tag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post7149587510212372397..comments2024-03-29T00:36:45.216-07:00Comments on एक जीवन एक कहानी: ट्रेन से टक्कर Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-774741706790409342014-08-29T20:09:31.562-07:002014-08-29T20:09:31.562-07:00जीवन की क्षण भंगुरता का जिसने अनुभव नहीं किया स्वय...जीवन की क्षण भंगुरता का जिसने अनुभव नहीं किया स्वयं की शाश्वतता का जिसे अनुभव नहीं हुआ हर उस व्यक्ति के लिए मृत्यु भयावह ही है Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-83408384297486928442014-08-25T07:57:57.457-07:002014-08-25T07:57:57.457-07:00दिनचर्या के मध्य कविताओं के लिये एक पाठिका का मिलन...दिनचर्या के मध्य कविताओं के लिये एक पाठिका का मिलना और कविताओं को छपवाने के प्रस्ताव पर मैं हल्के से मुस्कुराने लगा हूँ... कई बार मैं अपने दोस्तों को कह्ता रहा हूँ कि जब मेरी कोई रचना किसी को पसन्द आती है (मित्रमण्डली में) तो उनकी पहले प्रतिक्रिया यही होती है कि इसे छपने क्यों नहीं भेजते! मगर कोई यह नहीं सोचता कि छपने से अधिक आवश्यक एक सुधि-पाठक का मिलना है! यही कारण है कि मैंने भी आजतक अपनी रचनाओं के लिये छपने का आसरा नहीं देखा!<br /><br />मृत्यु भले ही एक सुखद घटना हो, अपरिहार्य्य और जीवन की पराकाष्ठा.. किंतु यह भी सच है कि मृत्यु से अधिक मृत्यु के प्रकार से डर लगता है और उस एक मृत्यु से जुड़ी कितनी अकाल-मृत्यु (जो जीवन के रूप में रह जाती हैं) जैसे वह युवा विधवा और उसका गर्भस्थ शिशु! <br />नन्हे के प्लास्टर खुलने की बधाई! उसे बताइये कि मेरा टूअर भी काफ़ी लम्बा हो गया इसलिये अपने परिवार के साथ साथ अपनी उस सखि को भी बहुत मिस किया! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com