Tuesday, October 29, 2024

आलू भुजिया और परांठा

आलू भुजिया और परांठा 


अभी कुछ देर पहले वे दोनों मास्क पहने कर रात्रि भ्रमण के लिए गये थे। देश और दुनिया में कोरोना ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। केवल बैंगलुरु में आठ हज़ार केस मिले हैं।शाम को दीदी से बात हुई, कह रही थीं, जीजा जी रोज़ शाम को कुछ देर के लिए एक दुकान पर जाकर बैठते हैं, आस-पास की खबरें मिल जाती हैं, कुछ और लोग भी आते हैं, उन्हें भी सतर्क रहना होगा।भांजा आज वापस जा रहा है, घर से काम करेगा, किराए का घर बंद रहेगा, बाइक नन्हे के यहाँ छोड़ जाएगा। पापाजी से बात हुई, कल उन्हें अचानक हृदय के पास दर्द हुआ, आज ठीक हैं। कोरोना का टेस्ट दुबारा करवाया, छोटे भाई का भी। अगले हफ़्ते प्रमोशन के लिए उसका इंटरव्यू है, पर जा पाएगा या नहीं, अभी तक तय नहीं है। 


आज छत पर सोलर पैनल में लाइटिंग अरेस्टर लग गया तथा तीन इन्वर्टर बदल दिये गये जो इलेक्ट्रिकल सर्ज के कारण पिछले दो महीने से ख़राब थे। उस समय बिजली से चलने वाले कितने और उपकरण भी ख़राब हो गये थे। कुछ देर पहले नन्हे और सोनू से बात की। सुबह यहाँ आने से पूर्व उनका गला ख़राब लग रहा था। कल ही दोनों डेंटिस्ट के पास से आये थे, डर गये, कहीं संक्रमण न हो गया हो। आने से ही मना कर रहे थे।उन्हें कहा, आ जाओ, अपने कमरे में ही रहना, वहीं नाश्ता, खाना पहुँचा देंगे। पर पाँच मिनट भी नहीं रहे कमरे में, नीचे सबने साथ में नाश्ता किया। अभी बात की तो पता चला, नन्हे को सिर में दर्द हुआ था, पर अब कम हो गया है। दोनों कल टेस्ट करा रहे हैं। आज दो पुराने मित्र परिवारों से वीडियो कांफ्रेस पर बात हुई। दिन में एक चित्र बनाया, और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जब मन ख़ाली होता है, एक कविता लिखी। 


सुबह बच्चों से बात की, दोनों ठीक थे व अपने जॉब पर लग चुके थे। कल जो उनके मन में संदेह हो गया था, निराधार था। भय मन पर कैसे असर कर लेता है। कल रात को उसे भी एक दो बार ऐसा लगा कि कुछ ठीक नहीं है। मन में विचार करते ही शरीर पर असर दिखने लगता है। आज दिन में भी गर्मी के कारण एक बार बेचैनी सी हुई, पर अब सब ठीक है। रात्रि भ्रमण के समय हल्की ठंडक लिए हवा चल रही थी।शाम को पड़ोसिन से बात हुई, अब उनकी बहू भी ठीक है। भाई व पापाजी की रिपोर्ट भी आ गई है, भाई की नेगेटिव पर पापाजी की अभी भी पॉज़िटिव है।भाभी ने वैक्सीन लगवा ली है। उसे लगता है, जब कोरोना पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा, तब भी शायद इन दिनों को याद करके लोग उदास हो जाया करेंगे।


आज बैसाखी है, गुडी पड़वा, युगादि और वासंतिक नवरात्र का पहला दिन भी।  न जाने कितने काल से पूरे भारत में अलग-अलग नामों से फसल का यह त्योहार मनाया जाता है। उसने नवरात्र पर एक छोटी सी कविता लिखी।टहलते समय देखा, आम के बगीचे से कच्चे आम ही काफ़ी मात्रा में तोड़ लिए गये हैं।आज से लगभग सभी हिंदू घरों में नौ दिनों तक जैन भोजन ही खाया जाता है, अर्थात बिना लहसुन-प्याज़ का शाकाहारी भीजन।आज नन्हे का एक चित्र उसकी कंपनी की एक खबर में देखा, अच्छा लगा। पड़ोसी के यहाँ से आज बैरियर हटा लिया गया है, यानि अब वे कोरोना से मुक्त हैं। अलग-अलग स्थान पर रहते हुए परिवार में लगभग सभी ने कोरोना की दूसरी डोज लगवा ली है। एक-दो को बुख़ार भी हुआ। पता चला, दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है। बारहवीं की परीक्षाएँ स्थगित कर दी गई हैं। पूरी दुनिया में कोविड के कारण काफ़ी उथल-पुथल मची है। उनका जीवन सुरक्षित है, जब तक वे घर से बाहर नहीं निकलते,यह वायर्स सभी को एकांत सेवी बना रहा है। वैसे किसी को घर बैठे-बैठे भी हुआ है। बाहर से तो संपर्क बना रहता है न। आज शाम को कुछ देर बूँदाबाँदी हुई, पर मौसम अभी भी गर्म है।    


आज शाम को तेज वर्षा हुई, मौसम सुहावना होई गया है। शाम को भाई से बात हुई, उसने बताया, एक बार कोरोना होने के कम से कम दो महीने बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं। उसने अपने तीन परिचित परिवारों का ज़िक्र किया, जिसमें किसी न किसी को संक्रमण हो गया है। आज सुबह आकाश गहरा नीला था, भोर का तारा चाँदी की तरह चमक रहा था। क्रिया के बाद मन इतना हल्का हो गया था जैसे अंतरिक्ष के अंतिम छोर को पल भर में छू कर आ सकता है। नाश्ते में जून को आलू की भुजिया बनाने का मन हुआ, उसे बचपन की याद ताजा हो आयी, जब माँ टिफ़िन में पराँठा और आलू भुजिया देती थीं। उल्हास नगर की यात्रा का विवरण लिखा आज। शाम को योग वशिष्ठ में कितना अद्भुत वर्णन पढ़ा माया का, मन जब अनंत के साथ एक हो जाता है तो मुक्त हो जाता है, या अनंत जब सांत होना छोड़ देता है तो मुक्ति का अनुभव करता है।   


Thursday, October 17, 2024

भोर का तारा

भोर का तारा


आज इतवार है, सुबह साढ़े नौ बजे बच्चे आ गये थे। दोपहर को नन्हे ने यू ट्यूब से देखकर काले चने की स्वादिष्ट सब्ज़ी बनायी। उन्होंने बच्चों को “साइकिल” फ़िल्म के बारे में बताया, पिछले हफ़्ते देखी बहुत अच्छी मलयालम फ़िल्म है। शाम को अचानक तेज हवा चलने लगी, छोटी-मोटी आँधी ही थी। वे छत पर टहल रहे थे, पड़ोसी परिवार भी अपनी छत पर था।पापाजी से बात हुई, उन्हें कोरोना का पता चले एक हफ़्ता हो गया है। उन्होंने कहा, भाई ज़्यादा बात नहीं करता, चुपचुप रहता है। उसे अस्वस्थ हुए ग्यारह दिन हो गये हैं, ऐसे में कोई भी इंसान परेशान हो जाएगा। उसने ईश्वर से प्रार्थना की, विश्व में सभी लोग कोरोना से मुक्त हो जायें। कल 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' पर वेबिनार होने जा रहा है, उसे गुरुजी के प्रारंभिक उद्बोधन को ट्रांस्क्राइब करना है। प्रधानमंत्री की ‘परीक्षा पर चर्चा’ सुनी। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों के उत्तर बहुत समझदारी और स्पष्टता के साथ दिये। प्रधानमंत्री होते हुए युवाओं व बच्चों से उनका संबंध बहुत अनूठा है। 


आश्रम के एक स्वयंसेवक से ज्ञात हुआ, गुरुजी का गला भी ख़राब है, वह एकांतवास में हैं, वेबिनार में उनका संदेश पढ़कर सुनाया गया। पापाजी को उनके भेजे बिस्किट आज मिल गये, उन्हें अच्छा लगा। अभी भी पूर्ण स्वास्थ्य नहीं मिला है। भाई को भी ठंड लग रही थी।परिवार के तीनों डाक्टर्स के संपर्क में है वह। तीनों से उसे कुछ न कछ सहायता मिल रही है। हेल्थ ऐप तो है ही सहयोग देने के लिए।सुबह अस्तित्त्व ने एक कविता लिखवायी। मौसम अपेक्षाकृत गर्म था। द्वादशी का चंद्रमा बेहद मोहक लग रहा था और  कुछ दूरी पर भोर का तारा भी चमचमा रहा था। लौटकर सूर्योदय को कैमरे में उतारा। पाचन तंत्र कुछ शिकायत कर रहा था, सो आज आयुर्वेद का एक नुस्ख़ा लिया है, रात्रि को दूध के साथ। घर पर बात हुई, दोनों मरीज़ अब बेहतर हैं। सुबह उनके लिए शुभकामनाएँ भेजी थीं और मानसिक उपचार का भाव भी किया था।दुआओं में बहुत असर होता है यदि वे दिल से निकली हों।पापाजी से की बातचीत उन्होंने रिकॉर्ड कर ली है। उन्हें फ़ोन पर बात करना अच्छा लगता है। कल रात देखे अपने दो स्वप्न उन्होंने बताये, एक में एक व्यक्ति उनसे पूछता है, कितने साल से पेंशन  ले रहे हो, और कब तक लेने का इरादा है। दूसरे स्वप्न में वे भाई के साथ पेंशन लेने जाते हैं, पर वहाँ बहुत देर हो जाती है। फिर वे निकाले हुए पैसे भाई को दे देते हैं, और वह उन्हें छोड़कर बस में बैठकर चला जाता है ।मन में छिपे हुए भय ही स्वप्नों में प्रकट हो जाते हैं।


आज वे रात्रि भ्रमण  के लिए निकले तो सड़क बिल्कुल सुनसान थी। पार्क नंबर नौ यानी फ़ौवरे वाले पार्क से होते हुए आम के बगीचे की बायीं ओर ढलान वाली सड़क से होते हुए लौटे। पार्क छह के बाहर एक माँ दो बच्चों को अपने दोनों ओर बिठाए एक किताब पढ़कर सुना रही थी। एक बच्चा बहुत खुश लग रहा था। थोड़ा आगे एक चौकीदार मिला जो सदा ही सलाम करता है। सभी ने मास्क पहने हुए थे। एक वर्ष पूर्व जैसा भय का माहौल था, कुछ वैसा ही फिर से बन रहा है। उन्होंने शाम को बाहर निकलना ही छोड़ दिया है। ‘देवों के देव’ में रामायण की कहानी चल रही है, महादेव की बहुत बड़ी भूमिका है रामायण में, उनके एक अंश का ही अवतार हैं हनुमान! पापा जी का स्वास्थ्य सुधर रहा है, उन्होंने फ़ेसबुक देखना आरंभ कर दिया है। सुबह क्रिया के बाद बहुत सुंदर अनुभव हुआ, आज्ञा चक्र पर सफ़ेद मोती दिखे ढेर सारे ! परमात्मा को महसूस करना हो तो वर्तमान के क्षण में ही किया जा सकता है, अभी और यहीं। वह इस वक्त है यहीं, उनके पास, उनसे स्वयं को पहचनवाता हुआ, वे उसे जान सकें यह वह चाहता है। वह उनके माध्यम से व्यक्त होना चाहता है, एक तरह से हो ही रहा है, पर अनजाने ही, उनके जाने बिना ही, जब वे जान लेते हैं तो उसके आनंद में भागीदार बन जाते हैं !