Monday, November 24, 2025

लुकिंग इनवर्ड


लुकिंग इनवर्ड 



आज सुबह उसकी नींद तीन बजे खुल गई थी। कुछ देर ध्यान किया, फिर गुरुजी की वाणी सुनी। अनमोल हैं उनके वचन ! सुबह बैंक जाना था, बहुत भीड़ थी, गर्मी भी थी। काफ़ी देर बैठना पड़ा। सड़क पर होते क्रिया कलापों को नूना साक्षी भाव से देखती रही। एक पुलिस वाले ने कितने ही स्कूटर्स व बाइक्स की चाबियाँ निकाल लीं, जो नो पार्किंग में खड़ी की थीं। सड़क पार सामने की दो दुकानों में कुछ मुर्ग़े पिंजरों में खेल रहे थे, अपनी मृत्यु से अनजान। आकाश पर श्वेत बादल हवा के साथ उड़ रहे थे। 


आज शाम नूना की पापाजी से फ़ोन पर बात हुई। उन्होंने ‘अष्टावक्र’ की कहानी बतायी। ब्रह्म और ब्रह्मा कैसे अलग हैं यह भी। जो कुछ भी उन्हें दिखायी दे रहा है, वह ब्रह्म का विवर्त है। इंद्रियों के माध्यम से जो अनुभव होता है, वह माया के कारण होता है।मिर्च उन्हें तीखी लगती है, लेकिन तोते को वह तीखी नहीं लगती।जिह्वा में ऐसा कुछ है जिससे स्वाद का अनुभव होता है। जैसे पानी का एक रूप बर्फ है, वैसे ही ब्रह्म का एक रूप जगत है।भावातीत है ब्रह्म, उसमें कोई विचार नहीं है, उसमें कोई भेद नहीं है, वह अद्वैत है। उसका सृष्टि भाव ब्रह्मा है। उसका स्थिति भाव विष्णु है, उसका संहारक भाव शिव है।उड़िया सखी का फ़ोन आया, वह एओएल के अंकुर संस्कार केंद्र की शिक्षिका बन गई है। नूना को जानकर बहुत अच्छा लगा।आज नूना और जून लाल बाग गये थे। बहुत बड़ा है और देखने योग्य है। 


आज वे महीनों बाद नन्हे के यहाँ गये। पिछली बार मार्च में गये थे। सोनू के पिताजी आपरेशन के बाद अब ठीक हो रहे हैं। आज से भोजन में ग्रीन टी, ब्राउन राइस व रागी की रोटी को शामिल किया है। शाम को सोमनहल्ली गाँव में टमाटर का एक खेत देखा, जिसमें क्यारी को प्लास्टिक की एक चादर से ढक दिया गया था, ताकि नमी भीतर बनी रहे, शायद इस तरह कीट भी नहीं लगते होंगे। आज स्वामी पूर्णचैतन्य की लिखी पुस्तक ‘लुकिंग इनवर्ड’ अमेजन पर ऑर्डर की है। उसे याद आया, असम में वह उनसे उड़िया सखी के घर पर मिली थी, बाद में वे दोनों उन्हें गोल्फ फ़ील्ड तक घुमाने भी ले गई थीं।स्वामी नीदरलैंड के वासी हैं। उन्होंने संस्कृत में श्लोक व मंत्र जाप करके रुद्र पूजा भी करवायी थी।उनकी पुस्तक अवश्य ही साधकों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी।  


अभी कुछ देर पहले वे रात्रि भ्रमण से लौटे हैं, हवा ठंडी थी और पीज़ा वैन अभी तक खड़ी थी। आज शाम की चाय के साथ उन्होंने भी वर्षों बाद पीज़ा खाया। नन्हे ने ऑर्डर कर दिया था। शाम को वे सब मिलकर पास के गाँव तक घूमने गये थे। नन्हा और सोनू साइकिल पर थे। सोनू को घुटने पर थोड़ी सी चोट लग गई, जब वह साइकिल से गिर गई। घर लौटकर बाद में सबने मिलकर एक वृत्त चित्र देखा, जिसमें सोशल मीडिया के बढ़ते हुए प्रभाव के बारे में बताया गया था।यह भी कि किस तरह सोशल मीडिया लोगों की राय बदल देता है।  


कुछ देर पहले छोटे भाई का फ़ोन आया। उसने बताया, पापाजी घर की हर वस्तु का ख्याल रखते हैं। यदि कोई वस्तु ख़राब हो जाये तो उसे ठीक करवा के ही छोड़ते हैं। ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा को वे जगत के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी में आड़े नहीं आने देते। कर्मशील हैं, तथा ज्ञानी भी। ।जून सुबह घर से निकले थे, शाम को वापस आये। कई काम हो गये। सिट आउट के लिए घास, मुख्य दरवाज़े के बाहर  रखने के लिए हरा बड़ा सा डोरमैट। घर में लगाने के लिए वुडेन फ़्लोर का भी पता किया।बैंक तथा डाक्टर के पास भी जाना था। नूना ने सारा समय पढ़ने-लिखने और कुछ सुनने में लगाया। सूफ़ी धर्म पर एक चर्चा सुनी। सभी भाइयों को राखी भी भेज दी। भारत ने हाकी में कांस्य पदक प्राप्त किया है। पहला स्वर्ण पदक भाला फेंकने की प्रतियोगिता में  प्राप्त हुआ।


आज इतवार है। सुबह रोज़ से अलग, यानि माली से बगीचे में काम करवाना। गैराज में माली का समान रखने के लिए एक अलमारी भी बन कर आ गई है। नन्हा, उसका एक मित्र, सोनू व उसके माँ-पापा सभी लंच के समय आये। उसके बाद एक बोर्ड गेम खेलते रहे।सोसाइटी में एक छोटा सा मेला लगा था, सब मिलकर वहीं गये, निशाना लगाने का खेल खेला। 


आज भारत छोड़ो आंदोलन की ७९वीं जयंती है। आज वे बैंगलुरु का चिड़ियाघर देखने गये। कल शाम नन्हा यहाँ आ गया था। उसने अपने कमरे में बिट कॉइन्स के लिए एक सेटअप किया है। कहा रहा था, बिट कॉइन्स बनाएगा। सुबह नूना पूजा के लिए हरसिंगार के फूल लेने बगीचे में गयी  तो देखा, एक खिड़की के शीशे, घर की दीवार, पौधों तत्था घास पर सफ़ेद सीमेंट या चूने के छींटे पड़े हुए थे। पड़ोस वाले घर में अब सीमेंट लगाने का काम शुरू हुआ है, मज़दूर जब दीवार पर सीमेंट फेंकते हैं तो कुछ भाग उनके बगीचे में आ जाता है। मज़दूरों को कहने के बाद नूना ने पड़ोसियों को बुलाकर दिखाया तो उन्होंने दोनों घरों के मध्य तारपोलीन का पर्दा लगवाने को कहा है। 


   


Tuesday, November 18, 2025

जिंदल नेचर क्योर


जिंदल नेचर क्योर


आज सुबह भी वर्षा हो रही थी। छत पर अंधेरा था, बल्ब जलाकर प्राणायाम किया। हवा शीतल थी और ब्रह्म मुहूर्त का प्रभाव भी मन को शांति प्रदान कर रहा था। उजाला होने पर वे बाहर निकले। मन अब शून्य में टिकने लगा है। उसे शांति ही रूचती है। ज़्यादा बोलना भी अच्छा नहीं लगता। आत्मा, गुरु और परमात्मा तीनों एक चैतन्य सत्ता हैं, यह बात अनुभव में आती है । एक कविता भी प्रकाशित की शब्दों की सीमा पर, मौन जितना प्रभावशाली होता है, शब्द उतने नहीं हैं। कल पड़ोस वाले घर के दुमंज़िले की छत पड़ेगी। पड़ोसन अपने माता-पिता के साथ आकर उनकी छत से इसे देखना चाहती है। आज शाम से लगातार वर्षा हो रही है। नन्हा और सोनू माँ-पापा को लाने एयरपोर्ट गये हैं। पड़ोसी परिवार आया था, पूरण पोली, पेड़े, और मैसूर पाक भी लाए थे वे। पापा जी से बात की, आज उन्होंने जुग सुरैया का एक लेख टाइम्स ऑफ़ इंडिया में पढ़ा, कविता क्या है ? उसी के बारे में बताया।मौन पर लिखी उसकी कविता पर कमेंट्स आये हैं। जिसने भीतर के मौन को महसूस नहीं किया है, उसके लिए इसे पाना असंभव ही जान पड़ेगा। नन्हे ने एक नया बोर्ड गेम भेजा है, पिन-बॉल नाम है उसका। बचपन में वे खेला करते थे। आज सुबह तीन दिनों के बाद वर्षा नहीं हो रही थी। पूरे चालीस मिनट वह तेज गति से चली और दस मिनट दौड़ लगायी।जून को दौड़ना पसंद नहीं है, पर वजन कम करने के लिए इतना तो करना ही पड़ेगा। वापस आकर योग-साधना।आज नाश्ता नहीं बनाना था। कल समधिन जी के लाए दही-बड़े और हलवा ही पर्याप्त था। दोपहर को नैनी नहीं आयी, शायद उसने भी वैक्सीन लगवायी है। पापा जी से बात हुई, भक्ति और ज्ञान की बात। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है।उन्हें समधी जी द्वारा भेजी चाय के बारे में बताया, तो वह खुश हुए। छोटा भाई ड्यूटी पर वापस गुजरात चला गया, अब डेढ़ महीने बाद आयेगा। वह बड़ी ननद के घर भी जाएगा। शाम को वे पहली बार सोसाइटी में स्थित एक आवास में गये, जिनके अमरूद के बगीचे से ढेर सारे अमरूद ख़रीदे और पपीते भी।हरसिंगार पर एक नयी कविता लिखी, वर्षों पहले एक लिखी थी। जून ने नन्हे के लिए पैडिक्योर मशीन भेजी है। कल उसका ‘फूटरेस्ट’ भी बनकर आ गया।जून ने आज गर्म पानी का टैंक साफ़ करवाया। आज गुरु पूर्णिमा है। सुबह गुरुजी का एओएल शिक्षकों के साथ वार्तालाप सुना। बहुत अच्छे सवाल-जवाब थे।शाम को भी एक कार्यक्रम था। पहले गुरुजी ने गुरुपूर्णिमा का महत्व बताया। दक्षिणामूर्ति का वर्णन किया। संगीत व नृत्य के एक कार्यक्रम की प्रस्तुति हुई, जिसमें ३५० बच्चे तथा बड़े शामिल थे। नृत्य भिन्न-भिन्न स्थानों पर किया गया था, फिर उसे एक जगह प्रस्तुत किया गया। अंत में सुरीले भजन गाये गये। दूर से आश्रम स्थित विशालाक्षी मंडप का शिखर देखा, जब वे रात्रि भ्रमण के लिए गये। शाम को मृणाल ज्योति की एक शिक्षिका से शिक्षक दिवस पर उन्हें उपहार भेजने के सिलसिले में बात हुई। ‘इस दिन तृप्ति की एक अज्ञात राशि का अनुभव होगा’। आज सुबह उठते ही सबसे पहले यह विचार नूना से किसी ने कहा। रात को एक स्वप्न देखा, किसी उपकरण को बनाने की प्रक्रिया में जून सहायता करते हैं, पर उनका शुक्रिया अदा करने की बजाय वह कहती है कि यह काम वह पहले भी कर चुकी है। यह सत्य भी था, पर जब वह इसका अनुमोदन नहीं करते तो वह ज़ोर देकर पुन: कहती है। स्वयं को महत्व देने के इस संस्कार से छुटकारा पाना होगा। यही तो अहंकार है। उनके कर्म स्वयं उनकी कहानी कहें, तब तो ठीक है पर अपने शब्दों में अपना महत्व रखना ही अहंकार है। कर्ताभाव से मुक्त हुए बिना सहज कर्म नहीं होते, ऐसे कर्म जो अस्तित्त्व उनसे करवाना चाहता है। आदमी स्वयं जो भी करता है, वह सीमित होता है। अज्ञात असीम है। उसे लगा, उसके संस्कार अवश्य ही मिट रहे हैं। परमात्मा और गुरु उसके साथ हैं, यह कहना भी ठीक नहीं है, वही करेंगे अब जो भी इस देह और मन से होना है। आज का इतवार कुछ अलग था। सुबह टहल कर आते समय रॉक गार्डन में ही चट्टान पर बैठकर प्राणायाम किया। खुली हवा, शांत और शीतल वातावरण में केवल मोर व पंछियों की आवाज़ें आ रही थीं। वापस आकर जून साइकिल चलाने गये और उसने माली से काम करवाया। नाश्ते के बाद जून ने कहा, असम से एक परिचित डाक्टर आये हैं, दोपहर को भोजन पर बुलाया है। वह जिंदल नेचर केयर में स्वास्थ्य कारणों से तीसरी बार आये हैं। लंच के बाद उन्होंने बताया, यहाँ आकर उनका वजन घटता है, पर कुछ समय बाद भोजन व जीवन शैली के कारण फिर बढ़ जाता है। मज़ाक़ में यह भी कहा, यहाँ आकर वे इस बात का पैसा देते हैं कि उन्हें कम खिलाया जाये। वह असमिया पड़ोसी से मिलने भी गये। शाम को वे उन्हें आश्रम ले गये।


Thursday, November 13, 2025

अमेरिका का रेगिस्तान

अमेरिका का रेगिस्तान 


कल रात से वर्षा हो रही थी, सुबह उठने में आलस्य किया। रुकने पर वे दोनों टहलने गये और छत पर किया योग-अभ्यास।जून ने नन्हे के जन्मदिन के लिए हलवा अभी से बना दिया है। इमली वाली मीठी चटनी और हरी चटनी भी बन गई है। शेष तैयारी कल हो जाएगी। नाश्ते में नूना ने बगीचे के पपीते से पराँठे बनाये, मीठे-मीठे से थे। पेड़ पर दो पपीते पक रहे हैं। बाद में वे नर्सरी से उनतीस पौधे लाये, इतवार को माली वर्टिकल गार्डन बनाना शुरू करेगा। सोसाइटी में बाटा की सेल लगी है, जून ने चप्पल ली और नूना ने वॉकिंग शू। नन्हे को जन्मदिन की कविता भेज दी है।


आज नन्हे का जन्मदिन है।सुबह उससे बात की, दोपहर व शाम को भी। सोनू ने ‘स्टारवार’ थीम पर बहुत सुंदर केक बनाया है। कल ‘स्कल’ के आकार का केक भी बनाया था, नन्हे की फ़रमाइश पर। आज सुबह घर की साप्ताहिक सफाई आदि में व्हाट्सेप पर सबको सुप्रभात करने का समय ही नहीं मिला, दीदी को चिंता हो गई, दोपहर को उन्होंने फ़ोन कर लिया। पापाजी का फ़ोन भी दो बार आया, उनकी ज्ञान भरी बातें मन को सुकून देती हैं।आज दोपहर जून की एक बात पर मन ने प्रतिक्रिया की, यानि अहंकार अभी भी शेष है। गुरुजी कहते हैं, अहंकार को जेब में रखे रहना चाहिए, बस उसका प्रदर्शन नहीं करना करना चाहिए।शाम को छोटे भाई का फ़ोन आया, उसे बाहर की हरियाली दिखायी। सुबह नूना को गले में ख़राश और पैरों में दर्द महसूस हुआ, भीतर एक विचार आया, कहीं कोरोना तो नहीं ? जून ने एक टैबलेट दी है तथा गरारे भी करवाए। उनका स्वभाव बहुत केयरिंग/ दयालु है। 


आज का इतवार अच्छा रहा। सुबह मौसम ठंडा था। माली सुबह आ गया था, उसने पौधे लगा दिये हैं। साढ़े नौ बजे बच्चे आ गये। पहले चाय पी फिर ग्यारह बजे नाश्ता। तब तक उनका एक मित्र परिवार भी आ गया था। वे मंगलोर के रहने वाले हैं। सब मिलकर निकट के गाँव-जंगल तक टहलने गये। वापस आकर भोजन बनाया, लगभग तीन बजे खाया। पाँच बजे वे सब वापस चले गये। अभी नन्हे का फ़ोन आया, सोनू के माँ-पापा अगले हफ़्ते आ रहे हैं। उसके पापा का गॉल ब्लैडर का ऑपरेशन होना है। 


अभी-अभी वे रात्रि भ्रमण से लौटे हैं।आज अख़बार में पढ़ा, अमेरिका में रेगिस्तान का तापमान चौवन डिग्री पहुँच गया है। पापाजी से बात की, वहाँ भी काफ़ी गर्मी पड़ रही है। जबकि यहाँ मौसम सुहावना है, शाम को हुई बूँदा-बाँदी में वे भीग भी गये। उसने हरसिंगार के झरते हुए फूलों का एक वीडियो बनाया आज। छोटे भाई की नातिन का मुंडन हो गया आज, भाभी ने तस्वीरें भेजी हैं। 


आज सुबह समय पर उठे। रात को नींद गहरी थी। फ़िटबिट में स्कोर देखा, छियासी था। जब पहली बार स्कोर देखा था, तब उम्मीद की थी कि एक दिन ऐसा होगा। इक्यासी से अधिक कभी नहीं आया था। मन जब शांत हो तभी ऐसा हो सकता है। शाम को टहलने गये तो जून ने बैलगाड़ी का वीडियो बनाया, उन्हें भी फ़ोटोग्राफ़ी में रुचि हो गई है।कल ननदोई जी का जन्मदिन है, उनके लिए छोटी सी कविता लिखी है। जून ने उसे बधाई कार्ड में बदल दिया था। गुरु पूर्णिमा के लिए भी एक कविता लिखी है। आज सुबह सहज ही ध्यान घटित हो रहा था, परमात्मा को अनुभव करने का अवसर ध्यान में ही मिलता है, जब सीमित मन खो जाता है।   


आज दिन भर वर्षा होती रही। मौसम ठंडा है सो आज हफ़्तों बाद एसी को विश्राम मिला है। बालकनी में खुलने वाले दरवाज़े से बाहर रखे पौधे और सोलर लाइट दिखायी पड़ रही है।शाम को हल्की फुहार पड़ रही थी। वे टोपी पहनकर साइकिल से उस अंतिम सड़क पर गये, जहाँ सुबह अंधेरा रहते टहलने जाते हैं। वापस आकर मुख्य सड़क पर फूलों से लदे वृक्षों की तस्वीरें खींचीं। नाश्ते के बाद सिलाई मशीन बनने के लिए देकर आये, कई वर्षों से उसे इस्तेमाल नहीं किया है। शाम को पापाजी से बात हुई, उन्हें पहला वैक्सीन लग गया है। उन्होंने ओशो की एक किताब में जो पढ़ा था, उसके बारे में बताया।उनके अनुसार अपने जीवन में सद्गुणों को अपनाना चाहिए।  


आज टहलने गये तो पार्क नंबर दस में फलों का बगीचा देखा। करौंदे, शरीफ़े, चीकू, अंजीर, बेर सभी फल लगे हुए थे।बाद में बैंक भी गये, नूना का अकाउंट खुल गया है, अभी एटीएम कार्ड आना बाक़ी है। एक वरिष्ठ महिला ब्लॉगर ने नूना से कहा, वह वर्षा की फ़ोटो या वीडियो भेजे, वहीं बैंक में बैठे-बैठे ही खोज कर भेज दीं।सिलाई मशीन भी ठीक हो गई, वापस आकर सिलाई की। सोनू दो गाउन लायी थी, उन्हें छोटा किया।


Monday, November 10, 2025

दिवोदास की कथा

दिवोदास की कथा 


आज दिन भर सुखद व्यस्तता बनी रही।सुबह टहलने के बाद उन दोनों ने कुछ देर साइकिल चलायी। हरसिंगार के पेड़ इन दिनों पूरे शबाब पर हैं। कई पेड़ों के नीचे बिछी फूलों की चादर आकर्षित कर रही थी, पुन: फ़ोटोग्राफ़ी करने गये। शनिवार साप्ताहिक सफ़ाई का दिन भी है। जून ने नूना के बालों में रंग भी लगा दिया। थोड़ा बच गया तो लगभग साल भर बाद अपने बालों में भी लगा लिया। शाम को पुन: साइकिल से जाकर एक नया पौधा और एक गमला ख़रीद कर लाये, सीढ़ी के मोड़ पर रखना है। गमलों के नीचे रखने वाली प्लेट्स भी ख़रीदीं।नाश्ते में दोसा और फ़िल्टर काफ़ी, लंच में ब्रोकोली की खिचड़ी। किचन का भार जून ने ही सँभाल लिया है जैसे। कल बच्चों के आने का दिन है, वह इडली के साथ कश्मीरी हलवा बनाने वाले हैं।दोपहर को छोटी बहन का फ़ोन आया, थोड़ी परेशान लग रही थी, काम का दबाव है और स्वास्थ्य भी पूरा ठीक नहीं है। बहनोई की आँख का कल कैट्रैक का ऑपरेशन है। उसे एक अच्छा सा संदेश लिखने का तय किया नूना ने।एक अच्छी नींद बहुत से रोगों का इलाज है।पापाजी से उसकी  चार दिन बाद बात हुई, उन्हें आज की कविता अच्छी लगी।जून के भेजे कुकीमैन बिस्किट उन्हें मिल गये हैं। ‘काव्यालय’ पर एक पुरानी कविता पोस्ट की है। 


आज का इतवार अच्छा रहा। सुबह लॉन में नई लगी घास पर नये पाइप से पानी डाला, पर शाम से मूसलाधार वर्षा हो रही है।नौ बजे नन्हा और सोनू आ गये थे। भरवाँ इडली व लोभिया भी बनाया था। कश्मीरी हलवा विशेष था। पहली बार मैक पर सभी को व्हाट्सेप कॉल की। दीदी आज बहुत खुश लग रही थीं, वह इंगलिश ग्रामर सीख रही हैं।उन्होंने साइलेंस कोर्स के बारे में भी पूछा। कल मंझले भाई-भाभी से बात हुई। उनकी बिटिया बहन की बिटिया से टोरंटो में मिली। शाम को बादलों से झाँकता सूर्यास्त पल भर को देखा। नन्हा आज ईवी ले गया है, सर्विसिंग करानी है। अगले हफ़्ते उसके जन्मदिन पर पार्टी होगी, मेनू आज ही बन गया। 


आज दोपहर कुछ फ़ोटो प्रिंट करके फ़्रेम में लगाये, फिर छत तक जाने वाली सीढ़ी की दीवार पर लगाये। बैंक में अकाउंट खोलने के लिए फार्म भरा। नन्हे ने क्रैब मोबाइल स्टैंड खिड़की पर लगा दिया था, सुबह योगा सेशन की रिकार्डिंग की। आज पहली बार ज्वार का दलिया खाया, अच्छा लगा। एसी का स्विच बदला। बाथरूम का लीकेज अभी ठीक नहीं हुआ। रात के भोजन में मोरिंगा  का थेपला बनाया। 

   

सुबह वे उठे तो वर्षा हो रही थी।शायद रात भी होती रही थी। बाद में कुछ देर को थमी तो टहलने गये।बोटेनिका का गेट खुला था, सो उधर ही चले गये। सड़कों पर कई जगह पानी भरा हुआ था। सोमनहल्ली के रास्ते में  सुवर्णमुखी नदी में तेज गति से जल  बह रहा था। रास्ते में कीचड़ भी था। एक जगह लाल मुसंडा की एक डाल टूट कर गिर गई थी, घर आकर उसकी कटिंग्स लगा दी हैं। दस बजे बैंक जाना था। जून ने कार में पेट्रोल भरवाया, सौ रुपये से अधिक है एक लीटर का दाम। नन्हे से बात हुई, उसने बताया, सुबह सवा आठ बजे वह सीट पर बैठा था और अभी नौ बजे आख़िरी कॉल ख़त्म हुई है। उसने अमेजन और मिन्तरा के बिज़नेस की कुछ बातें बतायीं। सोनू अभी भी फ़ोन पर थी, वह अपने नये काम को रोज़ एक घंटा सीखती है।आज वर्टिकल गार्डन बनाने की ओर पहला कदम बढ़ाया। 


आज रात्रि भोजन के बाद वे टहलने निकले तो औरेंज जास्मिन के फूलों की सुवास ने मन मोह लिया पर लौटे तो पड़ोस के निर्माणाधीन मकान से धुँए की गंध आयी जो एसी के द्वारा खींच लिए जाने पर कमरे में भी भर गई है। ‘देवों के देव में’ काशी के राजा रिपुंजय द्वारा वरदान प्राप्त करने के बाद शिव की विदाई का अद्भुत दृश्य दिखाया गया। दिवोदास या रिपुंजय की कथा शिव पुराण में आती है। इनके चरित्र पर एक पुस्तक भी लिखी है राहुल साँस्कृतायन ने। आज कुछ देर गुरुवार के मंत्र का जाप किया। मृत्यु के बारे में एक प्रवचन सुना। शरीर में जीवन प्राणों के द्वारा ही टिका हुआ है। समान, प्राण, अपान, उदान और व्यान पाँच प्राण हैं, जिनके जाने से शरीर में मृत्यु के बाद भी कुछ देर तक जीवन के लक्षण दिखायी देते हैं। हर कोशिका में जीवन है तथा उसमें ज्ञान भी है। जून ने आज सुबह झूले पर टचवुड लगाया, बहुत सुंदर लग रहा है। आजकल वह उत्साह से भरे रहते हैं और नए-नए काम ढूँढा करते हैं। सब्ज़ी का ट्रक आया था और फलवाला घर आकर इमाम पसंद आम दे गया। नन्हे ने दो तरह के सौंफ भेजे हैं, जो पूरा वर्ष चलेंगे।नूना को लगता है, जीवन ऐसे ही छोटे-छोटे पलों से मिलकर बनता है, जिन्हें गौर से देखने पर उस अनाम की छाप हर कहीं दिखायी देती है।