर्सरी से फूल के दो पौधे लिए। वहाँ भीड़ बहुत थी। गुरूजी लगभग साढ़े छह बजे आए, उसके पहले भजन गाए जा रहे थे। आज गुरूजी ने डाक्टर्स तथा वैज्ञानिकों के प्रश्नों के सदा की तरह आनंदित करने वाले जवाब दिए। कुछ पुलिस अधिकारी भी उनसे मिलने आए थे। जापान से आए एक व्यक्ति ने जल को शुद्ध करने का एक सस्ता व सरल तरीका बताया। उन्हें कुछ सर्दी भी लगी हुई थी, एक-दो बार छींक आयी। वहाँ से आकर मन कितना हल्का लग रहा है।आश्रम के कैफे में ही दोसा खाया।
रात्रि के नौ बजे हैं। नवंबर का महीना है, कमरे में गर्मी का अहसास हो रहा है। यहाँ सर्दी का मौसम मात्र दिसंबर-जनवरी में ही होता है। दोपहर को टेलर से कपड़े ले आए, ठीक सिले हैं. लक्ष्मी नर्सरी से गुलदाउदी के पौधे लिए तथा एक स्नेक प्लांट, जो कमरे में रखा जा सकता है। आज लेखन का कोई कार्य नहीं हुआ, एक कविता पर एक प्रतिक्रिया लिखी। बड़े भाई ने पिताजी के लिए एक वीडियो बनाया है जिसमें उनकी अकेले तथा सबके साथ तस्वीरें हैं। आज मार्केट में पहली बार ‘रिलाइन्स ट्रेंड्स’ गए वे, घर ले जाने के लिए कुछ उपहार खरीदे, उनके साथ एक चादर मुफ़्त मिली, तथा कुछ कूपन भी, उन्हें आश्चर्य हुआ जितने का समान था उतना ही गिफ्ट, यह कैसा व्यापार है !
आज राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गये ऐतिहासिक फैसले का दिन था। सरकार ने बहुत सावधानी बरती और सबको बार-बार कहा कि फैसला किसी के भी पक्ष में हो, हिंसा नहीं होनी चाहिए; और ऐसा ही हुआ है। कई मुस्लिम संस्थाओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। पिताजी से बात हुई, उन्हें भी इस फैसले से खुशी हुई है। छोटा भाई आज छोटी ननद के घर गया है, वह बैंक के काम से पूरे भारत में घूमता है। शाम को एक सखी का फोन आया, अब वह उनके असम वाले कंपनी के घर में रहने वाली है। अच्छा है कि वह पुरानी नैनी को सर्वेन्ट रूम में रहने देगी। आज एओल के एक ऐप से योग साधना में सहायता ली। शाम को गुरूजी का एक सुंदर प्रवचन सुना, “फीलिंग द प्रजेन्स”, कितने सरल शब्दों में कितनी गहरी बात उन्होंने बता दी।
आज वे मूंगफली मेला देखने गए, जिसे यहाँ पर ‘कंदले काई फरशे’ कहते हैं। बसवन गुड़ी में कार्तिक माह के अंतिम सोमवार को आयोजित होने वाला यह मेला चार सौ वर्ष पुराना है। लगभग दो किमी सड़क पर मूंगफली बेचने वाले किसान व व्यापारी अपने दुकानें लगाते हैं। मेले में अन्य दुकानें व झूले आदि भी होते हैं। सात दिनों तक चलने वाले इस मेले में लगभग बारह से पंद्रह टन मूंगफली बेची जाएगी। ज्यादा भीड़ होने के कारण वे बीच से ही लौट आए, नन्हे का एक मित्र भी साथ था, पहले वे उसी के घर गए थे, जो उसी इलाके में रहता है। उसने बताया कि बचपन के बाद इतने वर्षों में वह आज पहली बार ही मेले देखने आया है। कभी बाद में देखेंगे यह सोचकर अपने ही शहर के दर्शनीय स्थल देखने लोग नहीं जा पाते हैं।
उसने कालेज के दिनों की डायरी में पढ़ा, विनोबा के विचार उसने लिखे थे। ‘अध्यात्म-ज्ञान से बगावत की हिम्मत आएगी’
“हम देह से अलग अविनाशी, आत्मरूप हैं, परमेश्वर अंदर विराजमान है, इसी जन्म में उसका दर्शन सुलभ है, सारे जीव हमारे रूप हैं” इस अध्यात्म विचार में प्रवीण होना चाहिए।
शिक्षण में सत्यनिष्ठा और जीवन में तपस्या की सख्त आवश्यकता है जिससे मौजूद समाज के खिलाफ बगावत करने की हिम्मत आए। जिसके अंदर अध्यात्म विद्या है उसे सारी दुनिया भी दबाना चाहे तो दबा नहीं सकती। मेरा विश्वास है कि अध्यात्म विद्या से हम जबरदस्त क्रांति कर सकते हैं। पुस्तकों से मदद अवश्य मिलती है, परंतु अगर मूल विचार मिलता है तब ही आगे की बात हो सकती है । आत्मजज्ञान ही सही ज्ञान है जिसकी सबको जरूरत है। मुख्य रूप से तीन प्रकार का ज्ञान हरेक को होना चाहिए - आरोग्य ज्ञान, नीति ज्ञान, आत्मज्ञान !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक ११-०३-२०२१) को चर्चा - ४,००२ में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
बहुत बहुत आभार !
Delete
ReplyDelete“हम देह से अलग अविनाशी, आत्मरूप हैं, परमेश्वर अंदर विराजमान है, इसी जन्म में उसका दर्शन सुलभ है, सारे जीव हमारे रूप हैं” इस अध्यात्म विचार में प्रवीण होना चाहिए। बिल्कुल सही कहा आपने।
स्वागत व आभार ज्योति जी !
Deleteमहाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteशानदार, आध्यात्मिक सा गहन आलेख।
स्वागत व आभार !
Deleteबढ़िया संस्मरण । मूंगफली मेला भी होता है ये पहली बार जाना ।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteस्वागत व आभार !
Deleteमंगलपर्व की शुभकामनाएं
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Delete