Wednesday, February 19, 2020

एनआरसी का भय


दोपहर का समय है, आज कई दिनों बाद ब्लॉग पर लिखा. जब से कार चलाना सीखना आरम्भ किया है, लेखन का समय घट गया है पर आजकल जून टूर पर गए हैं सो थोड़ा सा उलटफेर दिनचर्या में किया जा सकता है. आज सुबह एक सखी के साथ कोऑपरेटिव गयी, परसों मृणाल ज्योति में टीचर्स की कार्यशाला है. कुछ देर में डिब्रूगढ़ जाना है, फोन चार्ज हो रहा है, हाथ खाली हैं, सो कलम को कुछ देर हाथ में रहने का अवसर प्राप्त हो गया है. धूप आज बहुत तेज है, ड्राइवर का फोन आया वह आ गया है. सो अब शेष लेखन कार्य शाम को डिब्रूगढ़ से वापस आकर ही होगा. कुछ दिनों का अंतराल, आज से नए महीने का आरम्भ है, अगस्त का महीना यानि आजादी दिवस का महीना, वर्षा का मौसम बदस्तूर जारी है. इसी महीने रक्षाबंधन का त्योहार भी है, सभी भाइयों को राखी भेजनी है, उसके पहले पत्र लिखने हैंऔर एक कविता भी. इस महीने ईद भी है और नाग पंचमी है, छोटी भतीजी का जन्मदिन है, बड़े भांजे का भी. इसी महीने रुद्राभिषेक भी होने वाला है, उन्हें उसमें सहयोग देने को कहा गया है. कल जून के एक सहकर्मी का जन्मदिन है, जिनके घर वे पहले सदा ही जाया करते थे, वक्त बदलता है, मित्र भी वक्त का ही हिस्सा है, सो वे भी बदल जाएँ तो इसमें कैसा आश्चर्य ? जून का जन्मदिन भी इसी महीने पड़ता है. आज व कल भी अमेरिका में रहने वाले दो भारतीय बच्चों के बारे में पढ़ा, सुना, जो छोटी सी उम्र में इतना बड़ा काम कर रहे हैं, उनका तन छोटा है पर ज्ञान वृद्धों का है, वैज्ञानिकों का है. कल टीवी पर एनआरसी पर अमित शाह की प्रेसवार्ता सुनी. असम में ऐसी अफवाह है कि चालीस लाख लोगों को भारत से कभी न कभी जाना पड़ सकता है, जो अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं. भविष्य ही बताएगा, कल क्या होने वाला है. धोबी ने पूछा, एनआरसी में उनका नाम है या नहीं, नैनी भी एनआरसी को लेकर परेशान थी, अधूरी जानकारी के कारण लोग कितना कष्ट पाते हैं, उनका भी सारा कष्ट अधूरी जानकारी के कारण ही है. क्लब की प्रेसीडेंट ने स्कूल का संविधान भेजा है, देखने के लिए, काफी संशोधन उन्होंने स्वयं ही कर दिए हैं. सुबह उठे तो पिछले कुछ दिनों की तरह फुहार पड़ रही थी और मंद पवन भी बह रही थी, यानि घूमने के लिए आदर्श मौसम ! लौटकर प्राणायाम किया. सुबह के साढ़े नौ बजे हैं, आज से नैनी के बच्चों का स्कूल गर्मियों के अवकाश के बाद खुल गया है. वह घर काम आधा करके ही उन्हें स्कूल छोड़ने गयी है. आज कई दिनों बाद अपने पुराने समय पर ध्यान किया, परमात्मा से लगन लगी रहे तो भीतर कैसी शांति रहती है. अनावश्यक कार्यों को करते हुए वे बेहद आवश्यक कार्यों को भुला देते हैं. मौसम आज भी बादलों भरा है. अभी-अभी बगीचे में जाकर फोन से फूलों की तस्वीरें उतारीं, एक फेसबुक पर पोस्ट की, धीरे-धीरे फेसबुक पर बीतने वाले समय को कम करना है. आज शाम क्लब में मीटिंग है.