Saturday, May 28, 2011

पहला महीना



पिछले माह यह सुंदर डायरी जून ने नूना को दी थी कि वह अपने अनुभवों को लिपिबद्ध कर सके, पर यह हो न सका, वह नहीं जानता कि शब्द नहीं मिलेंगे उन भावों को व्यक्त करने के लिये जो पिछले दिनों उसके साथ रहकर नूना के मन में उमड़ते रहे हैं. आज भी कितनी जल्दी उनकी नींद खुल गयी थी, लगभग रोज ही ऐसा होता है और एक के जगने पर दूसरा अपने आप उठ जाता है, जीना इतना सरल है यह आज के पहले वह नहीं जानती थी. अपने घर की जैसी कल्पना उसने की थी यह वैसा ही सुंदर है.
अभी दस भी नहीं बजे हैं सुबह के, आज बारिश हो रही है. उसने सब काम जल्दी-जल्दी कर लिये हैं जिससे कुछ पढ़ने का या चिट्ठी लिखने का समय मिल जाये. उसके घर पर होने पर तो यह संभव ही नहीं हो पाता, बस मन होता है ढेर सारी बातें करते रहें या यूँ ही बैठे रहें पास-पास. कल रात को उस ने जून से कहा कि घूमने चलते हैं, पहले ही दिन कहा था, नियमित जायेंगे रात के खाने के बाद पर जनाब को तो ठंड लगने लगी, दिन पंख लगाकर उड़ रहे हैं. कल उनकी शादी को एक महीना हो जायेगा.
क्रमशः

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