विपासना के आचार्य गोयनका जी की बात उसे आज याद आ रही थी, जब वे
वीसा लेने के लिए इंटरव्यू देने जा रहे थे. मन चंचल है और न जाने कितने-कितने
जन्मों के संस्कार इसमें दबे पड़े हैं. पता ही नहीं चलता क्या आँखें देखें, क्या
कान सुनें और मन में क्या जग जाये. एक अथाह सागर है मन, जिसका मंथन करो तो कितना कुछ ऊपर आता है,
जिसमें कूड़ा-कचरा भी होता है, विष भी होता है और अमृत भी लेकिन अमृत की एक बूंद ही
होती है जबकि व्यर्थ का सामान अधिक होता है. उसे स्वयं ही पता नहीं चलता कि अगले
क्षण मन में क्या आने वाला है, कैसी बेहोशी में वे जीते हैं. महानगर का जीवन कितना
भिन्न है, वातावरण का असर भी मन पर होता है और भोजन का भी. परसों सुबह वे घर से
चले थे और इतवार को वापस पहुंचेंगे, अभी uk वीसा के लिए इंटरव्यू देना है जो परसों
होगा. जून बाजार गये हैं अभी दो घंटे बाद ही लौटेंगे. उसके पास साधना के लिए पर्याप्त
समय है, पहले कुछ देर पढ़ना ठीक रहेगा, जिससे मन भी एकाग्र हो सके. us दूतावास में
अनुभव अच्छा रहा. इंटरव्यू ठीक था, उनके ट्रेवल एजेंट काफी ठीक हैं. कल तक सारी तैयारी
हो जाएगी उनकी तरफ से. ठीक एक महीने बाद वे विदेश यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे.
कान्हा उसके साथ है, जाने से पहले वह कालीघाट के ‘काली मन्दिर’, मदर टेरेसा के ‘निर्मल
हृदय’ तथा ‘बेलूर मठ’ तीनों स्थानों पर जाना चाहती है. जून ने कहा है कि शनिवार को
वे जा सकते हैं.
कल दक्षिणेश्वर में
माँ काली कि भव्य मूर्ति के दर्शन किये, मन्दिर का प्रांगण भी विशाल है, सामने ही
नदी भी है. संत प्रवर इसी मन्दिर में माँ काली से वार्तालाप करते थे. बेलूर मठ में
उनकी मूर्ति जीवंत थी, कि लग रहा था वह वहीं हैं, उसे उनकी उपस्थिति का अहसास हुआ.
विवेकानन्द की समाधि भी अनुपम थी. उनके कमरे को फूलों से सजाया गया था. पूरे आश्रम
में एक अनोखी शांति फैली हुई थी. माँ शारदा के दर्शन नहीं हो सके, पर उनके कई
चित्र देखे. जीता-जागता ईश्वर इस आश्रम में निवास करता था, उसकी उपस्थिति न जाने
कितने सौ वर्षों तक मानवों को प्रेरित करती रहेगी. इस बार का कोलकाता प्रवास उसके
लिये कई अर्थों में अनूठा है. अमेरिकन दूतावास की सुरक्षा व्यवस्था कितनी मजबूत
थी, इंटरव्यू का अनुभव रोचक था. ‘मेट्रो’ के जूते भी नये तरीके के हैं. विदेश
यात्रा के लिए तैयारी सुचारुरूप से चल रही है. वहाँ घर में भी नन्हे और उसकी दादी
को अकेले घर सम्भालने और खाना बनाने में नये-नये अनुभव हो रहे हैं. आज दोपहर वे घर
पहुंच जायेंगे. ईश्वर इस सृष्टि के कण-कण में है, वही जीवन है वही मृत्यु है. वही
द्वन्द्वों को बनाता है पर स्वयं उनसे परे है. उसे वह अपनी ओर बुलाता है, वह जैसे
कोई खेल खेल रहा है, यह जगत काली माँ की क्रीड़ा स्थली है, काली जो ईश्वर कि शक्ति
है, वे दोनों एक ही हैं. कोई यदि इस खेल को जीतना चाहता है तो उसके पास लौटना होगा
और उसका रास्ता सांप-सीढ़ी के खेल की तरह कई उतार-चढ़ावों से भरा है, उसे जब प्रतीत
होता है कि मंजिल सामने है तो कोई सांप डस लेता है और वह नीचे उतार दिया जाता
है.
उसे लगता है, एक क्षण
भी यदि उसके सुमिरन के बिना गुजरा तो कर्मों के बंधन मे फ़ंसना ही पड़ेगा, जब दिल में
ईश्वर की स्मृति बनी रहती है तो वे पतन से बचे रहते हैं स्वार्थ उन पर शिकंजा नहीं
कस सकता वाणी पवित्र रहती है मन बेकार की कल्पनाओं के जाल से मुक्त रहता है she has a small benign tumour in her body, today
doctor told this fact and she is not at all worried. It seems that she knew it
before, anything happens to her is done by God and he knows best for her. Her
heart is filled with God’s love she is reading Ramkrishna’s story, she finds
many thoughts similar as they are in her mind. Whenever she wishes he is real
to her as the world is real. But this world is changing every moment and God is
absolute, ever-present source of joy, knowledge and love. At this moment she is
feeling his presence and whenever she closes her eyes she feels it and whenever
she repeats his name feels a sensation. This whole world is his creation and
who he loves him is dear to her. Ramkrishna and sri sri both are dear to her
like God. Nothing in this world can give peace or joy that remembrance of Him can
give. He is the total sum of all joy ever present here. He is the only one
real, everything else is changing ever.
बढ़िया लिखा है आपने। आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगता है
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें
http://chlachitra.blogspot.in/
http://cricketluverr.blogspot.com
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मंदी की मार, हुआ बंद व्यापार - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteमिथिलेश जी व तुषार जी, स्वागत व आभार
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