tag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post5890108596518726346..comments2024-03-28T00:10:28.489-07:00Comments on एक जीवन एक कहानी: दुःख का अस्तित्त्व Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-14747290791156310312014-09-21T07:07:21.294-07:002014-09-21T07:07:21.294-07:00रिश्तों की डोर ऐसी ही होती है... हम चाहे कितने भी ...रिश्तों की डोर ऐसी ही होती है... हम चाहे कितने भी दूर क्यों न हों, बँधे रहते हैं उस डोर से. सामाजिक और पारिवारिक दायित्व कई बार हमारी परीक्षा लेते हैं. मेरी माँ को जब पिछले दिनों फ़ालिज का अटैक आया तो चाहकर भी मैं लम्बे समय तक उनके साथ नहीं रह सकता था. नौकरी की भी अपनी मजबूरियाँ होती हैं!<br /><br />वो सपने बहुत देखती है. अजीब-अजीब तरह के सपने. कभी सोचती होगी वो कि उनका क्या मतलब है. उसकी कविताओं की तरह उसके सपने भी मेरे लिये रहस्य हैं. <br /><br />कविताओं की किताब बन गई है. कभी मौक़ा मिला तो उन्हें भी पढूँगा. चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com