Wednesday, September 18, 2024

सब्ज़ी वाला ट्रक

सब्ज़ी वाला ट्रक


आज सुबह सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, कुछ ताजी सब्ज़ियाँ व फल भी मिल गये। ड्राइवर कह रहा था, अब से हफ़्ते में दो बार आया करेगा।वहाँ सभी सब्ज़ियाँ उसने नीली प्लास्टिक की बास्केट में सड़क पर पंक्ति में लगा दी थीं। दूर से लग रहा था, जैसे छोटा सा बाज़ार लगा हो।उसने पहली बार इस तरह सब्ज़ियाँ ख़रीदीं, तभी हल्की बूँदा-बाँदी होने लगी, झट प्लास्टिक के कवर से सब कुछ ढक दिया गया और लोग सामने वाले घर  के गैराज में खड़े होने चले गये। वह तो अच्छा हुआ, पाँच मिनट में ही बरखा रुक गई, शायद इंद्रदेव ने किसी की प्रार्थना सुन ली हो।दिन में फ़ोन पर फुफेरे भाई से बात की, फिर असम में उनके यहाँ काम करने वाली नैनी से।उसने सोचा है रोज़ ही किसी न किसी परिचित से बात करनी है, कोरोना के कारण सब अपने-अपने घरों में ही तो बंद हैं, फ़ोन से घर बैठे एक-दूसरे का हाल मिल जाता है।आज दो रचनाएँ प्रकाशित कीं, ‘शिवलिंग’ कविता पाठकों को अच्छी लगी है, परमात्मा ही लिखवा लेता है सुबह-सुबह, शेष दिन भर तो कविता का ‘क’ भी मन में नहीं आता। शाम को मँझली भाभी से बात की, उनकी माँ घर में हुई एक दुर्घटना में जल जाने के कारण अस्वस्थ हैं, इलाज चल रहा है, अपने पुत्र के यहाँ हैं।वृद्धावस्था में इंसान कितना बेबस हो जाता है। दोपहर बाद पापाजी से बात हुई, छोटी भाभी अपनी मायके गई है, दो दिन के लिए खाना बनाकर फ्रिज में रख गई है। रोटी या चावल वे ताजा बनवा लेते हैं, यदि कामवाली न आयी तो ख़ुद बनाते हैं।


आज वे इसी सोसाइटी में रहने वाली एक महिला डाक्टर से मिलने गये। उन्होंने भली प्रकार उन दोनों का चेकअप किया। कल पर्ची बना कर देंगी। उसे गर्दन  के व्यायाम तथा रात को सोने से पूर्व गरारे करने की सलाह दी। उनका घर बहुत अच्छी तरह से रखा एक गोदाम लग रहा था। अभी हाल में ही वे लोग यहाँ आये हैं। आज असम में उनके यहाँ काम करने वाले माली व धोबी से बात की।वर्षों तक उन्होंने अपनी सेवाएँ दी थीं।बात करके उसे अच्छा लगा, जीवन में कितने ही लोग मिलते हैं और फिर कभी न मिलने के लिए छूट जाते हैं। पापा जी ने बताया, अभी तीन दिन उन्हें और अकेले रहना है। 


आज दिन में गर्मी बहुत थी। सुबह सोसाइटी की तरफ़ से पानी डालने वाला आदमी आया था। बगीचे की घास और पौधों की हालत इस गर्मी में नाज़ुक हो जाती है। सुबहें और शामें अपेक्षाकृत सुहानी होती हैं, हवा बहती रहती है। आज गोधूलि बेला में सूर्यास्त के सुंदर दृश्य देखे। आम के बगीचे में पेड़ फलों से लदे हुए थे।सुबह सूर्योदय का वीडियो बनाया। ‘द ब्लू अंब्रेला’ का कुछ अंश देखा, मसूरी-देहरादून की कहानी है। एक छोटी लड़की के पास नीले रंग का एक छाता है, जापानी छाता, जो बेहद सुंदर है। 


रात्रि भ्रमण हो चुका है।इसके दौरान नियमित रूप से उन्हें एक ईसाई दंपति मिलते हैं, सामने वाली लाइन में सड़क के उस पार ही रहते हैं, पर ‘हैलो’ के अतिरिक्त कुछ बात नहीं हुई।आजकल सभी अपने काम से काम रखते हैं।आज सुबह उसका मन कितना स्थिर था, जैसे समता को पूरी तरह धारण कर लिया हो, पर कुछ ही देर बाद जून को किसी बात के लिए टोका, मन हिल गया चाहे एक सेकण्ड के लिए ही सही। लेकिन भीतर की स्थिरता कहीं जाने वाली नहीं है, अटल रहने वाली है, यह अनुभव कोई छीन नहीं सकता, क्यूँकि ‘वह’ वही है,  भला उससे ‘उसे’ कौन छीन सकता है ?


आज सुबह एक स्वप्न देखा, जिसमें वह रास्ता भूल गई है। स्वप्न उनके अचेतन मन की कहानी कहते हैं, कुछ सिखाते भी हैं। अभी नन्हे का फ़ोन आया, उसने घर का वीडियो दिखाया, काफ़ी काम हो गया है।कल यहाँ पहली बार आलू के चिप्स बनाये थे, सूख गये हैं, होली पर बनायेंगे। एक सखी का फ़ोन आया, वह भी होली की तैयारी कर रही थी।दोपहर को बड़ा भांजा आ गया था, उसके आने से जून में जैसे बचपन लौट आया है। इतमा मुक्त तो वह बेटे-बहू के आने पर भी महसूस नहीं करते। सुबह समय से पूर्व उठे, प्रातः भ्रमण के बाद पौने छह तक घर लौट आये, छत पर सूर्योदय देखा और बालसूर्य के सान्निध्य में योग साधना की। साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था, सो पंखों की विशेष सफ़ाई करवायी। रात्रि भ्रमण के समय लगभग गोल चंद्रमा देखा, कल पूर्णिमा है। कल सुबह ही नन्हा और सोनू आ रहे हैं। होली का उत्सव कल ही मनाएँगे।परसों उनका अवकाश नहीं है। कुछ देर पहले समाचार मिला, मँझली भाभी की माता जी का देहांत हो गया है।वे कई दिनों से मृत्यु से जूझ रही थीं, जिसका भी जन्म होता है एक न एक दिन उसे जाना ही है। उसने सोचा, कल ही भाभी से बात करेगी। 


आज होलिका दहन है, प्रह्लाद की रक्षा का दिन ! जब भीतर का आह्लाद शेष रह जाये और हर कलुष जल जाये तभी मनती है होली ! वे होलिका दहन में नहीं गये। सोसाइटी में कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा करनी है। पूरे कर्नाटक में विशेष तौर से बैंगलुरु में कोरोना का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। भांजा आज भी यहीं है, उसे परसों नयी कंपनी में जॉइन करना है। शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, होली की मुबारकबाद दे रही थी। सुबह जून के तीन पुराने मित्रों का फ़ोन आया था। पुरानी दोस्ती देर तक क़ायम रहती है। सुबह बच्चे आ गये थे, विशेष भोज बनाया। शाम को वे दोनों पड़ोसियों के यहाँ गुझिया और रंग लेकर होली की शुभकामना देने गये। होली की तस्वीरें खींचीं। परिवार के एक सदस्य के यहाँ शोक का माहौल है, इसलिए कोई पारिवारिक ग्रुप में तस्वीरें नहीं डाल रहा है। एक उम्र के बाद यदि व्यक्ति अस्वस्थ हो तथा दूसरों पर निर्भर हो तो घरवालों पर बोझ बन जाता है। इसलिए भाभी से बात हुई, तो उसने कहा,  जो हुआ ठीक है, माँ बहुत कष्ट में थीं। 


आज होली है, उन्होंने प्रेम के रंग बहाए। सभी से बातचीत की। छोटे भाई को परसों से बुख़ार है। वह सफ़र से आया था, शायद थकान की वजह से ही हो। वहाँ कोरोना टेस्ट नहीं हो पा रहा है। सिवाय सरकारी अस्पताल के जहां बहुत भीड़ है। पापाजी भी कुछ परेशान से लगे, ज़ाहिर सी बात है, लगेंगे ही। एक सखी से बात की, वे लोग आगरा में हैं, भरतपुर घूम कर आये थे, पक्षी विहार देखा, बहुत उत्साहित होकर वह बता रही थी।            



Thursday, September 12, 2024

टैंट हाउस


टैंट हाउस

आज उन्होंने कोरोना से बचाव के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लगवा ली। मेडिकल कॉलेज में काफ़ी अच्छा इंतज़ाम था। दिन आराम से बीता, पर इस समय थोड़ी हरारत जैसी महसूस हो रही है।कल भी आराम करना है, उम्मीद है परसों से सब सामान्य हो जायेगा।दीदी से बात हुई, वे लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। 


सुबह उठी तो ज्वर सौ से ऊपर था। नन्हा और सोनू दिन में आ गये थे। उसका एक मित्र अपने भाई-भाभी व भतीजी के साथ आया था, एक अन्य मित्र दंपति भी आये थे। उसे किसी ने कोई काम नहीं करने दिया। मेहमानों ने घर देखा, चाय-नाश्ता किया और चले गये।बच्चे शाम तक रुके रहे। उसके सिर में दर्द था, सोनू ने तेल लगाया। नन्हे ने एक दवा दी। उसने बिग बास्केट से ढेर सारे फल व सब्ज़ियाँ भी भिजवा दिये हैं।  इस समय ज्वर नहीं है। भीतर ऊर्जा का अहसास हो रहा है। 


आज स्वास्थ्य अपेक्षाकृत ठीक है। दोपहर बाद माली आया। उससे गमले गैराज में रखवाये। आजकल धूप बहुत तेज होती है। कॉसमॉस की पौध लगवायी। कल से प्रातः भ्रमण, योग साधना आदि के साथ सामान्य दिनचर्या शुरू होगी। असमिया सखी का फ़ोन आया, अपनी पोती के कई क़िस्से बड़े मज़े ले लेकर बता रही थी, जो अमेरिका में रहती है, और जिससे उसकी बात केवल वीडियो चैट में ही होती है।उन्हें भी वैक्सीन लगाने के बाद दो दिनों तक कुछ तकलीफ़ हुई। दोपहर को छोटी ननद का फ़ोन आया, उसने बताया, निजीकरण के विरोध में दो दिनों के लिए बैंकों में हड़ताल है। सरकार कह रही है, धीरे-धीरे सभी व्यापार प्राइवेट कंपनियों के हाथों में दे दिये जाएँगे। सरकार के पास अति आवश्यक कार्य ही रह जाएँगे। समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है। सुबह से मन में विचार आ रहा था कि फुफेरी बहन से बात करनी है, और शाम को उसका फ़ोन आ गया। कल सखी से बातचीत में कहा, वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट में पाचन भी बिगड़ सकता है, और सुबह से हालत पतली है। आजकल मन में विचार आते ही पूरे हो जाते हैं।कल रात को जब भी नींद खुली, मन में ‘ध्यान’ का विचार आया, सुबह उठते ही पहला काम यही किया। इस जगत में एक यही तत्व है, जो शाश्वत है, शेष सब अनित्य है।’कंचन से इल्तजा’ कविता प्रकाशित की, कंचन के इस पेड़ पर फूल क्यों नहीं आते, इस सवाल का जवाब कौन दे सकता है ? क्या जाने उसकी इस प्रार्थना का कुछ असर हो और वह खिलना शुरू कर दे।


आज ऐसा लगा कि ज़िंदगी फिर पटरी पर आ गई है।दोपहर को छोटी बहन से बात हुई। कल रात उसे नाइट ड्यूटी में खड़े रहना पड़ा था, यूएइ में भी कोरोना के मरीज़ बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर आ गई है।एक तरफ़ टीके लग रहे हैं दूसरी तरफ़ केस बढ़ते जा रहे हैं। आज शिरड़ी के साईं बाबा पर आधारित एक धारावाहिक का एक भाग देखा। जिसमें श्रद्धा और सबूरी के साथ वह प्रेम करना सिखाते हैं।परमात्मा पर विश्वास करना भी। जीवन में प्रेम न हो तो, जीवन काँटों की तरह चुभता है। क्योंकि जहाँ प्रेम नहीं, वहाँ अहंकार होगा और अहंकार से बड़ा कांटा भला कोई और भी है जगत में, वही तो मनुष्य को मनुष्य बने नहीं रहने देता। 


आज सुबह वे टहलने गये तो आकाश पर चौथ का सुंदर चंद्रमा चमक रहा था। कल रात सोने से पूर्व एक अद्भुत आकृति देखी, जिसमें ऊपर का भाग है और कूल्हे के नीचे का भाग है, पर मूर्ति में मध्य भाग नहीं है। पता नहीं ये स्वप्न किसकी ओर इशारा कर रहा है, कमर ग़ायब होती जा रही है शायद उसी की ओर ! स्वप्न के आधार पर लिखी कविता ब्लॉग पर प्रकाशित की।दोपहर को सोते समय एक अजीब सा स्वप्न देखा, एक स्लैब पर कूड़ा पड़ा है, जैसे उसे सजा कर रखा हो। भला कोई गंदगी को भी ऐसे रखता है ? कल भांजा पूरे आठ महीने बाद वापस लौट आया है। ढेर सारी मिठाई लाया है। दोपहर को वह अपने घर चला गया। घर तबसे बंद पड़ा था, ठीक-ठाक करवाना होगा।


आज शाम को नन्हे और सोनू के साथ मिलकर उन्होंने छत पर एक टैंट लगाया है, जिसमें चार लोगों के लिए पर्याप्त स्थान है। इस समय वह उसी में बैठकर लिख रही है। बाहर तेज हवा चल रही है, चाइम की आवाज़ भीतर आ रही है पर हवा नहीं आ रही। किसी न किसी दिन वे इसे किसी नदी किनारे या पहाड़ी की तलहटी में ले जाएँगे और रात वहीं बितायेंगे, जाने यह स्वप्न कब पूरा होगा।          


Wednesday, September 4, 2024

शिव सूत्र


शिव सूत्र

कल उन्हें नन्हे के घर जाना है और वहाँ से उसके एक मित्र के यहाँ, उसका नया घर देखने; जहाँ गृहप्रवेश की पूजा का आयोजन किया गया है। नन्हा भी एक महीने के लिए किराए पर लिए घर में है, उनके ख़ुद के घर में रिनोवेशन का काम जो चल रहा है।किसी भी अन्य मूर्त या अमूर्त वस्तु की तरह एक घर को संभाल और संवार कर रखना इतना आसान तो नहीं है। इसके रख-रखाव का ध्यान रखना होता है ताकि लंबे समय तक यह सुंदर और सुरक्षित बना रहे। 


वे लोग कल दोपहर बारह बजे ‘सॉंग ऑफ़ साउथ’ पहुँचे, जो एक विशाल सोसाइटी है। वहाँ कई बड़े-बड़े लॉन तथा पार्किंग स्थल थे। उसमें बाहरवें टावर में सत्रहवीं मंज़िल पर मित्र का घर है। कुछ अन्य लोग तथा उसके भाई-भाभी व भतीजी पहले से ही वहाँ उपस्थित थे। सोसाइटी के क्लब हाउस में भोजन का इंतज़ाम किया गया था। पूजा सुबह ही हो चुकी थी। नन्हे ने बताया, कल रात एयरपोर्ट से भाई के परिवार को लाते समय मित्र की कार को एक प्राइवेट बस ने टक्कर लगायी, बाँयी तरफ़ का पिछला दरवाज़ा धँस गया, भाई वहाँ बैठे थे, पर सौभाग्य से उन्हें कोई चोट नहीं आयी।फ़ोन करके उसने नन्हे को बुलाया, वे सब उसकी कार में बैठ कर रात को एक बजे घर लौटे।


रात्रि के नौ बजे हैं। साढ़े नौ बजे गुरुजी की एबीसी टीम के साथ मीटिंग है।जिसमें सभी अनुवादकर्ताओं से चर्चा होगी और उन्हें दिशा निर्देश भी दिये जाएँगे।आज महिला दिवस के उपलक्ष्य में सोसाइटी में योग सत्र का आयोजन किया गया था। सुबह कई लोगों को महिला दिवस पर संदेश भेजे। पापाजी से बात हुई, उन्हें गुरुजी पर लिखी उसकी कहानी पसंद आयी। सुबह वे टहलने जाते हैं तो किसी न किसी सड़क पर सूखे पत्तों के ढेर पर सोया कुत्तों का परिवार भौंक कर अपनी नाराज़गी व्यक्त करता है, उनकी नींद में जैसे ख़लल पड़ गया हो। ‘देवों के देव’ में रावण का अहंकार टूटते देखा, जब शिव ने उससे कहा, भक्ति का अहंकार भक्त को डुबा देता है।रावण कितना बड़ा विद्वान था पर अपनी भक्ति और ज्ञान का गर्व उसे ले डूबा।


आज घर में पीछे आठ दिनों से चल रहा काम पूरा हो गया। सुबह साईं बाबा पर एक फ़िल्म देखनी आरंभ की थी, जो अभी उनके जन्म की कथा के साथ समाप्त होने वाली है। इस फ़िल्म में उनकी अद्भुत बाल लीलाएँ दिखायी गई हैं।यह भी दिखाया गया है कि देवत्व उन्हें जन्म से ही प्राप्त था, जिसे वह सहज ही प्रकट भी करते थे, जिसका जगत को सदा लाभ मिलता था और आज भी मिल रहा है। प्रेम और करुणा की मूर्ति थे, सेवा उनका सहज स्वभाव था। इतने वर्षों तक उनके बारे में कितनी अफ़वाहें भी प्रचलित हो गई हैं, कोई उन्हें जादूगर बताता है तो कोई फ्रॉड भी। सत्य क्या है, यह कौन जानता है। शायद सबका अपना-अपना सत्य है। आज दिन भर परमात्मा की कृपा का अहसास होता रहा, वही तो है सबका आधार ! संत कहते हैं, वह अपना आप ही तो है। वह तो सदा से ही था, अब उसकी प्रतीति अनायास ही रहने लगी है। 


आजकल एक विचित्र बात उसके साथ हो रही है।जो भी विचार मन में आता है, वह घट जाता है। उसके बिना कहे ही जून वैसा ही करने लगते हैं। उसकी छोटी-छोटी इच्छाएँ पूरी होती रहती हैं।इच्छा उसके लिए लाभप्रद है या नहीं इसका कोई भेद नहीं रहता। परमात्मा की शक्ति रहस्यमयी है। विचार ही वस्तु बन जाते है,  इसका  प्रत्यक्ष उदाहरण एक बार नहीं अनेक बार मिला है पिछले दिनों। आज दिन भर मन हल्का सा रहा है, मन के साथ तन में भी हल्कापन लग रहा है। नापा, उनकी सोसाइटी में शिवरात्रि की तैयारी चल रही है। मंदिर के रास्ते पर बिजली के बल्ब लगा दिये गये हैं, आगे एक तरफ़ तख़्त बिछाया  गया है, स्टेज जैसा, शायद बच्चे अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। आश्रम में गुरुजी द्वारा शिवसूत्र पर दो दिनों का व्याख्यान चल रहा है। अद्भुत है शिवसूत्र ! पहले उसने शिवसूत्र पर ओशो को व्याख्या भी सुनी थी।नन्हे के एक जूनियर साथी की यात्रा के दौरान हृदयाघात से मृत्यु हो गई, कुछ दिन पूर्व उसका तलाक़ हुआ था। लिवर व किडनी की भी समस्या थी। शायद अपने पापा से  उसका रिश्ता भी अच्छा न रहा हो, पिता ने उसकी माँ के न रहने पर दूसरा विवाह कर लिया था। कभी-कभी जीवन कितना विचित्र रूप लेकर आता है। एक परिचिता से पता चला, विवाह टूटने से वह अवसादग्रस्त था।उसके पिता बहुत दुखी हैं।  


आज शिवरात्रि है, वे कुछ देर पूर्व ही मंदिर से होकर आये हैं। बहुत भीड़ थी, बच्चे नृत्य के लिए तैयार थे। महिलाएँ श्लोक उच्चारण कर रही थीं। कुछ लोग खड़े थे। मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था। वे मास्क ले जाना भूल गये, सो जल्दी वापस लौट आये। कल सुबह एक मेडिकल कॉलेज में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने जाना है।साईं बाबा की किताब आगे पढ़ी, अनोखे व्यक्ति ?संत थे वे। संत व्यक्ति नहीं रह जाता, वह समष्टि से एक हो जाता है। उसके चमत्कारों से पुस्तक भरी पड़ी है।गुरु जी के पास रहने वाले भी कितने ही चमत्कारों का अनुभव करते हैं, उसने स्वयं भी अनेकों बार अनुभव किया है।आश्रम के सत्संगका टीवी पर प्रसारण देखा, आज चित्रा जी आयी हैं, जिनके सुमधुर भजन सुनकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है।