नये वर्ष में पहला कदम, मन नव उत्साह से भरा है. जीवन की
यात्रा में एक नया अध्याय लिखने का वक्त आ गया है. बगीचे में गुलाब व गुलदाउदी के
फूल खिल रहे हैं. इस वर्ष पहले से ज्यादा सजग रहना है, समय का सदुपयोग करना है.
अपने लक्ष्यों को पुनः निर्धारित करना है तथा नियमित दिनचर्या को भी. प्रतिदिन
किये जाने वालों कार्यों की एक सूची यह भी हो सकती है- क्रिया, व्यायाम, संगीत
अभ्यास, बागवानी, डायरी लेखन, कविता सृजन, कम्प्यूटर पर कार्य, सेवा कार्य, शास्त्र
अध्ययन, घर के किसी हिस्से की सफाई, हस्त कला का कोई कार्य, अख़बार व पत्रिकाएँ
पढ़ना. सोनामी लहरों के कहर को बरपे एक
हफ्ता हो गया है पर उसका प्रभाव अभी तक ताजा है पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया को तबाह
करने वाला भूकम्प तथा तूफान एक लाख पचास हजार लोगों को मृत्यु के मुंह में झोंक
गया है. लाखों लोग बेघर हो गये हैं, कितनों के पूरे जीवन की कमाई खत्म हो गयी है
लोगों को इस झटके से उबरने में अभी काफी लम्बा वक्त लग सकता है. प्रकृतिक आपदा के
शिकार लोग अपने भीतर की ऊर्जा को एकत्र कर पुनः अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश
कर रहे हैं. कहाँ है वह कृष्ण ? जिसने गोकुल को वर्षा के कहर से बचाया था.
आज सुबह देर से उठे,
दोपहर में वे सर्दियों की धूप का आनंद लेने घर के सामने वाले चाय बागान में घूमने
गये वापसी में नन्हे के एक मित्र के यहाँ गये. नन्हा कोटा में है, उसे एक ऑब्जेक्टिव
परीक्षा के दैरान बीच से उठकर आना पड़ा. फुफेरी बहन से बात की, आज फूफाजी की
तेहरवीं है. योग रहस्य सीडी देखा व सुना, बाबाजी बहुत सरल शब्दों में गूढ़ बातें
बताते हैं.
आज सुबह पंछियों की
आवाजों के साथ नींद खुली, कोहरा घना था पर इस समय धूप खिली है. आज दोपहर एक सखी
परिवार सहित भोजन पर आ रही है. वे लोग आज ही घर से आये हैं, उसकी माँ का दिल का
आपरेशन पिछले माह हुआ था, जो अब स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं. सुबह आस्था पर स्वामी
रामदेव जी का योग कार्यक्रम देखा. मन में एक द्वंद्व चल रहा था, मृणाल ज्योति के लिये
कार्यरत रहने वाली लेडिज क्लब की सदस्या से मिलने का वायदा किया था, पर जा नहीं जा
पाई, मिलकर आई तो मन जैसे हल्का हो गया.
आज सर्दियों की पहली
बरसात हो रही है, रात को भी बादल गरजते रहे. मौसम ज्यादा ठंडा हो गया है, रात को
एक स्वप्न में एक घायल बच्चे को देखा. सुनामी लहरों के विनाश की खबरों से आजकल
अख़बार भरा रहता है. इतन दुःख उन लोगों को झेलना पड़ रहा है. जीते जी नर्क का अनुभव
उन्हें हो रहा है, पर मानव के अंदर एक ऐसी शक्ति है जो हार नहीं मानती, वह फिर से
खड़ा होता है. समय के साथ घाव भी भरने लगते हैं. जीवन क्षण भंगुर है यह संत सदा से
सिखाते आये हैं.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नारी शक्ति - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteबहुत सुन्दर ,मन को छूते शब्द ,शुभकामनायें और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteपिछले वर्ष का डायरी संस्मरण लग रहा है। बड़ी संवेदनापूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है संस्मरण को।
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
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