आलू भुजिया और परांठा
अभी कुछ देर पहले वे दोनों मास्क पहने कर रात्रि भ्रमण के लिए गये थे। देश और दुनिया में कोरोना ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। केवल बैंगलुरु में आठ हज़ार केस मिले हैं।शाम को दीदी से बात हुई, कह रही थीं, जीजा जी रोज़ शाम को कुछ देर के लिए एक दुकान पर जाकर बैठते हैं, आस-पास की खबरें मिल जाती हैं, कुछ और लोग भी आते हैं, उन्हें भी सतर्क रहना होगा।भांजा आज वापस जा रहा है, घर से काम करेगा, किराए का घर बंद रहेगा, बाइक नन्हे के यहाँ छोड़ जाएगा। पापाजी से बात हुई, कल उन्हें अचानक हृदय के पास दर्द हुआ, आज ठीक हैं। कोरोना का टेस्ट दुबारा करवाया, छोटे भाई का भी। अगले हफ़्ते प्रमोशन के लिए उसका इंटरव्यू है, पर जा पाएगा या नहीं, अभी तक तय नहीं है।
आज छत पर सोलर पैनल में लाइटिंग अरेस्टर लग गया तथा तीन इन्वर्टर बदल दिये गये जो इलेक्ट्रिकल सर्ज के कारण पिछले दो महीने से ख़राब थे। उस समय बिजली से चलने वाले कितने और उपकरण भी ख़राब हो गये थे। कुछ देर पहले नन्हे और सोनू से बात की। सुबह यहाँ आने से पूर्व उनका गला ख़राब लग रहा था। कल ही दोनों डेंटिस्ट के पास से आये थे, डर गये, कहीं संक्रमण न हो गया हो। आने से ही मना कर रहे थे।उन्हें कहा, आ जाओ, अपने कमरे में ही रहना, वहीं नाश्ता, खाना पहुँचा देंगे। पर पाँच मिनट भी नहीं रहे कमरे में, नीचे सबने साथ में नाश्ता किया। अभी बात की तो पता चला, नन्हे को सिर में दर्द हुआ था, पर अब कम हो गया है। दोनों कल टेस्ट करा रहे हैं। आज दो पुराने मित्र परिवारों से वीडियो कांफ्रेस पर बात हुई। दिन में एक चित्र बनाया, और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जब मन ख़ाली होता है, एक कविता लिखी।
सुबह बच्चों से बात की, दोनों ठीक थे व अपने जॉब पर लग चुके थे। कल जो उनके मन में संदेह हो गया था, निराधार था। भय मन पर कैसे असर कर लेता है। कल रात को उसे भी एक दो बार ऐसा लगा कि कुछ ठीक नहीं है। मन में विचार करते ही शरीर पर असर दिखने लगता है। आज दिन में भी गर्मी के कारण एक बार बेचैनी सी हुई, पर अब सब ठीक है। रात्रि भ्रमण के समय हल्की ठंडक लिए हवा चल रही थी।शाम को पड़ोसिन से बात हुई, अब उनकी बहू भी ठीक है। भाई व पापाजी की रिपोर्ट भी आ गई है, भाई की नेगेटिव पर पापाजी की अभी भी पॉज़िटिव है।भाभी ने वैक्सीन लगवा ली है। उसे लगता है, जब कोरोना पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा, तब भी शायद इन दिनों को याद करके लोग उदास हो जाया करेंगे।
आज बैसाखी है, गुडी पड़वा, युगादि और वासंतिक नवरात्र का पहला दिन भी। न जाने कितने काल से पूरे भारत में अलग-अलग नामों से फसल का यह त्योहार मनाया जाता है। उसने नवरात्र पर एक छोटी सी कविता लिखी।टहलते समय देखा, आम के बगीचे से कच्चे आम ही काफ़ी मात्रा में तोड़ लिए गये हैं।आज से लगभग सभी हिंदू घरों में नौ दिनों तक जैन भोजन ही खाया जाता है, अर्थात बिना लहसुन-प्याज़ का शाकाहारी भीजन।आज नन्हे का एक चित्र उसकी कंपनी की एक खबर में देखा, अच्छा लगा। पड़ोसी के यहाँ से आज बैरियर हटा लिया गया है, यानि अब वे कोरोना से मुक्त हैं। अलग-अलग स्थान पर रहते हुए परिवार में लगभग सभी ने कोरोना की दूसरी डोज लगवा ली है। एक-दो को बुख़ार भी हुआ। पता चला, दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी गई है। बारहवीं की परीक्षाएँ स्थगित कर दी गई हैं। पूरी दुनिया में कोविड के कारण काफ़ी उथल-पुथल मची है। उनका जीवन सुरक्षित है, जब तक वे घर से बाहर नहीं निकलते,यह वायर्स सभी को एकांत सेवी बना रहा है। वैसे किसी को घर बैठे-बैठे भी हुआ है। बाहर से तो संपर्क बना रहता है न। आज शाम को कुछ देर बूँदाबाँदी हुई, पर मौसम अभी भी गर्म है।
आज शाम को तेज वर्षा हुई, मौसम सुहावना होई गया है। शाम को भाई से बात हुई, उसने बताया, एक बार कोरोना होने के कम से कम दो महीने बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं। उसने अपने तीन परिचित परिवारों का ज़िक्र किया, जिसमें किसी न किसी को संक्रमण हो गया है। आज सुबह आकाश गहरा नीला था, भोर का तारा चाँदी की तरह चमक रहा था। क्रिया के बाद मन इतना हल्का हो गया था जैसे अंतरिक्ष के अंतिम छोर को पल भर में छू कर आ सकता है। नाश्ते में जून को आलू की भुजिया बनाने का मन हुआ, उसे बचपन की याद ताजा हो आयी, जब माँ टिफ़िन में पराँठा और आलू भुजिया देती थीं। उल्हास नगर की यात्रा का विवरण लिखा आज। शाम को योग वशिष्ठ में कितना अद्भुत वर्णन पढ़ा माया का, मन जब अनंत के साथ एक हो जाता है तो मुक्त हो जाता है, या अनंत जब सांत होना छोड़ देता है तो मुक्ति का अनुभव करता है।