उनका पत्रिका-क्लब आरम्भ हो
गया है. सा. हिंदुस्तान और सारिका आयी हैं, अभी तो कितनी पत्रिकाएँ आयेंगी, ठीक से
पढ़ सके इसके लिये दोपहर को सोने का मोह छोड़ने होगा. क्लब से दो पुस्तकें भी लायी
है एक बागवानी पर और दूसरी हाउस कीपिंग पर है. जीनिया के पौधे निकल आये हैं.
क्यारी में लगाने हैं, गुलदाउदी की कटिंग्स भी लगायी हैं, देखें जड़ पकड़ते हैं या
नहीं अगले साल के लिये. उसे अपनी बंगाली मित्र का स्मरण हो आया, जिससे बहुत दिनों
से नहीं मिली और जो बागवानी में बहुत रूचि रखती है, उसे जानने की उत्सुकता हुई कि
उसने अपने लॉन में क्या लगाया है. नन्हे के स्वेटर का गला खोल कर फिर से बनाया पर
बात बनी नहीं, रहीम दास ने कहा है न, टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाये. आज
से वह फ्रिज के लिये क्रोशिये का कवर बनाना शुरू कर रही है. नन्हे को कल शाम जून
ने डांटा, गुस्से में वह यह भी भूल गए कि वह उनकी बात समझ भी रहा है या नहीं, काश,
वह आगे कभी ऐसा न करे.
कल रात बड़े जोरों की वर्षा हुई आंधी और तूफान के गर्जन-तर्जन के साथ, बिजली
चली गयी, और अब पानी नदारद है. सुबह-सुबह पानी न हो काम कैसे चलेगा, गनीमत है थोड़ा
बहुत पानी तो घर में रहता है फिल्टर में और गर्म पानी तो आता ही है. परसों वे तिनसुकिया
गए, मौसम बिल्कुल ही साथ न दे तो बात दूसरी है वरना तिनसुकिया में शिव मंदिर तक
जाना एक अच्छा अनुभव है. वह एक चाइनीज ब्यूटीशियन के पास भी गयी, वे लोग कई
पीढ़ियों से भारत में बसे हुए हैं, आराम से स्थानीय भाषा बोल रही थी, जबकि आपस में
वे चीनी में ही बोल रहे थे. जून ने एक नई मिठाई खरीदी, बहुत स्वादिष्ट थी. कल उसकी
पड़ोसिन घर जा रही है एक महीने के लिये, शाम को वे उनसे मिलने जायेंगे.
कल सुबह वह जून से परसों रात की बात पर नाराज क्या हुई कि सभी काम बिगड़ने शुरू
हो गए, नन्हें ने अपने कपड़े गंदे कर लिये और वह स्नानघर में थी, जल्दी-जल्दी बिना
पोंछे उल्टा गाउन पहन कर बाहर आयी, धुले हुए कपड़े तौलिए सहित नीचे गिर गए, गनीमत
है सूखे फर्श पर ही गिरे थे. जब तक वह नन्हे के कपड़े बदले महरी ने सभी नीचे गिरे
कपड़ों को मैले कपड़े समझ कर पानी की तरफ खिसका दिया और तभी नन्हें ने पानी अलग गिरा
दिया गैलरी में जल-थल हो गया, झटपट झाड़ू से सफाई की कि कहीं वह गिर न जाये...ऐसे
में लिखने का समय ही नहीं मिला.
आखिरी पैराग्राफ ने तो लाइव कामेडी दिखा दी,उस समय तो काफी मुश्किल रहा होगा इन सबसे निबटना पर अब तो पढ़ कर हंसी आ रही है.
ReplyDeleteदीदी, आपने बिल्कुल सही कहा है..
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