Tuesday, January 19, 2021

कभी अलविदा न कहना

 

आज की दोपहर कितनी अलग थी. बारह बजे के थोड़ी देर बाद ही सभी एक-एक करके आने लगे. पूरी डाइनिंग टेबल खाद्य पदार्थों से भर गयी. सुंदर साड़ी का उपहार दिया सबने मिलकर, अच्छी-अच्छी बातें कीं, परमात्मा की कृपा का अनुभव अब कइयों को होने लगा है. एक साधिका ने अपनी भावनाओं को कविता के माध्यम से व्यक्त किया. एक अन्य ने परमात्मा का स्मरण किया, तीसरी ने आशीष माँगा, परमात्मा के प्रति आत्मा का प्रेम ऐसा ही होता है, आत्मा पर जब परमात्मा के इश्क का रंग चढ़ता है तो वह भावविभोर हो जाती है. एक सखी ने कहा, उसका पुत्र ग्याहरवीं में आ गया है, आजकल पढ़ने में उसका मन नहीं लग रहा है. उसे कहा है, बेटे को लेकर आये एक बार. कुछ वर्ष पूर्व उससे योग सीखने आया करता था, शायद अपने दिल की बात कहे. आज इनमें से चार साधिकाओं के लिए लिखी कविताएं उन्हें भेज दीं. शेष सभी के लिए भी हो सका तो कुछ पंक्तियाँ लिखेगी. 


रात्रि के नौ बजने वाले हैं, आज सुबह से ही टीवी चैनलों पर हाऊडी मोदी के बारे में चर्चा चल रही थी. यह कार्यक्रम अब आरम्भ हो गया है. पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं. भारतीय संस्कृति का सुंदर  चित्रण अमेरिकन इंडियन कर रहे हैं. वे भी वर्षों पूर्व ह्यूस्टन गए थे, जहाँ यह कार्यक्रम हो रहा है. थोड़ी देर में मोदीजी  भाषण देंगे, बाद में ट्रम्प भी आएंगे. आज दोपहर सन्डे योग क्लास में बच्चों को सब सामान बाँट दिया, जो हर हफ्ते वे इस्तेमाल करते आ रहे थे. भविष्य में उन्हें घर पर ही योग करना है, यह बताया पर वह जानती है, कुछ ही दिनों में वे भूल जायेंगे. शाम को एक सखी अपनी बिटिया के साथ आयी, उसे कुछ किताबें दीं. एक अन्य सखी को तीन गमले. नन्हे से बात हुई, सोनू की मौसी व उनकी बेटी उनके  यहाँ कुछ दिनों के लिए आये हैं.


आज स्कूल में विदाई समारोह था, टीचर्स, बच्चों सभी ने गीत गाए, उपहार दिया. प्रिंसिपल ने मानपत्र पढ़ा, अच्छा लगा इतनी भावनाओं को उमड़ते देखकर, आँखों में अश्रु भी छलक आये दो एक बार... पिछले छह वर्षों से वहाँ जा रही थी. स्कूल से वापस आकर कुछ देर कश्मीर पर खबरें सुनीं. पाकिस्तान वहाँ मानवाधिकारों के लिए बेवजह ही इतना शोर मचा रहा है, जबकि उसके अपने देश में कितने राज्यों में लोग पीड़ित हैं. राजनीतिज्ञ जब तक संवेदनशील न हो वह आम जनता का दर्द समझ नहीं पाता और संवेदनशील लोग राजनीति में जाते ही नहीं, जाएँ भी तो टिक नहीं पाते. भारत का सौभाग्य है कि उसे मोदी जी जैसे नेता मिले हैं  आज के दौर में. यदि भारत और अमेरिका मिल जाएँ तो आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है. कल शाम क्लब में विदाई कार्यक्रम है, आज पैकिंग का कोई भी कार्य नहीं हुआ, एक कमरे को छोड़कर सभी कमरे अभी भी पूर्ववत हैं, लगता ही नहीं कि एक महीने से भी कम समय में घर पूरी तरह खाली हो जायेगा. अगले महीने के तीसरे सप्ताह में वे बैंगलोर में होंगे. 


शाम के सवा चार बजे हैं. परसों शाम भाई पांच बजे के बाद ही आया. ढेर सारी मिठाई लाया है. कल योग साधिकाएं आयीं थीं, उन्हें उसका पटना से लाया ‘खाजा’ खिलाया और पेड़े भी. परसों क्लब में हुआ विदाई कार्यक्रम यादगार रहा. अनेक सदस्याओं ने अपने विचार और भाव प्रस्तुत किये. कविताएं पढ़ीं, कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये. योग ग्रुप की महिलाओं का कार्यक्रम ‘योग नृत्य’ सबसे अनोखा था, अंत में वे सभी भावविभोर हो गयीं, आँखें नम हो गयीं, दर्शकों की भी और कलाकारों की भी. घर लौटने में नौ बज गए थे, कितनी तस्वीरें खींचीं सबके साथ, एक सुखद स्मृति बन गया है वह दिन. कल शाम को सीएमडी की पत्नी का विदाई समारोह है, उनके लिए कविता लिखी है, सुबह पूर्व प्रेसीडेंट का फोन आया,  उन्होंने बतायीं कई बातें, सम्भवतः वह उन्हें कालेज के वक्त से जानती हैं। आज सुबह पिताजी के लिए रॉकिंग चेयर की जानकारी ली, जो वे उनके अठ्ठासीवें जन्मदिन पर भेजना चाहते हैं. फुफेरे भाई से बात हुई, भाभी का अपेंडिक्स का आपरेशन हुआ है कल, फुफेरी बहन के बारे में बताया, एक जगह उसका रिश्ता होते-होते रह गया. जीवन में जो वे चाहते हैं सब तो नहीं होता, पर उसके साथ तो ऐसा ही है. परमात्मा उसके साथ है हर पल, जो भी होता है वही होना होता है., वही होना ठीक भी होता है. जीवन कितना सरल हो जाता है यदि कोई सदगुरू राह दिखाने वाला मिल जाये ! 


... और आश्चर्य हुआ कि वर्षों पूर्व भी उसने उस दिन यही लिखा था, “गॉड इज विथ हर ! आज ही हुआ वह जैसा उसने सोचा था... ईश्वर उसका कितना ख्याल रखता है. उसका रखवाला अपनी नन्ही मित्र का कितना ख्याल रखता है ! थैंक गॉड ! रात्रि के ग्यारह बजे हैं, नींद भी आ जाएगी कुछ ही देर में पर सोने से पहले अगर मन में सपने सोच ले जो रात को देख सकेगी तो ... दिन भर ठीक रहा.. कल इतवार है और उसकी परछाई जो बिस्तर पर पड़ रही है अच्छी लग रही है”.


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