Tuesday, September 4, 2018

बगिया या जंगल



पौने दस बजे हैं रात्रि के. जून कल आ रहे हैं. अभी कुछ देर पहले उसने नन्हे से बात की. उसके एक मित्र की पत्नी को स्लिप डिस्क की समस्या हो गयी है. डाक्टर ने बताया, छींक को कभी रोकना नहीं चाहिए, उसके कारण भी स्लिप डिस्क हो सकती है. बहुत दिनों बाद शहनाज हुसैन की किताब का कुछ अंश पढ़ा जो कई वर्ष पहले पुस्तक मेले से खरीदी थी. शाम को कार्यक्रम के लिए योगाभ्यास किया. क्लब की दो सदस्याओं का विदाई समारोह भी उसी दिन होगा, उनसे कल कुछ जानकारी उसने ली, दोनों के लिए कविताएँ लिखेगी. कल रात घर आने में दस बज गये, और सोते-सोते काफी देर हो गयी. एक स्वप्न भी देखा, जिसमें वह नृत्य कर रही है, पता नहीं, किसी जन्म में वह नृत्यांगना भी रही हो. कितना अजीब सा स्वप्न था. जून के जिस सहकर्मी की बेटी के पहले जन्मदिन की पार्टी में गयी थी, उसकी माँ को भी एक अन्य स्वप्न में देखा. वह ऊपर से छलांग लगाती है, उसने नई-नई जॉब शुरू की है, सुबह भाग-दौड़ कर स्कूल जाती है, शायद यही सब सुनने से ऐसा स्वप्न आया हो. हो सकता है उसके नृत्य वाले स्वप्न का भी ऐसा ही अर्थ हो. कुछ दिनों बाद जून को एक महीने के लिये बाहर जाना है, उसे काफी दिन अकेले रहना होगा. वे कुछ दिनों के लिए बड़े भाई को यहाँ आने के लिए कहेंगे.

चार दिनों का अन्तराल, शुक्र को जून आये, शनि को मृणाल ज्योति की वार्षिक सभा थी. इतवार को वैसे भी दिन भर व्यस्तता बनी रहती है. आज शाम को क्लब में परसों के कार्यक्रम के लिए रिहर्सल है. शनिवार को सुबह स्वप्न में देखा, एक लम्बे श्वेत दाढ़ी वाले बाबा ने कहा, दही खाना बंद करो. जून के घुटने में दर्द है, शायद दही खाना उन्हें नुकसान कर रहा है. उन्हें कुछ भी खट्टा नहीं खाना है. आज अस्पताल में चेकअप कराया है. उसने भी आँख दिखाई, टीयर ड्रॉप्स दी हैं, दिन में तीन-चार बार डालनी हैं. उम्र के साथ-साथ शरीर में कुछ टूट-फूट होना स्वाभाविक है. वर्षा लगातार हो रही है. धूप निकले जैसे कई दिन हो गये हैं, ऐसा लग रहा है. ग्यारह बज गये हैं, जून आने वाले होंगे. कल भाई को सितम्बर में यहाँ आने का निमन्त्रण दिया, संभवतः वे मान जायेंगे.

वर्षा ने आज सुबह सारे रिकार्ड तोड़ दिए, सारा लॉन जल से आप्लावित हो गया. इस समय धूप झाँकने लगी है, अजब है प्रकृति की लीला ! बरसात का वीडियो फेसबुक पर डाला है. दोपहर भर कितने पंछी बगीचे में गाते रहते हैं, बिलकुल जंगल का सा आभास होता है. जून के घुटनों का दर्द पहले से कम हुआ है. वे बहुत सारी सावधानियां बरत रहे हैं. सुबह योग साधना करते हैं. प्रातः भ्रमण में जो समय जाता था, अब प्राणायाम में जाता है. प्रकृति उन्हें किसी न किसी तरह मार्ग पर लाकर खड़ा कर ही देती है. भाई से अभी बात की, वह बिल्डिंग की सोसाइटी के दफ्तर में थे, उनके आने की टिकट बुक हो गयी है. स्वयं को व्यस्त रखना ही सबसे जरूरी है. कर्म ही आत्मा को शुद्ध करता है. विकर्म उसे शुद्ध करता है और अकर्म उसे आता नहीं. अकर्म का विज्ञान जिसने सीख लिया हो, उसके लिए कर्म भी आवश्यक नहीं रह जाता. सहज ही कर्म होते हैं तब. कल का कार्यक्रम अच्छा हो गया, उसने सुझाव दिया, पूरे समूह को एक साथ मिलकर एक दिन उत्सव मनाना चाहिए.

3 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6.9.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3086 में दिया जाएगा

    हार्दिक धन्यवाद

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  2. बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !

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  3. स्वागत व आभार सुमन जी !

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