Wednesday, May 12, 2021

काबिनी के तट पर

 

अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है, टीवी पर सुना, उन्हें देश का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार पद्म विभूषण भी मिला है. अभी कुछ देर पूर्व वे (बोट सफारी) नौका यात्रा से लौट कर आये हैं. दोपहर ढाई बजे पहले कार से ‘जंगल रिजॉर्ट’ गए, जहाँ अलग-अलग होटल या रिजॉर्ट में रहने वाले सभी यात्री एकत्र होते हैं और उन्हें सरकारी सफारी में ले जाया जाता है. चार नावें एक साथ रवाना हुईं. नदी का पाट बहुत चौड़ा था. आकाश में तेज सूरज  चमक रहा था. सभी को लाइफ जैकेट पहनने को दी गयीं और रोमांचक यात्रा शुरू हुई. पहले-पहल कई पक्षी दिखने आरंभ हुए. छोटे-बड़े पानी की सतह पर तैरते, उड़ते, डुबकी लगाते, लकड़ी के ठूंठ पर बैठे पक्षी ! एक जगह किंगफिशर दिखा, जब तक जून तस्वीर उतारते, वह उड़ गया. उसके नीले पंख देखकर नाव में बैठे छोटे-बड़े सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए. आगे बढ़े तो मोर दिखे जो नृत्य भी कर रहे थे. तट पर हरी घास पर विहार करते हिरनों के झुंड भी कई बार दिखे. एक काला सांभर, एक जंगली सूअर, बंदर, लंगूर तथा दूसरे तट पर स्नान करते हुए जंगली हाथियों का एक परिवार भी देखा. टाइगर दिख जाये,  इस आशा में नाव तट से कुछ दूरी पर रुकी रही, नाविक को लंगूर की आवाज सुनकर अंदेशा हुआ था कि टाइगर हो सकता है. लगभग तीन घंटे दोनों तटों पर स्थित जंगल में दूर से पशु-पक्षी दिखाने के बाद नौका वापस लौट आयी. प्रकृति का एक और सुंदर रूप निहारने का एक और अवसर अस्तित्व  ने उन्हें दिया है. कल सुबह जीप सफारी पर जाना है. आज सुबह जून ने यहाँ के स्वास्थ्य केंद्र में पीठ दर्द का इलाज करवाया. उसने पुस्तकालय से एक पुस्तक ली ‘देवी’ रमेश मेनन की लिखी हुई किताब. अभी कुछ ही देर में वे आज का सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने जाने वाले हैं. 


वर्ष का अंतिम दिन, शाम के पौने सात बजे हैं, अर्थात सवा पांच घंटे के बाद नया वर्ष आरम्भ हो जायेगा. नया वर्ष आने से यूं तो सभी जन उत्साहित हैं मगर क्रिकेटर व क्रिकेट को चाहने वाले कुछ विशेष ही प्रसन्न हैं क्योंकि अगले वर्ष में हर दिन ट्वेंटी-ट्वेंटी होगा. कहीं एक और चुटकुला पढ़ा था, इस वर्ष और अगले वर्ष में केवल उन्नीस-बीस का ही अंतर होगा, कुछ ज्यादा नहीं. वे कुछ देर पूर्व कपिला नदी पर बने बाँध के पीछे स्थित झील के किनारे-किनारे दूर तक टहल कर आये. हवा ठंडी थी और जल में लहरें उठ रही थीं , आकाश में चन्द्रमा उदित हो चुके थे. दो पक्षी तट के निकट थे, उनकी तस्वीर उतारें, यह सोचकर एक कदम आगे बढ़ाया तो वे उड़ गए. जल से दो-तीन फीट ऊँचे उड़ते हुए श्वेत पंछी अपनी भाषा में कुछ कहते हुए बहुत सुंदर लग रहे थे. उनकी उड़ान  गरिमापूर्ण थी और ध्वनि में एक आतुरता थी, शायद घर जाने की जल्दी; हल्का धुंधलका छा गया था. उसके पूर्व तट पर स्थित रेस्तरां में लोग शाम की चाय के लिए आ गए थे. दोपहर से ही कुछ  लोग  सफेद रस्सियों से बने झूलों में विश्राम कर रहे थे या किताब पढ़ रहे थे. दोपहर का भोजन देर से किया क्योंकि खुले वाहन में धूल भरे रास्तों पर तेज गति से यात्रा करने के कारण सारे वस्त्र व चेहरे धूल से भर गए थे, इसलिए स्नान के बाद ही नाश्ते के लिए आये. आज उन्हें टाइगर भी दिखे, लंगूर, हिरण, मोर व मंगूज भी. सुबह साढ़े पांच बजे सफारी का आरंभ हुआ। मौसम ठंडा था और जंगल में पक्षियों का कलरव निरंतर गूँज रहा था. वाहन चालक ने कई जगह  रुक कर टाइगर या अन्य पशुओं की प्रतीक्षा की. कई तस्वीरें भी उतारीं. काबिनी में आकर जंगल सफारी करना ही यात्रियों का एक मुख्य उद्देश्य होता है. 


कल रात्रि के सांस्कृतिक कार्यक्रम में मांड्या की एक टीम आयी थी जिसमें एक कलाकार पैंतीस किलो का एक विशेष छत्र अपने सिर पर लेकर नृत्य  कर रहा था, उसका नृत्य आश्चर्यजनक था. आज दोपहर को वे निकट स्थित गाँव में रजनीगन्धा के खेत देखने गए. उनके कहने पर परिवार में पहले महिला ने एक पौधे के कुछ बल्ब निकाल कर दिए फिर घर का आदमी आया और उसने भी दिए. उन्होंने पैसे देने चाहे पर उन्होंने मना कर दिया. वे मैसूर के बाजार में रजनीगंधा के फूल भेजते हैं, ऐसा बताया. दो छोटे बच्चे भी थे वहाँ, माँ-पिता को देखकर वे भी खेत में कुछ काम कर रहे थे. कल सुबह उन्होंने गाँव से ही आयी एक बैलगाड़ी पर आधे घण्टे का टूर किया. गाड़ीवान बहुत सीधा-सादा सा किशोर ही था. उसे गाना गाने को कहा तो शरमा गया. कर्नाटक का ग्रामीण जीवन इस यात्रा में बहुत निकट से देखने को मिला है. गांव साफ-सुथरे हैं और गाय-बकरियां आदि काफी स्वस्थ व ऊंची कद काठी के हैं. कल एक गाय के बछड़े को तेज गति से दौड़ते हुए देखा था, कितनी ऊर्जा थी उसमें. पिछली रात एक छोटा बालक भी इसी तरह स्टेज पर चढ़-उतर रहा था. बच्चे चाहे आदमी के हों या पशुओं के उनमें वैसी ही ताजगी होती है और उतनी ही ऊर्जा ! टीवी पर तेनालीराम शुरू हो गया है, भास्कर कह रहा है, शरीर में जब तक प्राण है और मन में चेतना, तब तक वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तत्पर रहेगा. 


जीवन वही है जो खुशियों से भरा हो, पुण्यशाली हो, संतुष्टि देने वाला हो. सुख लें औरों को सुख बाँटें. यदि वे अपने मन, वचन, कर्म से अन्यों को सुख देते हैं और निर्मल प्रेम बांटते हैं तो उन्हें भी वही कई गुना होकर मिलता है. नकारात्मकता को इस नए वर्ष में त्याग देना है, सत्य का संग करना है, मन की गति को सहज करना है. अध्यात्म की आज के समय में सभी को आवश्यकता है, उन्हें अपने संस्कारों को सरल करना है, ध्यान का अभ्यास बढ़ाना है. नियमित साधना करनी है. महान विचारों से स्वयं का श्रृंगार करना है. वर्ष की अंतिम रात्रि को सोने से पूर्व ऐसे ही संकल्प मन में उठ रहे थे. 


13 comments:

  1. एक सुखद यात्रा और ऐसी यात्रा जिसमें बैलगाड़ी, मोटर गाड़ी और नौका विहार भी सम्मिलित है। यात्रा के दौरान प्रकृति के मध्य जहाँ एक ओर नयनाभिराम दृशोयों से साक्षात्कार हुआ, वहीं वन्य प्राणियों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में देखने का भी अनुभव रोमांचक रहा।
    सच है, जीवन किसी भी प्रकार किसी लक्ष्य तक पहुँचने का नाम नहीं, अपितु उस यात्रा का नाम है जो उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है। इस बार मैं, वो, जून, नन्हे और नैनी से परे, लंगूर, मोर, हंस, मौंगूज़, हाथियों और रजनीगंधा की चर्चा रही।

    पुनश्च: अंतिम अनुच्छेद की प्रथम पंक्ति में टंकण की त्रुटि है... कृपया सुधार लें!!

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    1. सदा की तरह सुंदर और सारगर्भित प्रतिक्रिया का स्वागत और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने हेतु आभार, जल्दी-जल्दी में कल पोस्ट प्रकाशित कर दी, पर गलतियों से ही इंसान सीखता है.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 3027...सकारात्मक ख़बर 2-DG (2-deoxy-D-glucose)) पर गुरुवार 13 मई 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 14-05-2021) को
    "आ चल के तुझे, मैं ले के चलूँ:"(चर्चा अंक-4060)
    पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद

    "मीना भारद्वाज"

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    1. पुनश्च: कृपया चर्चा अंक-4065 पढ़े ।

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  4. सुखद यात्रा की अनुभूति करवाता आलेख...।

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  5. बहुत सुंदर आलेख आदरणीया।

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  6. रोचक वर्णन । प्राकृतिक छटा मनोहर लगी ।

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  7. सुंदर वर्णन! शैली मनोरंजक।
    सुंदर।

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  8. बेहद रोचक आलेख आदरणीया

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  9. बहुत ही सुखद पल। एक शानदार यात्रा था। मुझे पढकर सुख की अनुभूति हुई। मुझे भी ऐसी यात्रा पसंद है।

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