Monday, May 18, 2015

फ्लोटिंग कैंडल्स




आज सुबह वह उठी तो रात देखे दो स्वप्नों की स्मृति मन पर छायी थी, एक में माँ को मृत्यु शैया पर देखा, उनका बदन गुलाबी हो चुका है, तलवे तथा हथेलियाँ तो लाल ही हैं. डाक्टर ने जवाब दे दिया है और उनके देखते-देखते वह उन्हें चेताते हुए दम तोड़ देती हैं. वह कुछ देर स्वप्न  में रोई पर शीघ्र ही नींद खुल गयी और भान हो गया. दूसरे स्वप्न में वे एक यात्रा में हैं ट्रेन की खिड़की से एक विषैला सर्प अंदर आ जाता है वह उसका फन पकड़ कर उसे मारने में सफल होती है, सभी डर रहे थे, यह स्वप्न सम्भवतः उस द्वंद्व के कारण था जिसे लेकर वह रात को सोयी थी. दिन में उन्होंने ‘कांटे’ फिल्म देखी, बहुत अच्छी तो नहीं लगी पर कुछ का अभिनय अच्छा था. नन्हा दिगबोई में है. कल क्लब में मीटिंग थी, उसने नये वर्ष की शुभकामनाओं वाली कविता पढ़ी, एक सदस्या ने ‘फ्लोटिंग कैंडल्स’ बनाना सिखाया. वापस आई तो एक मित्र परिवार मिलने आया हुआ था, उसने चिवड़ा-मटर बनाया, नमक कुछ अधिक हो गया. आज सभी संबंधियों को उन्होंने नये वर्ष के कार्ड भी भेज दिए.

कल रात्रि वे सोये ही थे कि बड़े भैया का फोन आया, दोपहर तीन बजे चाचाजी का देहांत हो गया. आत्मा ने अशक्त देह को त्याग दिया. मंगलवार को चौथा है, इतनी दूर से वह ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना ही कर सकती है. जून नन्हे को लाने दिगबोई गये हैं. उसके स्कूल की प्रदर्शनी तीन दिनों तक चलने वाली है, यह बात उन्हें पहले पता ही नहीं थी. मित्र के घर रहना उसे अच्छा लग रहा है, यह बात उसने फोन पर दो-तीन बार बतायी. कल मौसम बेहद ठंडा था, वर्षा हो रही थी, आज धूप खिली है. कल वे बहुत दिनों बाद लाइब्रेरी भी गये, Don Moraes की पुस्तक Indian Journeys लायी है, अवश्य ही यह पुस्तक रोचक होगी. कल सुबह पिताजी से बात हुई, वह चाचाजी के यहाँ जाने वाले थे. छोटे चचेरे भाई के बारे में बड़ी भाभी ने जो बताया काश वह सच न हो. उसे नशे की आदत पड़ गयी है ऐसा उन्होंने कहा, जो बेहद दुखद समाचार है.

वर्ष का अंतिम दिन, धूप खिली है, फूल मुस्का रहे हैं जैसे वे सदा ही करते हैं. वह इन सर्दियों में पहली बार बाहर लॉन में बैठकर लिख रही है, इसकी प्रेरणा एक सखी से मिली जिसने कहा कि कल नये वर्ष के पहले दिन की पिकनिक उनके लॉन में मनाते हैं प्रकृति के सान्निध्य में. नन्हे की छुट्टियाँ चल रही हैं. इस पूरे वर्ष का लेखा-जोखा करें तो उन्हें यह ज्ञान के पथ पर ले जाने वाला वर्ष रहा है. ईश्वर की निकटता का अनुभव हुआ है और कई अच्छी पुस्तकें भी पढ़ीं. नन्हे का हाई स्कल का रिजल्ट आया, जून का प्रोजेक्ट शुरू हुआ, उसने संगीत की पहली परीक्षा दी. आने वाला वर्ष भी उन्हें ज्ञान के मार्ग पर दृढ़ करे. ईश्वर को वे अपना बनाये रखें. परहित की भावना प्रबल हो, विकारों से मुक्त हों, स्वार्थी न बनें, अपने कर्त्तव्यों को निबाहें और ध्यान से वर्तमान  में रहें. तभी नूतनवर्ष उन सभी के लिए मंगलमय होगा. गुलाब के सुंदर फूलों की तरह उनकी सुवास ही सबको मिले, वाणी शुभ हो. मनसा, वाचा, कर्मणा वे कभी भी डिगे नहीं, चूके नहीं, कृष्ण को अपना मीत बनाया है यह एक पल को भी न भूलें तभी होगा जून , नन्हा और उसके लिए नया वर्ष मंगलमय...विदा जाते हुए वर्ष और स्वागत नये वर्ष.

3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ४२ साल की क़ैद से रिहाई - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. यही जिंदगी है

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  3. बहुत बहुत आभार !

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