आज रविवार था, सामान्य दिनों से काफ़ी अलग रहा। सुबह वे जल्दी उठकर टहलने गए, सब तरफ़ सन्नाटा था, हवा ठंडी थी और आकाश में नारंगी रंग का चाँद चमक रहा था।अनादि काल से चंद्रमा मानव को आकर्षित करता आया है, इसे मन का देवता भी कहा गया है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि सोम के रूप में यह वनस्पति जगत को रस प्रदान करता है, जो उनके विकास के लिए अति आवश्यक है।घर आकर प्राणायाम और कुछ आसन किए, ये भी तो मानव को हज़ारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों ने प्रदान किए थे, समय के साथ मानव ने उसमें कुछ परिवर्तन किए हैं पर मूल स्रोत तो प्राचीन ग्रंथ हैं। नूना ने नाश्ते में मेथी के पराँठे बनाये और जून ने सोनू के प्रमोशन की ख़ुशी में खीर बनायी।दोनों ही बच्चों को पसंद आयी। नन्हा ड्रोन उड़ाने के लिए जाने वाला था, सभी को साथ ले गया, सब ठीक चल रहा था कि उसका एक पंख टूटकर गिर गया और बहुत खोजने पर भी नहीं मिला। उसके अधरों पर मुस्कान तैर गई, लगभग हर बार ड्रोन उड़ाने पर कुछ न कुछ खो जाता है, और फिर काफ़ी समय उसे ढूँढने में लगता है।एक बार तो पूरा ड्रोन ही किसी की बगिया में और दूसरी बार किसी की छत पर जाकर गिर गया था। बगिया वाला महीनों बाद उन्हें मिला और छत के लिए सीढ़ी मँगवानी पड़ी थी। मकान मालिक शहर से बाहर गये हुए थे। वापस आये तो देखा, सोसाइटी के क्लब हाउस में बाटा के जूतों की सेल लगी थी। कुछ ख़रीदारी की, नन्हे ने अपने पैर की स्कैनिंग करवायी, फ़्लैट फ़ीट का पता चला, अब वह जूते में लगाने के लिए एक डिवाइस ख़रीद सकता है, जिससे पैर को आराम मिलेगा।उसने एड़ी के लिए एक सपोर्ट लिया। इन सब की पहले उन्हें जरा भी जानकारी नहीं थी।
आज से घर में सिविल का काम शुरू हुआ है, नन्हे ने बताया उनके यहाँ भी कुछ काम होना है। मज़दूर सुबह ग्यारह बजे आये और शाम को गये।अगले दो हफ़्ते ऐसे ही चलेगा। लीकेज की समस्या से बचने के लिए छत व उसकी दीवारों पर एक जलरोधी पेपर चिपका कर उस पर पेंट भी करवाना है। आज बायीं तरफ़ के पड़ोसी परिवार सहित उनकी छत से अपने घर की छत की ढुलाई देखने आये थे।इसके पहले उन्होंने न जाने कितने ही घर बनते हुए देखे होंगे पर अपने घर की हर बात अनोखी लगती है।आज से कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हो गई हैं। दिल्ली में बड़े भाई ने लगवा ली है ।
रात्रि के नौ बजने को हैं, जून बिस्तर पर लेट चुके हैं। दिन भर घर में चल रहे काम की निगरानी रखते-रखते भी थोड़ी थकान स्वाभाविक है। आज शाम को टहलते समय फूलों की सुंदर तस्वीरें उतारीं। आजकल बोगेनविलिया अपने पूरे शबाब पर है। सुबह एक ऐप के ज़रिए सूर्योदय का वीडियो बनाया था। कल संभव हुआ तो सूर्यास्त का वीडियो बनाएगी।शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, वे लोग कल आ रहे हैं, बेटी की परीक्षा है, परसों चले जाएँगे। जून मेहमानों के लिए बेकरी शॉप से दो केक और एक गार्लिक ब्रेड लाए हैं।
कल रात एक अनोखा स्वप्न देखा। गुरुजी आश्रम में भ्रमण कर रहे हैं। असम की एक पुरानी मराठी सखी भी वहाँ है जून और वह दूर से देखते हैं। सखी उसे बुलाती है और गुरुजी से परिचय कराती है। वह उनके चरणों का स्पर्श करने के लिए झुकती है, पहले अपने हाथों से उनके दोनों पैरों का, फिर मस्तक से बारी-बारी पहले बायें फिर दायें पैर का। फिर वह उस उठने को कहते हैं। उस क्षण में जैसे मन बहुत हल्का हो गया था और समर्पण के बाद की एक निश्चिंतता का अनुभव हुआ।वर्षों पहले गुरुजी से मिलकर केवल हाथ जोड़कर नमस्कार ही किया था, कभी पैरों को स्पर्श करने का भाव ही नहीं जगा, अहंकार तब मिटा ही नहीं था, अब लगता है वह घड़ी निकट आ गई है।
आज शाम को आश्रम से प्रसारित हो रहा सत्संग देखा-सुना। दिन में एओएल से आया एक अनुवाद कार्य किया, आलेख का शीर्षक था ‘शिव तत्व’। इस आलेख में गुरु जी ने एक जगह कहा है , शिव अविनाशी शून्य तत्व है, वह ऐसा अंधकार है जो अपने भीतर सृजन की क्षमता छिपाए है, हर मन की गहराई में वही सो रहा है, साधना के द्वारा उसको जगाना है।शिव ही बाहर सदगुरु बन कर आता है, जिसके आने से जीवन में नया मोड़ आता है, वह सदा नयी राह दिखाता है। शिव ही ज्योति पुंज सम आत्म तत्व है जो अंधकार को भेद कर प्रकटना चाहता है। अभी कुछ देर पहले ‘देवों के देव-महादेव' धारावहिक में देखा, शिव तांडव स्रोत की रचना रावण ने किस घटना के कारण की थी। सचमुच रावण कितना बड़ा विद्वान था और कवि भी, लेकिन उसके अहंकार ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा। वैक्सीन लगने के बाद वे भी आश्रम जाना शुरू करेंगे।
आज शाम को वृद्ध अंकल ने, जो उन्हें अक्सर संध्या भ्रमण के समय मिल जाते हैं, अपनी गाड़ी में लिफ्ट दी, वह उनके घर भी आना चाहते थे, पर ड्राइवर ने उनके बेटे का हवाला देकर मना कर दिया। अंकल की आँखों की विवशता देखकर अच्छा नहीं लग रहा था पर कुछ भी किया नहीं जा सकता था। ड्राइवर की बात वे कैसे टालते, जो रोज़ शाम को उन्हें गाड़ी में बिठाकर बगीचे के पास उतार देता है और जब छड़ी के सहारे वे टहलते हैं तो उनके साथ-साथ चलता है।मेहमान नहीं आ पाये, सखी के पतिदेव की पीठ में दर्द हो गया था। अब गार्लिक ब्रेड के सैंडविच उन्हें अकेले ही खाने होंगे।मौसम आजकल दिन में गर्म रहता है पर सुबह ठंडी रहती है अभी भी। अभी-अभी एक दुखद समाचार सुना, असम की एक परिचिता का, जो उसके पास एक बार योग सीखने भी आयी थी, हृदय की सर्जरी के बाद देहांत हो गया।जीवन क्षण भंगुर है, वह बार-बार याद दिलाता है, पर वे रोज़ की आपा-धापी में इसे भूले रहते हैं।
Ab kuch samay se kuch nahi khota drone udane par :-) pehle abhyaas nahi tha!
ReplyDeleteबिलकुल सही, वैसे अब तो ड्रोन भी काफ़ी मज़बूत बनने लगे हैं
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
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