दोपहर का समय है. कुछ देर पहले टीवी पर ‘वंदे भारत’ ट्रेन के बारे में सुना, जो दिल्ली से कटरा जाएगी, सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है यह भारत में ही बनी रेल. आज रसोईघर व पैंट्री के सामान को अलग किया, जो बाँट देने हैं और जो ले जाने हैं. परसों नन्हा व सोनू आ रहे हैं, पांच-छह दिन रहेंगे. तब पुस्तकों को पैक करने का कार्य आरम्भ करेंगे. आज एक मित्र परिवार के यहाँ भोजन पर जाना है. उसके लिए एक कविता लिखेगी, विदाई का उपहार ! सुबह टहलने गए तो वापसी में बात की कि कब वे घर कम्पनी को हैंडओवर करेंगे. एक दिन पहले उन लोगों को बुलाएँगे जिन्हें सामान देना है ताकि अगले दिन घर की चाबी जमा करके गेस्टहाउस में शिफ्ट हो जाएँ. वहाँ रहने के लिए सूटकेस भी पैक कर दिया. केवल एक सप्ताह ही शेष है इस घर में. आज नाश्ते में जौ का दलिया बनाया. मुक्तिबोध की कविता के बारे में एक आलेख पढ़ा.
कल नवरात्रि के दौरान सप्तमी का व्रत रखना है, देवी के कालरात्रि के रूप की पूजा होती है इस दिन. परसों बच्चों को अंतिम बार प्रसाद खिलाना है. उसके बाद वे सब एक रात के लिए दिगबोई जायेंगे. आज शाम को एक दक्षिण भारतीय सखी के यहाँ गयी, उसने सुंदर मूर्तियों व वस्तुओं से अद्भुत मंदिर सजाया है, प्रसाद खिलाया, दिया और तस्वीरें भी उतारीं। उसके लिए लिखी कविता पढ़कर सुनाई. आज अंतिम बार घर पर घी बनाया, पता नहीं बंगलूरू में इतना अच्छा दूध मिलेगा या नहीं.
पिछले पांच दिन व्यस्तता में बीते. नन्हा और सोनू शिलांग में एक रात बिताकर वापस अपने घर पहुँच गए हैं. आज वे गेस्टहाउस आ गए हैं. साढ़े दस बजे तिनसुकिया जाना है. कुछ सामान खरीदना है. यूट्यूब पर पुष्पेंद्र जी कश्मीर के इतिहास पर बात कर रहे हैं. कश्मीर को इस्लामिक राज्य बनाने के एजेंडे पर वह आजादी के बाद के दौर के नेताओं की अदूरदर्शिता की बात कर रहे हैं. आज सुबह गोल्फ फील्ड में टहलने गए, सूर्योदय हो चुका था, कुछ तस्वीरें उतारीं। आज शाम को दो जगह लक्ष्मी पूजा में जाना है. कल एक शादी में जाना है और परसों कम्पनी की तरफ से विदाई पार्टी है. गेस्टहाउस में सभी सुविधाएँ हैं. 34 वर्ष पहले जब विवाह के बाद वह पहली बार वह असम आयी थी तो घर मिलने तक इसी गेस्टहाउस में दो-तीन दिन रुकी थी.
आज दोपहर को मृणालज्योति से कुछ लोग मिलने आये. सुबह नाश्ते के बाद वे हाथियाली स्थित विल्टन चाय बागान देखने गए. मीलों तक फैले हरे-भरे बागान और बीच-बीच में धान के खेत, जिनमें से कुछ में धान पकने लगा है. सुनहरे रंग के खेत दूसरे हरे-धानी खेतों में विशेष रूप से चमक रहे थे. कमल के पोखर भी दिखे, पर उनमें कमल कम दिखे, कल लक्ष्मी पूजा के कारण सभी कमल सम्भवतः तोड़ लिए गए थे. कल सुबह उन्हें मागोरीबील जाना है, जहाँ प्रकृति का एक अन्य रूप उन्हें देखने को मिलेगा. प्रकृति से जुड़ना हृदय से होता है, तभी प्रकृति सभी को मोह लेती है. दोपहर को खाने में करेले और छोले थे. खाना यहाँ घर की तरह होता है, तेल-मसालों की अधिकता नहीं होती. शाम को टहलते हुए वे पब्लिक लाइब्रेरी जायेंगे और रात को एक अधिकारी के बेटी के विवाह में. परसों इस समय वे बंगलूरू पहुँचने वाले होंगे. असम एक खूबसूरत याद की तरह मन में बसा रहेगा. उसके सिर में कई दिनों से हल्का दर्द बना रहता है. यह उस दुःख की वजह से है जो यहां से जाने के कारण कई बार महसूस हुआ है. कितनी बार गला भर आया और आँखें भीगीं, अथवा तो दिनचर्या में व भोजन में आये बदलाव के कारण हुआ है. जीवन में परिवर्तन स्वाभाविक है. कल शाम पार्लर में मसाज से नसों को आराम मिला. टी गार्डन से लौटते समय एक सन्त के वचन सुने, सहज स्वीकार भाव मन में नहीं होता तभी तनाव का जन्म होता है. जो कुछ भी होता है वह उस महान अस्तित्त्व का ही भाग है, वह गलत हो ही नहीं सकता. नीरू माँ भी कहती हैं, इस जगत में सब जगह इंसाफ ही होता है.
बरसों पुरानी उस डायरी के पन्ने पर उस दिन की सूक्ति थी, जो इंसान इच्छाओं से मुक्त है, वह सदा स्वतंत्र रहता है, उसने नीचे लिखा, मगर स्वतंत्रता भी कभी-कभी अप्रिय लगती है, बंधने को जी चाहता है, मनचाहा बंधन हो तो ! उस वक्त कहाँ ज्ञात था हर बंधन बस बंधन ही होता है.
अगले पन्ने पर था- सम्पूर्ण संसार की सार्थकता या निरर्थकता का दारोमदार सिर्फ उसके स्वयं के सार्थक या निरर्थक होने में है. उसके पास शक्ति है, आज है, जोश है, युवा जन उत्साह से भरे होते हैं और मुस्कुराहट से भी... वे बांटते हैं स्नेह, विश्वास और भरते हैं दूसरों में साहस ! नहीं डिगते.. उसने खुद से वायदा किया कि वह नहीं करेगी वंचित प्रकृति को अपने स्नेह से !
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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