Monday, August 4, 2025

योग दिवस

आज भी नूना ने एओएल का एक अनुवाद कार्य किया। योग के महत्व पर एक बहुत अच्छा लेख था किन्हीं कमलेश का, नाम से पता नहीं चलता वह लेखक है या लेखिका। इस इतवार को नन्हा और सोनू दोपहर डेढ़ बजे तक रह सकते हैं, कर्फ़्यू में २ बजे तक ढील दी जाएगी। सोमवार से शाम पाँच बजे तक बाज़ार खुला रहेगा। विशेषज्ञ कह रहे हैं, कोरोना की तीसरी लहर निकट भविष्य में आ सकती है। आज सुबह भी छत पर धुआँ था, जून ने पड़ोसी को लिखा, उनके मज़दूर लकड़ी पर खाना बनाते हैं, उसी का धुआँ आता है। उनका जवाब आया, क्षमा माँगी है और मज़दूरों को जगह बदलने को भी कहा है। इस समय भी कमरे में हल्की गंध है। जबकि शाम को सारे दरवाज़े, खिड़कियाँ बंद कर दिये थे।आज सुबह वे थित्ताहल्ली गये थे, एक नया स्थान देखा। फलवाले मुनिकुमार की दुकान के पास एक छोटी सी लड़की पेड़ से टँगे झूले पर झूल रही थी, बाजार के शोर से बेख़बर वह अपनी मस्ती में खोयी थी।


आज का पूरा दिन ऊर्जा और उत्साह से भरा था। सुबह ठंडी हवा और घने बादलों के सान्निध्य में टहल कर आये।वापस आकर कार से पुन: गये, बगीचे की क्यारियों के चारों ओर लगाने के लिए पत्थर लाए, जो कल सुबह सड़क किनारे पड़े देखे थे। शायद ख़ाली पड़े प्लॉट्स में सफ़ाई के लिए ट्रैक्टर चलाते समय ज़मीन से निकले होंगे। उनका छोटा सा लॉन अब पहले से भी सुंदर लग रहा है। शाम को योग दिवस के लिए सूर्य नमस्कार का वीडियो बनाया।पापाजी से बात हुई, उन्होंने उसकी कविताएँ पढ़ीं और कहा, अधिकतर लोग अध्यात्म में रुचि नहीं लेते।               


आज पितृ दिवस है। सुबह साढ़े आठ बजे सोनू, नन्हा और उसका एक मित्र आ गये थे। जून के लिए जूते और प्रसाधन सामग्री लाए हैं, नूना के लिए भी एक लोशन है। नाश्ते में जून ने पनियप्पम बनाये। उसके बाद एक नया बोर्ड गेम खेला, पैंडेमिक, अच्छा खेल है।पापा जी से बात की, उन्हें पितृ दिवस पर उनके लिए लिखी कविताओं का संग्रह भेजा। शाम को छोटे भाई का फ़ोन आया, वह लखनऊ में होटल से गेस्टहाउस में शिफ्ट हो गया है, इस महीने के अंत तक वहीं रहेगा। 


आज योग दिवस है, सुबह डीडी पर मोदी जी का प्रभावशाली भाषण सुना, योगासन किए। शाम को भी प्राणायाम किया। पापाजी से योग का महत्व पर चर्चा हुई। एक सखी से बात हुई, उसकी नयी नवेली बहू ने भी उसके साथ योग किया, बताते हुए वह बहुत खुश थी। बड़े भाई, दीदी-जीजाजी को भी योग दिवस की बधाई दी, यानी कुल मिलाकर अच्छा रहा योग दिवस।


आज सुबह उठने में पंद्रह मिनट की देरी हुई, उसकी वजह से पंद्रह मिनट कम पाठ किया। नाश्ते के बाद जून ड्राइव पर ले गये। कल से उसने सोचा था, अस्तित्त्व जो कराये हो जाने देना चाहिए, कोई आनाकानी नहीं की। वापस आते आते सवा ग्यारह हो गये। यानी लिखने के लिए सुबह जो एक घंटा मिलता है, वह नहीं मिला। दोपहर को जून के एक व्यवहार से मन उदास हो गया, जिसका असर शाम तक रहा। आख़िर ध्यान के समय उनसे कहना ही पड़ा, परमात्मा ने ही कहलवाया। अब जो कुछ भी उसके साथ हो रहा है, या होगा, सब कुछ उस मालिक की मर्ज़ी से हो होगा। आज पापाजी से बात हुई, उन्होंने कहा, कविता बहुत उच्च स्तर की थी, वह दो पंछियों वाली, जो एक ही वृक्ष पर रहते हैं; एक साक्षी है, दूसरा जीवन के रस को भोगने को इच्छुक। एक आत्मा दूसरा परमात्मा। शाम को असमिया सखी का फ़ोन आया, सुबह साढ़े छह बजे योग नहीं कर पाएगी, आज सुबह ही उसने कहा था, वीडियो कॉल पर उसके साथ किया करेगी।अपने लिए समय निकालना कितना कठिन होता है कुछ लोगों के लिए। 


रात को स्वप्न में गुरुजी को देखा, वह उनके घर की पूजा में आये हैं पर वह तैयारी में लगी रहने के कारण पूजा में नहीं बैठ पायी। फिर कुछ देर बाद आवाज़ आयी, आप पूजा कर रही हैं? देखा, तो  दूसरे कमरे में बैठकर वह उसकी खिड़की से आवाज़ दे रहे थे; यानि वह भी पूजा में नहीं बैठे थे। कह रहे थे, वहाँ पूजाघर में बहुत उमस थी।कल बहुत गर्मी थी। कैसा विचित्र सा था स्वप्न!


आजकल बिजली आंखमिचौली खेलती रहती है दिन में कई बार जाती है, फिर जेनसेट से काम चलाना होता है, आ जाती है कुछ देर में। इस समय भी नदारद है। पंखा एक पर चल रहा है, एसी बंद हो गया है। खिड़की-दरवाज़ा सब बंद है, सो गर्मी हो गई है। पता नहीं कब आ जाएगी। सुबह समय से उठे थे, कल जो पत्थर एकत्र किए थे, आज कुछ और लाये, गुड़हल व रात की रानी के पौधों के चारों ओर रख दिये हैं। आज जून दशहरी, लंगड़ा और यहाँ के लोकल आम भी ले आये हैं। उन्हें लीची भी मिल गई। टीवीएफ़ पर ‘पंचायत’ देखा, अच्छा अभिनय किया है नायक ने। पापा जी आजकल ‘अथातो भक्ति जिज्ञासा’ पढ़ रहे हैं, ओशो के दिये हुए प्रवचनों पर आधारित पुस्तक है। शाम को टहलते समय मदार के फूलों व फलों की तस्वीरें उतारीं। दीदी-जीजाजी का फ़ोन आया, उन्हें जून का भेजा मोबाइल स्टैंड मिल गया है, अब उस पर वीडियो बनायेंगे। कन्नड़ भाषा का अभ्यास छूत गया है। ‘साईं’  के सारे एपिसोड समाप्त हो जाने के बाद पुन: आरंभ करेगी। सोने से पूर्व पुस्तक पढ़ने का क्रम भी आजकल छूट गया है।                                                                                              


   


No comments:

Post a Comment