tag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post4907353843463223222..comments2024-03-28T00:10:28.489-07:00Comments on एक जीवन एक कहानी: १०८४वें की माँ - महाश्वेता देवी की पुस्तक Anitahttp://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-75837842523370749842014-11-21T00:48:37.850-08:002014-11-21T00:48:37.850-08:00बहुत सुंदर कविता है यह...उसके साथ कोई भी संवाद हो ...बहुत सुंदर कविता है यह...उसके साथ कोई भी संवाद हो मधुरता वही भर देता है...वह कविता अवश्य लिखूंगी एक दिन Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-27950987172648371512014-11-19T06:27:14.435-08:002014-11-19T06:27:14.435-08:00वो कविता अवश्य शेयर करें.. अच्छा लगेगा! मैंने फेसब...वो कविता अवश्य शेयर करें.. अच्छा लगेगा! मैंने फेसबुक पर एक कविता बहुत पहले लिखी थी जो मेरे और परमात्मा के रिश्ते को रेखांकित करती है..<br />.<br />मुझे भूल जाने की अजीब आदत है<br />ये बात सब जानते हैं<br />जो मुझसे प्यार करते हैं<br />मुझे चाहते हैं.<br />आने का कहकर न आना<br />लाने का कहकर न लाना<br />जाने का कहकर न जाना<br />लोग बुरा नहीं मानते इन बातों का<br />क्योंकि सब जानते हैं<br />मुझे भूल जाने की अजीब आदत है.<br />रात जब सोने जाता हूँ<br />तो ‘वो’ हिफाज़त करता है मेरी<br />चलाता रहता है साँसें मेरी<br />साँसों के साथ ऑक्सीजन का जाना<br />साँसों के साथ कार्बन डाईऑक्साइड का आना<br />सब उसी पर छोडकर सोता हूँ मैं<br />कहीं भूल न जाऊं मैं साँस लेना<br />इसलिए ‘वो’ चलाता रहता है<br />मुझे याद रखने की ज़रूरत नहीं<br />मुझे भूल जाने की अजीब आदत है!<br />.<br />और आपकी ओंकार की ध्वनि शायद सम्वाद है उसके साथ!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-74115694013919562652014-11-18T23:53:14.087-08:002014-11-18T23:53:14.087-08:00हाँ, ईश्वर के नाम की गूँज वही तो है...कभी मन बिल्क...हाँ, ईश्वर के नाम की गूँज वही तो है...कभी मन बिल्कुल खाली हो तो भी कुछ तो सुनाई देता है न..वाह, अज्ञेय जी की बात आपने फेसबुक पर कही है, उस दिन शब्दों को जोड़कर जो कविता लिखी थी पढ़ना चाहेंगे, जिन्दगी कितनी भी सख्त हो परमात्मा के अदृश्य हाथ का कोमल स्पर्श एक क्षण के लिए भी हमसे विलग नहीं है, आपकी टिप्पणी बहुत अर्थपूर्ण होती है, इसी तरह पढ़ते रहें और समय मिलने पर लिखते रहें. आभार !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6638701219962531553.post-80060969609380221352014-11-18T07:34:32.203-08:002014-11-18T07:34:32.203-08:00शीर्षक देखकर चौंक गया और तस्वीर देखकर चुप लगा गया....शीर्षक देखकर चौंक गया और तस्वीर देखकर चुप लगा गया.. लेकिन मन नहीं मान रहा था.. बाद में जब आपने लिखा "1084 के माँ" तो तसल्ली हुई. मैंने पढी भी है किताब और फ़िल्म भी देखी है. <br />ईश्वर के स्वर की गूँज की जो व्याख्या आपने सहज और सरल ढंग से कही वो सचमुच प्रभावशाली है... "ऊँ" या "ओंकार" की ध्वनि वही स्वर है ना!!<br />अज्ञेय जी की व्याख्या सुनकर दिल खुश हो गया.. अभी दो दिन पहले बिल्कुल यही बात मैंने फेसबुक पर कही थी. <br />पूसी की व्यथा एक माँ की हूक है... अफ़सोस होता है!! <br />/<br />ज़िन्दगी बहुत सख़्त होती जा रही है. अनियमित हूँ पर आपको पढना नहीं भूलता! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com